चलन में 1000 और 500 के नोट हों, तो दस-बीस लाख कौन कहे, करोड़ों रुपये भी छुपाना आसान हो जाता है. छुपायी जानेवाली रकम अक्सर कमाई के अवैध जरियों से आती है. ये अवैध जरिये बड़े जाने-पहचाने हैं- मादक-द्रव्यों या हथियारों की गैरकानूनी खरीद-फरोख्त, सरकारी दफ्तरों में किसी सेवा-सुविधा के लिए बाबू को दी गयी रिश्वत से लेकर मकान मालिक को चेक की जगह नकदी के रूप में किया गया किराया-भुगतान या फिर संतान को मेडिकल की सीट दिलवाने के लिए किसी पिता द्वारा प्राइवेट मेडिकल कॉलेज को किया गया लाखों का बिना लिखत-पढ़त का भुगतान, सभी इसके रूप हैं.

देश में कालेधन के परिणाम के बारे में ठीक-ठीक जानकारी सार्वजनिक रूप से मौजूद नहीं है. बस, छापों और जब्ती की खबरों से अनुमान लगाया जा सकता है कि बड़े नोटों की शक्ल में कितनी अवैध कमाई लोगों ने छुपा रखी होगी. दो साल पहले (27 अगस्त, 2014) अंगरेजी के एक प्रसिद्ध अखबार में छपा कि मुंबई के वसई-विरार इलाके में तीन छुटभैये बिल्डरों के दफ्तर पर आयकर विभाग ने छापा मारा और हजार-पांच सौ के नोटों की शक्ल में कुल 390 करोड़ रुपये बरामद किये.

ऐसी काली कमाई करनेवाले बीते मंगलवार की रात लगाये गये प्रधानमंत्री के मास्टर स्ट्रोक से सकते में होंगे. काली कमाई कर उसे 1000 और 500 रुपये की शक्ल में अपने घर-दफ्तर में छुपानेवाले लोग सोच रहे होंगे कि आखिर अब करें क्या! उनकी करोड़ों की रकम की कीमत फिलहाल कौड़ी भर भी नहीं रह गयी है. 

बेशक, उनके पास विकल्प है कि वे इस रकम को बैंकों में जमा करा दें, लेकिन ऐसे में उन्हें कमाई का स्रोत बताना होगा, जिसका सच-झूठ तहकीकात के जरिये पकड़ा जा सकेगा और तब काली कमाई करनेवाले कानून की गिरफ्त में आ जायेंगे. सो, हजार-पांच सौ रुपये के मौजूदा नोटों को बेकार करने की घोषणा पहली नजर में भ्रष्टाचार पर अंकुश की दिशा में एक सार्थक और बड़ी पहल जान पड़ती है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...