दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में ऐतिहासिक जीत से न सिर्फ भाजपा को शिकस्त दी बल्कि कांगे्रस को दिल्ली से साफ कर दिया. दिल्ली की जनता को ‘आप’ से बहुत उम्मीदें हैं कि दिल्ली में अब सबकुछ ठीक होगा. करप्शन खत्म होगा, बिजलीपानी के बिलों में राहत मिलेगी. आइए जानते हैं दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया इस बारे में क्या कहते हैं :
आज तक किसी भी सरकार ने अपने मैनिफेस्टो में किए गए वादे पूरे नहीं किए. क्या ‘आप’ से यह उम्मीद कर सकते हैं कि यह ट्रैंड बदलेगा?
हम तो राजनीति में आए ही इसलिए हैं कि काम करना है. आज की राजनीति जीत में जश्न मनाती है. मेरे पास जितने भी लोग आते हैं वे माला ले कर आते हैं पर मैं कोशिश करता हूं कि यह माला आप खुद पहनिए. यह आप की जीत है क्योंकि जीते आप हैं. हम बारबार कहते थे कि हम राजनीति को बदलने आए हैं अगर राजनीति करने लगे तो फिर पहले जीत का जश्न मनाएंगे, फिर शपथ लेंगे और फिर 15-20 दिन उस का जश्न मनाएंगे. हनीमून पीरियड मांगेंगे, उस के बाद काम करना शुरू करेंगे, यही तो राजनीति की दिक्कत है. सबकुछ बहुत लेट हो गया है. बहुत सारी समस्याएं हैं. अब किसी के घर के आगे सीवर की समस्या है. उस से परेशानी हो रही है तो हम हनीमून पीरियड तक इंतजार नहीं कर सकते. उस समस्या का निवारण तुरंत होना चाहिए. हम अपने वादों को ले कर बेहद गंभीर हैं और उन्हें पूरा करने की दिशा में हम लोग काम करने में जुट गए हैं. हमारा पहला लक्ष्य सस्ती बिजली और पानी मुहैया कराना है. इस के अलावा गरमी के दौरान फलों और सब्जियों के दाम काबू में रहें, इस के लिए सारी व्यवस्था तय कर ली गई है. किसी भी चीज के लिए हम ने अभी टाइम फिक्स नहीं किया है. हम ने अपने हिसाब से कैलकुलेशन किए हैं. जनता ने हमें 5 साल दिए हैं काम करने के लिए.
आप ने नए स्कूलकालेज खोलने की बात कही है. क्या बिल्डिंग्स बनाने पर जोर देना रहेगा या फिर शिक्षा के स्तर को सुधारने में फोकस रहेगा?
इसे एक लाइन में नहीं बताया जा सकता. क्वालिटी में हमें बहुत काम करना होगा. टीचर और पेरैंट्स को प्रोत्साहन देना होगा. कंटैंट को बदलना होगा. पढ़ाई के प्रति बच्चों में इंटै्रस्ट जगाना होगा. एजुकेशन को इंट्रैस्ट का विषय बनाना है. कई ऐसे विषय हैं जिन्हें पढ़ कर बच्चा बोर हो जाता है. इसलिए जब तक उन्हें इंट्रैस्टिंग नहीं बनाया जाएगा तब तक वह पढ़ नहीं सकता.
दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से अभिभावकों को राहत नहीं मिल पा रही है, खासकर नर्सरी ऐडमिशन के दौरान अभिभावक परेशान रहते हैं. क्या इस से उन को नजात मिलेगी?
इस वर्ष तो ऐडमिशन लगभग पूरे हो चुके हैं. बतौर मिनिस्टर अब हम देखेंगे कि लास्ट मिनट तक हम कितना काम कर पाते हैं लेकिन अगले साल इस प्रोसैस को पूरी तरह ठीक कर लिया जाएगा.
अवैध कालोनियों को केवल वैध कर देने से क्या समस्या का हल हो जाएगा और कितना समय लग जाएगा?
इस के लिए मैप बनाना पड़ेगा. मैप के बाद उन को दिल्ली के मास्टर प्लान में शामिल कराना पड़ेगा. उस मास्टर प्लान को पार्लियामैंट से अमेंड कराना पड़ेगा. तब समस्या का समाधान होगा. अलगअलग कालोनियों के लिए अलगअलग समय लगेगा पर दिल्ली सरकार जितना जल्दी हो सके मैपिंग का काम करवा लेगी.
दिल्ली को पूर्ण राज्य का दरजा मिल जाने से क्या वाकई में दिल्ली की तसवीर बदल जाएगी?
हम तो पूर्ण राज्य का दरजा मांग ही रहे हैं. इस के लिए जो भी जरूरी होगा रेगुलेशन से ले कर स्ट्रैटिजी तक करेंगे. प्रधानमंत्री ने भी इस पर विचार करने का भरोसा दिया है.
क्या आप को लगता है यह सब आसान होगा? आप कई फैसले तो ले लेंगे पर कई फैसलों में आप का टकराव केंद्र सरकार से होगा, फिर आप क्या करेंगे?
केंद्र सरकार को जोजो देना है वह हम केंद्र सरकार से मांगेंगे. दिल्ली के लोगों ने हमें 67 विधायक दिए हैं. इस का मतलब साफ है कि जो दिल्ली सरकार के हाथ में है वह धड़ल्ले से करो और अगर नहीं है तो सभी विधायकों के साथ मांग करो.
महिला सुरक्षा की बात करें तो क्या केवल सीसीटीवी लगा देने से महिलाएं सुरक्षित हो जाएंगी?
सीसीटीवी बहुत जरूरी हैं लेकिन इस के लिए कई कानूनों में बदलाव लाना होगा. एजुकेशन सिस्टम को ठीक करना होगा. एक 4 साल का बच्चा जब स्कूल जाता है तब वह महिलाएं नहीं छेड़ रहा होता लेकिन वह बच्चा जब 24 साल का हो कर जैसे ही एजुकेशन सिस्टम से बाहर आता है तो यह शिक्षा की गारंटी होगी कि वह आगे महिलाओं के लिए खतरा नहीं होगा. वह शिक्षा हमें उन्हें देनी होगी.
दिल्ली में चलने वाली आरटीवी बसों के लिए कोई नियमकानून नहीं है. वे ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन कर के अपनी मनमानी करते हैं जिस से आम आदमी बहुत परेशान है?
अब यह नहीं चलेगा. इन सभी को रेगुलेट करेंगे ताकि ये नियमों का ध्यान रखें और आम जनता को परेशानी न हो.
इस के अलावा रेहड़ीपटरी से भी लोग परेशान हैं. जहांतहां लगाने से अकसर लोगों को जाम से जूझना पड़ता है?
इसे भी रेगुलेट करने की जरूरत है. देखिए, रेगुलेट करने की कोशिश नहीं होती. नगरनिगम वाले, पुलिस वाले, जिन की दुकान के आगे ये लगाते हैं वे भी इन से पैसा लेते हैं. इन सभी को रेगुलेट कर देने और परची काटने से न तो पुलिस वाले और न ही नगरनिगम वाले वसूली कर पाएंगे. इस के बावजूद ये इधरउधर रेहड़ीपटरी लगाएंगे तब उन पर सख्ती की जाएगी.
आप ये सब जितनी बातें करते हैं कि पूरी दिल्ली में वाईफाई फ्री होगा या सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे या फिर बिजलीपानी सस्ती कर देंगे. खर्चों का आप ने तो कैलकुलेशन कर रखा है पर इतने पैसे आएंगे कहां से?
40 हजार करोड़ रुपए हर साल दिल्ली सरकार खर्च करती है. बहुत सारा फुजूलखर्ची में जाता है. बहुत सारा करप्शन में जाता है, इसे रोकेंगे. हमारा मुख्य लक्ष्य सब्सिडी के बजाय बिजली कंपनियों का औडिट करवाना है ताकि सचाई सामने आ सके और सब्सिडी दिए बगैर बिजली के बिल कम आएं.
जनलोकपाल बिल कब आएगा?
कोशिश करेंगे कि विधानसभा के पहले सत्र में आ जाए. यह हमारी प्राथमिकता है. 47 दिनों की सरकार में जो लोकपाल और स्वराज बिल का मसौदा था वही पेश किया जाएगा.
क्या आप मानते हैं कि दिल्ली की जनता ने कट्टरता को नकार दिया है?
कौन हारा कौन जीता, यह आप देखिए. मेरा काम है कि दिल्ली की जनता ने हमें 67 विधायक दिए हैं काम करने के लिए.
क्या गारंटी है कि आप लोगों में अहंकार नहीं आएगा?
जिस में अहंकार आएगा और जो गलत काम करेगा उसे सजा मिलेगी, इस की गारंटी है.