20 सितंबर, 1953 को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक पत्र के जरिये लिखा था, पिछले आम चुनाव में मैं ने महिला उम्मीदवारों पर बहुत जोर दिया था. मेरे प्रयासों के बाबजूद बहुत कम महिलाओं को उम्मेदवार बनाया गया था या वे चुनी गईं. यह पत्र काफी लंबा था जिस का सार यह था कि अगर हम आधी आबादी को पूरा मौका नहीं दे पाते तो यह उन की अनदेखी और हमारी मूर्खता है.

राजनीति का यह वह दौर था जब महिलाओं की उस में भागीदारी आटे में नमक के बराबर थी लेकिन नेहरू इसे बढ़ाना चाहते थे. इसी दौर में टुकड़ोंटुकड़ों में पेश किए जाने वाले हिंदू कोड बिल को ले कर हिंदूवादी हद से ज्यादा तिलमिलाए हुए थे और उसे रोकने सड़क से संसद तक हायहाय कर रहे थे.

सरिता के सितंबर 2024 के प्रथम अंक में पाठक इस तथ्यपरक और हाहाकारी रिपोर्ट '1947 के बाद कानूनों से रेंगती सामाजिक बदलाव की हवाएं' को विस्तार से पढ़ सकते हैं जो अब बिक्री के लिए स्टोल पर उपलब्ध है. डिजिटल संस्करण के पाठक इसे सरिता की वैबसाइट पर पढ़ सकते हैं.

आंद्रे मालराक्स एक मशहूर फ्रांसीसी उपन्यासकार हैं, जो लगभग 10 साल फ़्रांस के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री भी रहे हैं, ने एक बार जवाहरलाल नेहरू से सवाल किया था कि स्वतंत्रता के बाद आप की सब से बड़ी कठिनाई क्या रही है. इस सवाल का जवाब नेहरू ने एक गेप लेते हुए दो बार में दिया था. पहला था, न्यायपूर्ण साधनों से न्यायपूर्ण राज्य का निर्माण करना और दूसरा था शायद एक धार्मिक देश में एक धर्मनिरपेक्ष राज्य का निर्माण करना भी.

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