गंगा किनारे सभाएं और सत्संग करने के पौराणिक रिवाज को निभाने का आनंद ही कुछ और है. यह आनंद आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत कानपुर में उठा रहे हैं, मौका है संघ के प्रांत प्रचारकों की सालाना बैठक का, जो पांच दिन चलती है. यह बैठक लगभग गोपनीय है, जिसमे खास खास लोगों को ही जाने का सौभाग्य मिल रहा है. बगैर किसी अनौपचारिक /औपचारिक घोषणा के ही लगाने वालों ने अंदाजे लगा लिए कि हो न हो जरूर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के मद्देनजर रणनीति बन रही है, क्योकि वहां भाजपा अच्छी स्थिति में नहीं है और अगर कोई चेहरा पेश कर ही सपा बसपा को टक्कर दी जाना जरूरी हो गया है, तो वह नाम इस मीटिंग में तय किया जा सकता है (यह और बात है कि अभी तक कोई बलि का बकरा बनने तैयार नहीं हुआ है).

6 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर सहित सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था कि आल इंडिया सुन्नी उलेमा काउंसिल ने मोहन भागवत से मिलने समय मांग लिया. यह समय बाकायदा संघ का प्रोटोकाल निभाते एक चिट्ठी के जरिये संघ प्रतिनिधियों से मांगा गया. कहीं भागवत मिलने से इंकार न कर दें, इसलिए 6 सवाल भी इसमे नत्थी कर दिये गए, जिससे सनद रहे और संघ व भागवत को वक्त जरूरत घेरा जा सके. ये सवाल हैं…

1 – क्या आरएसएस देश को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहता है

2 – आरएसएस भारत को हिन्दू राष्ट्र मानता है तो क्या वह हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार देश चलाना चाहता है

3 – आप यानि संघ व भागवत हम मुसलमानो से कैसा राष्ट्र प्रेम चाहते हैं

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