लोकसभा चुनाव के दौरान 7 मई को बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने अपने 29 वर्षीय भतीजे आकाश आनंद को अचानक अपने उत्तराधिकारी और राष्ट्रीय कोऔर्डिनेटर के पद से हटा दिया. जबकि आकाश को वे 2017 से ही अपने उत्तराधिकारी के रूप में तैयार कर रही थीं, जब आकाश की उम्र महज 22 बरस की थी. मायावती ने आकाश को राष्ट्रीय कोऔर्डिनेटर बनाया और लोकसभा चुनाव से पहले उन को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया. फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि मायावती ने आकाश आनंद को अपरिपक्व कह कर पार्टी कोऔर्डिनेटर पद के साथसाथ उत्तराधिकार के दायित्व से भी मुक्त कर दिया?

दरअसल आकाश आनंद एक जोशीले युवा हैं. लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान उनके जोशीले भाषण दलित और पिछड़े समाज के लोगों में जान फूंक रहे थे. लोग उनके भाषणों से उत्साहित थे. इससे आकाश का जोश और बढ़ गया. उन्होंने जिस तरह मनुवादियों को गरियाना शुरू किया तो दलितों को लगा कि उन्हें आकाश के रूप में अपना तारणहार मिल गया. अपने हर भाषण में आकाश आनंद सवर्णों की सरकार यानी भारतीय जनता पार्टी की जम कर आलोचना कर रहे थे. एक चुनावी रैली में आकाश आनंद को कहते हुए सुना गया, "यह सरकार बुलडोजर सरकार और देशद्रोहियों की सरकार है, जो पार्टी अपने युवाओं को भूखा छोड़ती है और अपने बुजुर्गों को गुलाम बनाती है, वह आतंकवादी सरकार है. अफगानिस्तान में तालिबान ऐसी ही सरकार चलाता है."

गोया कि भाजपा की तुलना आकाश आनंद ने तालिबान से कर डाली. आकाश यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने राष्ट्रीय अपराध रिकौर्ड ब्यूरो (एनसीबी) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए राज्य में 16,000 अपहरण की घटनाओं को लेकर भी भाजपा सरकार पर महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहने का आरोप लगाया. उन्होंने यहां तक कह डाला कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी 'चोरों की पार्टी' है, जिसने चुनावी बांड के माध्यम से 16,000 करोड़ रुपये लिए. और बस आकाश के इसी अति जोशीले और बेबाक लहजे ने मायावती को डरा दिया.

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