मानना पड़ेगा, अमर सिंह ने तो राम जेठमलानी जैसे नामी वकील को भी पीछे छोड़ दिया. ये तो मुलायम सिंह यादव की पारखी नजर रही, जिन्होंने अमर सिंह में ऐसा फाजिल दोस्त देखा और भला हो उनका कि अमर सिंह की इस खूबी को उन्होंने शेयर किया, वरना किसी को पता भी न चलता. न तो कभी कोई डिग्री विवाद होता और न ही कोई ये पूछ पाता कि वकालत की ऐसी आला तालीम उन्होंने कब और कहां से ली - या ये कोई पैदाइशी हुनर है?

सोच कर ही ताज्जुब होता है इतनी बड़ी बड़ी बातें अमर सिंह आखिर अपने अति विनम्र हंसमुख चेहरे के पीछे छिपा कैसे लेते हैं?

दिल्ली की राजनीति में तो कानूनी जमात का जलवा जगजाहिर है, यूपी में तो लोग सिर्फ सतीश मिश्रा का ही नाम जानते रहे. उनके बारे में भी खास बातें तब पता चलीं जब मायावती ने उनके हमेशा साथ नजर आने की वजह साझा की. ज्यादा दिन नहीं हुए मायावती ने एक रैली में बताया कि सतीश मिश्रा को वो इसलिए साथ रखती हैं ताकि कहीं कोई कानूनी मुश्किल आ पड़े तो वो उन्हें बचा लें. सतीश मिश्रा को भी उसी दिन ये बात मालूम हुई होगी, वरना वो भी शिवपाल यादव की तरह कभी राजनीतिक विरासत को लेकर कुछ न कुछ गलतफहमी पाल रखे होंगे. ये सुन कर मन में एक सहज सवाल उठता है कि नेताओं का सिर्फ जेड प्लस सिक्योरिटी से ही काम नही चल पाता? इस तरह नसीबवाला बनने में माया और मुलायम से सिर्फ लालू प्रसाद ही पीछे नजर आते हैं - नहीं तो, जयललिता भी उबर चुकी हैं.

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