2024 के लोकसभा चुनाव के बाद भले ही नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए ने तीसरी बार सरकार बना ली हो, पर वह लोकसभा में देश के हालातों पर चर्चा से भाग रही है. 2014 और 2019 की पहली दो मोदी सरकार में प्रधानमंत्री से ले कर मंत्रियों तक को भाषण देने की आदत लग चुकी है. बहुमत की मनमानी सरकार चलाने की आदत ने विपक्ष के साथ बातचीत कर सदन चलाने की कला का खत्म कर दिया है. बात केवल संसद की ही नहीं है मीडिया के साथ भी प्रेस कांफ्रेंस नहीं होती है. मीडिया में अपने चहेते चैनलों पर केवल डिबेट करने ही पार्टी प्रवक्ता जाते हैं. सवालों का जवाब न दे कर सत्ता पक्ष क्या छिपाना चाहता है ?
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत 25 नवंबर को हुई थी. 4 दिन में सदन की कार्यवाही सिर्फ 40 मिनट चली. हर दिन औसतन लोकसभा और राज्यसभा में करीब 10-10 मिनट तक कामकाज हुआ. लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष ने अडाणी और संभल मुद्दा उठाया. विपक्ष दोनो मुद्दों पर बहस करना चाहता था. सरकार इस के पहले तैयार नहीं हुई. इस के पहले मानसून सत्र में विपक्ष नीट और मणिपुर के मुद्दे पर बहस करना चाहता था. तब भी सरकार ने बहस की मांग नहीं मानी. मानसून सत्र भी समय से पहले खत्म हो गया था. अब शीतकालीन भी उसी दशा में पहुंच रहा है.
2014 और 2019 में सत्तापक्ष विपक्ष के सांसदों को निलंबित कर के बोलने नहीं देता. 140 से अधिक सांसदों को निलंबित किया था. 2024 के लोकसभा चुनावों में जनता ने विपक्ष को ताकतवर भले न किया हो पर सत्तापक्ष को कमजोर किया है. जिस से वह सांसदों को निलंबित नहीं कर पा रहे हैं. सत्तापक्ष को भले ही 40-45 फीसदी वोट मिले हो लेकिन 55-60 फीसदी जनता सत्ता पक्ष के साथ नहीं है. चुनावी गणित को समझें तो लोकसभा चुनाव के बाद 4 राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए हैं. इन में से महाराष्ट्र और हरियाणा भाजपा के खाते में गए तो जम्मू कश्मीर और झारखंड विपक्षी दलों के हाथों में गए हैं.
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत 25 नवंबर को हुई थी तब हंगामा हुआ. केवल 40 मिनट सत्र चला. 2 दिसंबर तक के लिए सदन स्थगित हो गया. सोमवार को 10 बजे सत्र शुरू हुआ तो 10 मिनट के बाद ही हंगामा शुरू हुआ फिर सदन स्थगित हो गया. इसी तरह सांप सीढ़ी के खेल की तरह से सदन चलने बंद होने लगा. विपक्ष अडाणी और संभल के मुद्दे पर चर्चा चाहता है. लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला ने कहा ‘सहमति-असहमति लोकतंत्र की ताकत है. मैं आशा करता हूं सभी सदस्य सदन को चलने देंगे. देश की जनता संसद के बारे में चिंता व्यक्त कर रही है. सदन सब का है, देश चाहता है संसद चले.’
राहुल गांधी ने संसद के बाहर कहा था कि अडाणी पर अमेरिका में 2 हजार करोड़ की रिश्वत देने का आरोप है. उन्हें जेल में होना चाहिए. मोदी सरकार उन्हें बचा रही है. सदन में चर्चा करने और जवाब देने से बच रही है. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा ‘सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि वह कौन सा मुद्दा उठाना चाहती है और कब ? क्या सरकार ने कहा था कि अडाणी, मणिपुर, संभल, चीन और विदेश नीति पर चर्चा होगी ? सरकार की तरफ से कुछ नहीं आया. उन्होंने न तो विशय स्पष्ट किया और न ही तारीख. जिस दिन वे विषय और तारीख स्पष्ट कर देंगे, हम सदन चला पाएंगे. लेकिन हम सरकार में एक नया अहंकार देख रहे हैं.’

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