बिहार में अब शांति है. लोग अगले 5 सालों के लिए फुरसत पा चुके हैं लेकिन जीत के बाद हीरो बन कर उभरे राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव की बातें सुनने के लिए जरूर बेचैन हैं जो जाने क्यों खामोश हैं. जीत के बाद लालू ने कई फिल्मों सरीखे डायलौग मारे थे कि अब काशी जा कर मोदी की लुटिया डुबो दूंगा, इसलिए न केवल बिहार, बल्कि देशभर के लोग पटना से काशी का रास्ता ताक रहे हैं लेकिन लालू ने कदम नहीं उठाए तो तरहतरह की बातें होना भी लाजिमी हैं, जो आमतौर पर देश के बड़े विश्लेषक केंद्रों, चाय के होटलों और पान की गुमटियों पर होती हैं. ये विश्लेषक किसी अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं पर उन की खामोशी को उन के समधी मुलायम सिंह यादव की इच्छा और अस्तित्व से जोड़ कर देख रहे हैं.

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