राज्य की बोगांव संसदीय सीट व कृष्णगंज विधानसभा की सीट के लिए हुए ताजा उपचुनावों के परिणामों ने यही साबित किया है कि ममता बनर्जी का जादू खत्म नहीं हुआ है. दोनों सीटों पर तृणमूल कांग्रेस विजयी रही है. लेकिन वहीं, कई मामलों में पार्टी और पार्टी आलाकमान के घिरे होने के चलते सरकार की छवि दागदार जरूर हो गई है. सारदा चिटफंड घोटाले ने तृणमूल कांग्रेस की नाक में दम कर रखा है. एक के बाद एक कई सांसद, विधायक और नेता गिरफ्तार किए जा चुके हैं. दूसरे कइयों के सिर पर तलवार लटक रही है. लेकिन अब लगता है देरसबेर एक और तृणमूल सांसद अहमद हसन इमरान पर शिकंजा कस सकता है. हसन इमरान का नाम पहले ही सारदा घोटाले में है. बंगलादेश में अस्थिरता फैलाने में सारदा के पैसों का इस्तेमाल करने का आरोप भी उन पर है. और अब बर्दवान विस्फोट कांड की जांच में सिमी समेत बंगलादेश और लंदन के इसलामी संगठन से भी इस राज्यसभा सांसद के तार जुड़े होने का खुलासा हुआ है.
माना जा रहा है कि देश में इसलामिक संगठन सिमी या इंडियन मुजाहिदीन की आतंकी गतिविधियों में भी सांसद का हाथ होगा. सारदा घोटाले के मामले में तृणमूल सांसद अहमद हसन इमरान ने पूछताछ के दौरान खुद भी स्वीकार किया था कि कुछ साल पहले वे प्रतिबंधित संगठन सिमी के पश्चिम बंगाल संस्थापक के रूप में कार्यरत थे. लेकिन संगठन को प्रतिबंधित करार दिए जाने के बाद उस से उन का संपर्क नहीं है. लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने हाथ आए तथ्यों के आधार पर दावा किया है कि इमरान हसन का संगठन से अब भी संबंध है. ऐसा एक खुलासा बहुत पहले हो चुका है कि कोलकाता समेत पश्चिम बंगाल में बड़ी तादाद में सिमी के ‘स्लीपिंग सेल’ मौजूद हैं.
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