लाचार, त्रस्त जनता जब लाख जतन के बाद भी महंगाई से मुक्त नहीं हो पाई तो फिर उन्होंने तय किया कि किसी पंजीकृत बाबा से संपर्क स्थापित किया जाए. मगर यहां तो बाबा ही मालामाल हो गए और जनता सबकुछ खुली आंखों से देखती रही...

उस द्वीप में सरकार के विपक्ष की तरह महंगाई को भी लाख डरानेधमकाने के बाद भी जब वह न रुकी तो महंगाई से अधिक सरकार से हताश, निराश जनता ने यह तय किया कि क्यों न अब महंगाई को भगाने के लिए किसी पंजीकृत तांत्रिक बाबा का सहारा लिया जाए। कारण, जबजब उस द्वीप की सरकार जनता को भय से नजात दिलवाने में असफल रहती, तबतब भय भगाने के लिए किसी न किसी सरकारी तांत्रिक बाबा का सहारा ले लेती.

जबजब उस द्वीप की सरकार द्वीप से भ्रष्टाचार को भगाने में असमर्थ रहती, तबतब उस द्वीप की जनता द्वीप से भ्रष्टाचार को भगाने के लिए सरकारी तांत्रिक बाबा का ही सहारा लेती. जब भी उस द्वीप की जनता सरकार की ओर से भूख की ओर से निराश हो जाती तो वह सरकारी तांत्रिक बाबाओं का मजे से सहारा लेती.

उस द्वीप के ग्रेट सरकारी तांत्रिक बाबा ने जनता में यह प्रचार कर रखा था कि वे अपनी जादुई तंत्र विद्या से द्वीप से किसी को भी भगा सकते हैं। हर किस्म की बीमारी, महामारी को भी। कोरोना को भी उन्होंने अपने तंत्र विद्या से भगाया है और पिछली दफा बौर्डर पर से अपनी तंत्र विद्या के माध्यम से दुश्मनों को खदेड़ा भी था। सरकार जिस काम को नहीं कर सकती वे अपनी तंत्र विद्या से उस काम को पालथी मारे अपने मठ के हैडक्वाटर से आंखें मूंदे कर सकते हैं। औरों की तो छोड़ो, वे स्टौक ऐक्सचैंज तक को मजे से चला चलवा सकते हैं.

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