Loksabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 80 उम्मीदवारों में 7 महिलाएं हैं. बहुजन समाज पार्टी ने इस बार डा. इंदु चौधरी पर दांव लगाया है. उत्तर प्रदेश के आंबेडकरनगर में एक दलित परिवार में जन्मी इंदु को बचपन से ही अपनी जाति की वजह से भेदभाव का सामना करना पड़ा. कई बार उन्हें जान से मारने की धमकियां मिलीं, लेकिन न वे कभी डरीं, न रुकीं. न्याय के लिए संघर्ष करती रहीं और यह संघर्ष आज भी जारी है.
बसपा सुप्रीमो मायावती की तरह दिखने वाली डा. इंदु चौधरी उन की तरह ही फायरब्रैंड नेता हैं. उच्च शिक्षित हैं और धाराप्रवाह बोलती हैं. छोटेछोटे दायरों में बंटे समाज का दर्द, उपेक्षा और अपमान उन्होंने देखा ही नहीं बल्कि खुद जिया है. उन के पिता लखनऊ में कार्यरत थे, लिहाजा परिवार लखनऊ में ही निवास करता था. उन की शिक्षा लखनऊ में पूरी हुई. लखनऊ में दलित जातियों के प्रति आसपड़ोस या स्कूल में ज्यादा भेदभाव नहीं दिखता मगर गांवदेहातों में उन्हें कोई पास भी नहीं बिठाता था.
वे बताती हैं, “जब छुट्टियों में पापा के साथ गांव जाती थीं तो देखती थीं कि ऊंची जाति वालों के घरों में हमारे लिए अलग बरतन रखे जाते हैं. एक बार गांव में ही मैं 5-6 लोगों के साथ एक परिचित के घर गई, जिन्हें मैं मामामामी कहती थी. वहां हम सब को एकसाथ खाना परोसने के बजाय दोदो लोगों को बारीबारी से खाना खिलाया गया.
“जब मैं ने मामी से पूछा तो वे सफाई देने लगीं कि वे माली बिरादरी से हैं और हमारे लिए उन के घर में सिर्फ 2 थाली ही हैं. उन्हीं थालियों को साफ कर के बारीबारी से खाना खिलाया गया. जबकि, मामी और उन का परिवार जब लखनऊ में हमारे घर आता और कईकई दिन हमारे साथ ठहरता तो वे हमारे ही बरतनों में खाना खाते थे. गांव में हमारे साथ उन का बरताव एकदम उलटा हो गया.”
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