Ladakh Protest :अभी हाल ही में जेनजी ने नेपाल को फूंक दिया था. सत्ता प्रतिष्ठानों में आग लगा दी जिस से बड़ेबड़े नेताओं को नेपाल से भागना पड़ा. हाल के वर्षों में जेनजी की यह टेंडेंसी बांग्लादेश और श्रीलंका में भी देखी गई. इस मामले में भारत का जेनजी अभी तक सोया हुआ था लेकिन लद्दाख में ऐसा कुछ हुआ है जिस से भारत के लिए भी नेपाल जैसे खतरे का संकेत मिलने लगे हैं.
25 सितंबर 2025 की सुर्खियों में लद्दाख का मुद्दा छाया हुआ है. लेह में लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची लागू करने की मांग को ले कर शुरू हुए शांतिपूर्ण आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया. जेनरेशन-जेड युवाओं के नेतृत्व वाले प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी के स्थानीय दफ्तर को आग के हवाले कर दिया, साथ ही सीआरपीएफ की वाहनों और सरकारी इमारतों पर भी हमला बोला. इस हिंसा में कम से कम 4 लोगों की मौत हो चुकी है और 60 से ज्यादा घायल हुए हैं. लेह में कर्फ्यू लगा दिया गया है, और सुरक्षा बलों ने आंसू गैस का इस्तेमाल कर भीड़ को तितरबितर करने की कोशिश की है.
लद्दाख चैंज ग्रुप और लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन (एलएबी) के बैनर तले युवा लंबे समय से केंद्र सरकार से राज्य का दर्जा और संरक्षण की मांग कर रहे हैं. 24 सितंबर को एलएबी ने बीजेपी दफ्तर के बाहर बड़ी सभा बुलाई, जो हिंसा में बदल गई.
प्रदर्शनकारी बीजेपी दफ्तर और हिल काउंसिल पर पथराव करने लगे. फिर आगजनी शुरू हो गई बीजेपी दफ्तर पूरी तरह जल गया, एक पुलिस वैन और अन्य वाहन भी नष्ट हो गए. सोनम वांगचुक (क्लाइमेट एक्टिविस्ट) के भूख हड़ताल स्थल से उत्तेजित भीड़ ने हमला किया.
केंद्र सरकार ने सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि वांगचुक ने अपने भाषणों में नेपाल के जेनजी प्रदर्शनों और अरब स्प्रिंग का हवाला दे कर युवाओं को भड़काया. राहुल गांधी ने हाल ही में जेनजी को संविधान बचाने की अपील की थी. राहुल गांधी के इस बयान को बीजेपी लद्दाख की घटना से जोड़ने में लग गई है.
मणिपुर हो या असम, लद्दाख की तरह भारत के लगभग हर राज्य में कोई न कोई मुद्दा सुलग रहा है. केंद्र सरकार इन मुद्दों के समाधान के लिए ईमानदारी पूर्वक कोई काम नहीं कर रही. मेन स्ट्रीम मीडिया भी इन मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए सांप्रदायिकता की पिच पर खेलती नजर आती है. वैसे तो भारत का जेनजी सम्प्रदायिकता की घिनौनी राजनीति का शिकार हो कर हिंदू राष्ट्र के सपनों में खोया हुआ है लेकिन जेनजी का एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो राजनीति के इस घिनौने चरित्र को समझ चुका है. ऐसे में लद्दाख की तरह जेनजी का बारूद कब और कहां विस्फोटक बन जाए कहा नहीं जा सकता. Ladakh Protest