बिहार का सियासी माहौल इन दिनों जोड़तोड़ की राजनीति का शिकार है. अगले चुनावों के मद्देनजर राजद, जदयू, भाजपा और कांग्रेस जैसे दल बजाय खुद को मजबूत दावेदार बनाने के अन्य प्रतिस्पर्धी दलों के विधायकों को तोड़ कर उन्हें कमजोर बनाने की फिराक में ज्यादा हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में जोड़तोड़ का यह खेल चुनावी अखाड़े में कौन सा रंग दिखाएगा, पड़ताल कर रहे हैं बीरेंद्र बरियार ज्योति.

बिहार में हर दल में अजीब सी कुलबुलाहट मची हुई है. किसी एक दल को बहुमत नहीं मिलने की बहती हवा के बीच हर दल खुद को मजबूत करने के बजाय दूसरे दलों को तोड़ने और उन्हें कमजोर करने की सियासत में लगा हुआ है. जनता दल (यूनाइटेड) यानी जदयू भाजपा विधायकों पर डोरे डाल रहा है तो भाजपा जदयू और राष्ट्रीय जनता दल के विधायकों व नेताओं को पटाने में लगी हुई है.

कांग्रेस नीतीश पर अपना जादू चलाने के बाद अपने असली रंग में आने लगी है और अगली लोकसभा व विधानसभा चुनावों को ले कर सीटों का मोलभाव करने के लिए दबाव बढ़ाने लगी है, जिस से जदयू की बेचैनी बढ़ रही है. लोक जनशक्ति पार्टी यानी लोजपा के मुखिया रामविलास पासवान कभी कांगे्रस तो कभी राजद से पींगें बढ़ाने की कवायद में कनफ्यूजन वाली हालत में हैं.

243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में महज 4 विधायकों के बूते कांगे्रस ने हर दल की नाक में दम कर रखा है. मुसलमानों को पटाने व दूसरे दलों के मुसलिम प्रेम की हवा निकालने की जुगत में भाजपा में अंदरखाने शाहनवाज हुसैन को अगले मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजैक्ट करने पर मंथन चल रहा है. शाहनवाज केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं. वे इस समय सांसद व भाजपा प्रवक्ता हैं.

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