2012 के विधनसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव में दो लगातार चुनाव जीत चुकी अनुप्रिया पटेल के लिये 2019 का चुनाव जीत कर हैट्रिक लाना सरल काम नहीं रह गया है- इस चुनाव में अपना दल दो हिस्सो में बंट चुका है और पूर्वांचल से ही अनुप्रिया की मां दूसरे पार्टी के साथ उनको चुनौती देने के लिये चुनाव मैदान में हैं. ऐसे में अनुप्रिया पटेल भाजपा के लिये मदद पहुंचाने के बजाय कमजोर कड़ी साबित हो सकती है-
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल खासकर वाराणसी, भदोही, मिर्जापुर, जौनपुर, इलाहाबाद और प्रतापगढ में अपना दल का प्रभाव कुर्मी बिरादरी में था- अपना दल के नेता सोनेलाल पटेल ने कुर्मी बिरादरी में अपनी मजबूत पकड पूरे उत्तर प्रदेश में बनाई थी- 2009 में सोनेलाल पटेल की मौत के बाद पार्टी की कमान बेटी अनुप्रिया पटेल ने संभाली- 2012 के विधनसभा चुनाव में वह वाराणसी की रोहनियां सीट से विधायक चुनी गई- अनुप्रिया पटेल ने लेडी श्रीराम कालेज से पढाई पूरी करने के बाद कानपुर से ,एमबीए किया. पिता की विरासत को संभालने वह राजनीति में आई- कानपुर में उनका घर है.
अपना दल से विधयक बनने के बाद अनुप्रिया पटेल ने राजनीति में सीढ़ी दर सीढ़ी सपफलता प्राप्त करती आई. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के सहयोगी दल में मिर्जापुर सीट से चुनाव लड़ने का मौका मिला और वह सांसद बन गई. 2016 में मोदी सरकार में वह केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री बनी.
राजनीतिक सफलता हासिल करने के दौरान वह ‘अपना दल’ की चुनौतियों को संभाल नहीं पाई- इस दौरान अपना दल दो हिस्सों में बंट गया. अपना दल (सोनेलाल) के नाम से अनुप्रिया का गुट है जबकि दूसरा दल अपना दल (कृष्णा पटेल) के नाम से है- कृष्णा पटेल अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल की पत्नी है- अपना दल (कृष्णा पटेल) गुट में कृष्णा पटेल और उनकी दूसरी बेटी पल्लवी पटेल है.