18वीं लोकसभा का पहला सत्र राष्ट्रगान के साथ शुरू हुआ. इसके बाद पिछले सदन के दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि दी गई. संसद में आज और कल नए सांसद शपथ लेंगे. इससे पहले भाजपा सांसद भर्तुहरि महताब को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रोटेम स्पीकर की शपथ दिलाई थी. इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू राष्ट्रपति भवन में मौजूद थे.

सत्ता पक्ष की तैयारी के बीच विपक्ष की अपनी अलग से तैयारी थी. विपक्ष के सभी सासंदोे ने तय किया था कि वह एक साथ संसद में प्रवेश करेंगे. सबके हाथ में संविधान की कौपी होगी. इंडिया ब्लौक के सभी सांसद सबसे पहले महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास एकत्र हुये. वहां से सांसद अपने साथ संविधान की एक कौपी लेकर संसद भवन में गये.

संसद भवन में समाजवादी पार्टी के सांसदों ने सबसे पहले प्रवेश किया. सभी के सिर पर लाल टोपी और लाल गमछा था. हाथ में संविधान की किताब थी. अखिलेश यादव के ठीक बगल उनकी पत्नी डिंपल यादव थी. रामगोपाल और उनके परिवार के दूसरे सदस्य आदित्य और धर्मेन्द्र के साथ अयोध्या के सांसद अवधेष प्रसद सबसे अधिक आकर्षण का केन्द्र थे.

जब सपा सांसदों का फोटो हो रहा था. इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे और सोनिया गांधी पीछे से आती दिखी. खडगे सफेद धोती कुर्ता में थे तो सोनिया ने बूटेदार कौटन की साडी और सफेद ब्लाउज पहन रखा था और आंखों पर ब्राउन कलर के शीशे वाला गौगल्स लगाया हुआ था. अखिलेश यादव ने उनके लिये रास्ता देते मल्लिकार्जुन खडगे से कहा कि ‘हम एक साथ है. आपसे बड़ी संविधान की किताब लेकर आये है.’ इस पर दोनो हंस दिये. मल्लिकार्जुन खडगे ने अखिलेश से कहा ‘देर आये दुरूस्त आये.’

पीछे आ रही सोनिया गांधी को अखिलेश ने अभिवादन किया और अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद का परिचय कराते कहा यह अयोध्या के सांसद अवधेष प्रसाद है. सोनिया ने उनको बधाई दी. अखिलेष ने सोनिया से कहा ‘हम आपसे बड़ी संविधान कि किताब लेकर आये है.’ सोनिया गांधी ने अखिलेश को बधाई देते कहा ‘आपका काम भी बड़ा है.’ विपक्ष ने एकजुटता और आत्मविश्वास दिखाने का पूरा काम किया.

मोदी और धर्मेन्द्र प्रधान का विरोध:

शपथ लेने वालों में सबसे पहला नाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का था. जब वह शपथ लेने आये तो विपक्षी दलों ने संविधान की कौपी लहराई. मोदी की शपथ के दौरान सत्ता पक्ष के सांसदों ने भारत माता की जय के नारे लगाए, जिसके जवाब में विपक्ष ने संविधान की कौपी लहराई. कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्ष के सांसदों के साथ संविधान की कौपी लेकर प्रदर्शन किया. सपा के सभी सांसद हाथ में संविधान की कौपी लेकर पहुंचे. सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव समेत सभी सपा सांसद हाथ में संविधान की कौपी लेकर संसद पहुंचे.

अनुप्रिया पटेल, जितेंद्र सिंह, चिराग पासवान, मनसुख मंडाविया, किरेन रिजिजू, गजेंद्र सिंह शेखावत, राम मोहन नायडू, ललन सिंह, शिवराज सिंह चैहान, नितिन गडकरी, अमित शाह राजनाथ सिंह, फग्गन सिंह कुलस्ते, राधा मोहन सिंह ने शपथ ली. जब शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का नाम जब शपथ के लिए बुलाया गया तो विपक्ष ने ‘नीट नीट, शेम शेम’ बोलना शुरू कर दिया. विपक्ष नीट पेपर धांधली में उनके इस्तीफे की भी मांग कर रहा है. शपथ ग्रहण के लिये सीढियों से चढ़कर पोडियम तक जाना होता है. जिसमे 2-3 मिनट का समय लग रहा था. इस दौरान पूरे समय विपक्ष के नारे संसद हौल में गूजंते रहें.

प्रोटेम स्पीकर का विरोध:

नीट के बाद दूसरा हंगामा प्रोटेम स्पीकर को लेकर हो रहा था. इसके विरोध में इडिया ब्लॉक के सांसदों ने गांधी प्रतिमा के पास प्रदर्शन किया. सांसद हाथ में संविधान की कॉपी लिए थे. प्रोटेम स्पीकर भर्तुहरि महताब के साथ पैनल में शामिल 3 विपक्षी सांसद सुरेश कोडिकुन्निल, थलिक्कोट्टई राजुथेवर बालू, सुदीप बंदोपाध्याय संसद में उपस्थित नहीं हुए. ये सांसद प्रोटेम स्पीकर भर्तुहरि महताब का विरोध कर रहे हैं. इनका कहना है कि सरकार ने नियमों को दरकिनार कर प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है. नियम के मुताबिक, कांग्रेस के के. सुरेश 8 बार के सांसद हैं, इसलिए प्रोटेम स्पीकर उन्हें बनाना चाहिए था. महताब 7 बार के सांसद हैं.

कांग्रेस सांसद के सुरेश ने कहा एनडीए सरकार ने लोकसभा की परंपरा तोड़ी है. अब तक जो सांसद सबसे अधिक ज्यादा बार चुनाव जीतता है, वही प्रोटेम स्पीकर बनता रहा है. भर्तृहरि महताब 7वीं बार सांसद चुने गए हैं. जबकि, मैं 8वीं बार सांसद चुना गया हूं. वे फिर से विपक्ष का अपमान कर रहे हैं. इसलिए इंडिया ब्लौक ने सर्वसम्मति से पैनल सदस्यों का बहिष्कार करने का फैसला किया है.

18वीं लोकसभा को मिलेगा नेता विपक्ष:

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले सत्र में 10 साल बाद कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी मिलेगी. पिछले 10 साल से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली है, क्योंकि 2014 के बाद से किसी भी विपक्षी दल के 54 सांसद नहीं जीते. मावलंकर नियम के तहत नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए लोकसभा की कुल संख्या 543 का 10 प्रतिशत यानी 54 सांसद होना जरूरी है. 16वीं लोकसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे 44 सांसदों वाले कांग्रेस संसदीय दल के नेता थे, लेकिन उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं था. 17वीं लोकसभा में 52 सांसदों की अगुआई अधीर रंजन चैधरी ने की थी. उन्हें भी कैबिनेट जैसे अधिकार नहीं थे.

संसद में विपक्ष के नेता का अपना अलग महत्व होता है. नेता विपक्ष हर बड़ी नियुक्ति में शामिल होता है. उसे नेता सदन यानि पीएम के बराबर तरजीह मिलती है. चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाली कमेटी में भी उन्हें शामिल किया जाता है, जिसकी अध्यक्षता पीएम करते हैं. नेता प्रतिपक्ष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग, सीवीसी और सीबीआई के प्रमुखों की नियुक्ति करने वाली कमेटी में भी शामिल होता है.

लोकसभा की लोक लेखा समिति का अध्यक्ष भी आमतौर पर नेता प्रतिपक्ष को ही बनाया जाता है. इस समिति के पास पीमए तक को तलब करने का अधिकार होता है. सदन के भीतर प्रतिपक्ष के अगली, दूसरी कतार में कौन नेता बैठेगा, इसकी राय भी विपक्ष के नेता से ली जाती है.

18वीं लोकसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष हालत बदली हुई है. 2014 और 2019 की तुलना में इस बार बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं है. 18वीं लोकसभा में एनडीए की सरकार है. गठबंधन के पास 293 सांसद हैं.

मोदी के पिछले दो कार्यकाल की तुलना में तीसरे कार्यकाल में विपक्ष मजबूत हुआ है. इंडिया ब्लॉक ने 234 सीटें जीती हैं. कांग्रेस के पास 99 सीटे हैं, जो सदन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. संसद में इंडिया ब्लौक मजबूत दिखा. जिससे राहुल गांधी की ताकत बढेगी. 10 साल बाद कांग्रेस से नेता विपक्ष भी बनाया जाएगा. जिसके लिए राहुल गांधी का नाम सबसे ऊपर चल रहा है. बैठक में इस पर भी विचार विमर्श होगा. सत्र का पहला दिन विपक्ष की एकजुटता और आत्मविश्वास के नाम रहा.

नरेन्द्र मोदी ने सबको साथ लेकर सबकी सहमति से काम करने की बात कहते विपक्ष की अहमियत बताई और कहा कि उम्मीद है विपक्ष का साथ मिलेगा.

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