महाभारत युद्व शुरू से पहले श्रीकृष्ण ने अपने उपदेश में कहा ‘अहं सर्वस्य प्रभावो मत्तः सर्वं प्रवर्तते, इति मत्वा भजन्ते मां बुधा भावसमन्विताः’ अर्थात मैं समस्त आध्यात्मिक तथा भौतिक जगतों का कारण हूं. प्रत्येक वस्तु मुझ ही से उद्भूत है. जो बुद्धिमान यह भलीभांति जानते हैं, वे मेरी प्रेमाभक्ति में लगते हैं तथा हृदय से पूरी तरह मेरी पूजा में तत्पर होते हैं.
2024 की लोकसभा चुनाव के शपथ ग्रहण से ले कर स्पीकर के चुनाव तक नरेंद्र मोदी का जिद्दी स्वभाव व्यवहार नजर आया. भाजपा को सरकार बनाने लायक बहुमत नहीं मिला. एनडीए के घटक दल चंद्र बाबू नायडू और जदयू के नीतीश कुमार की वैशाखी पर चढ़ कर नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के पद की शपथ ली. शपथ लेने के बाद उन्होंने नीतीश और नायडू से किसी तरह की सलाह नहीं ली. मोदी मंत्रिमंडल में जदयू से राजीव रंजन सिंह, रामनाथ ठाकुर, टीडीपी से राममोहन नायडू को मंत्री बनाया गया. पूरे मंत्रिमंडल के गठन में भाजपा की संख्या भारी रही. उन के नेताओं को बड़े विभाग दिए. पूरा मंत्रिमंडल 2019 वाला ही दिखा.
मंत्रीमंडल के गठन के बाद दूसरी बड़ी परीक्षा लोकसभा स्पीकर के चुनाव को ले कर थी. लोकसभा स्पीकर के चुनाव में पेंच फंस गया कि विपक्ष डिप्टी स्पीकर की मांग करने लगा. इस के लिए सत्ता पक्ष तैयार नहीं था. स्पीकर को ले कर चुनाव की नौबत आ गई. सत्ता और विपक्ष अपनेअपने संख्या बल को ठीक करने लगा. भाजपा की तरफ से यह जिम्मेदारी राजनाथ सिंह को सौंप दी गई.
उपेक्षित राजनाथ को मिला महत्व
10 साल से उपेक्षा का शिकार रहे राजनाथ सिंह को पहली बार महत्वपूर्ण कार्य सौंपा गया. राजनाथ सिंह को साफतौर पर बता दिया गया था कि ओम बिडला को ही स्पीकर बनाना है. विपक्ष ओम बिडला के नाम पर तैयार नहीं था. राजनाथ सिंह ने कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे से बात की. इस के बाद भी बात डिप्टी स्पीकर के मसले पर टूट गई. इस पूरे परिदृष्य मे नरेंद्र मोदी कहीं नजर नहीं आए. न तो उन्होंने चंद्र बाबू नायडू से बात की न ही नीतीश कुमार से. इन नेताओं के भी बयान सामने नहीं आए.
जबकि इंडिया ब्लौक में टीएमसी की ममता बनर्जी ने कहा कि कांग्रेस ने उन से बात नहीं की. इंडिया ब्लौक में यह हालत है कि नेता अपनी बात कह सकता है. एनडीए में मोदी की तानाशाही है. जिस में चलते नीतीश और नायडू अपने मन की बात बाहर बोल भी नहीं पा रहे हैं. 2014 और 2019 की मोदी सरकार में राजनाथ सिंह के कद को छोटा करने का प्रयास किया गया था. 2024 में जब भाजपा का संख्या बल कम हुआ तो राजनाथ सिंह को ही स्पीकर चुनाव की डील करने की जिम्मेदारी दी गई.
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