आर्थिक अनियमितताओं का खुलासा कर भारत के पूर्व सीएजी विनोद राय ने अपने साहस के बल पर सरकारों की भ्रष्ट करतूतों को उजागर किया. क्या नवनियुक्त सीएजी ऐसा कर पाएंगे? पढि़ए जगदीश पंवार का लेख.

अपने कार्यकाल में सरकारों की नाक में दम करने वाले महालेखा परीक्षक विनोद राय की सेवानिवृत्ति के बाद आए उन के उत्तराधिकारी शशिकांत शर्मा की नियुक्ति को ले कर विरोध उठ खड़ा हुआ है. रक्षा सचिव के पद से आए शशिकांत शर्मा का विरोध इसलिए हो रहा है क्योंकि  उन के कार्यकाल के दौरान जो रक्षा सौदे हुए थे उन में भारी घोटाले की बात उजागर हुई थी. अब उन्हीं रक्षा सौदों के औडिट का काम रक्षा सचिव से सीएजी बने शशिकांत शर्मा करेंगे. लिहाजा, आम आदमी पार्टी समेत कई लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इस नियुक्ति को खारिज करने की दरख्वास्त की है.

वकील व आम आदमी पार्टी के नेता प्रशांत भूषण ने शशिकांत शर्मा की नियुक्ति को असंवैधानिक करार देते हुए उन्हें हटाने की मांग की है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि नए सीएजी 2003 से रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिव, महानिदेशक (अवाप्ति) और रक्षा सचिव रहे हैं. इस दौरान रक्षा सौदों में भारी गड़बडि़यां हुईं. वे रक्षा खरीद सौदों में शामिल रहे हैं. प्रशांत भूषण ने इस नियुक्ति को चुनौती देते हुए कहा है कि सीएजी की नियुक्ति पारदर्शी नहीं है. सरकार ने इस के लिए कोई व्यवस्था नहीं बनाई और इस के लिए कोई समिति नहीं है.

प्रशांत भूषण के अलावा पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन गोपालस्वामी, पूर्व ऐडमिरल आर एच टहिल्यानी व आर रामदास समेत 6 प्रमुख शख्सीयतों ने भी अदालत का दरवाजा खटखटाया है. 1976 के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी शशिकांत शर्मा के रक्षा मंत्रालय में रहते अगस्ता वेस्टलैंड हैलिकौप्टर, टेट्रा ट्रक खरीद जैसे घोटाले सामने आए. अमेरिका की यौर्क यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिगरी प्राप्त शर्मा की नियुक्ति की सिफारिश केंद्र सरकार ने बगैर किसी सार्वजनिक विचारविमर्श के राष्ट्रपति से कर दी. इस नियुक्ति में इस बात की अनदेखी की गई कि नए सीएजी रक्षा सौदों के औडिट के इंचार्ज होंगे जो उन के कार्यकाल में हुए थे.

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