छात्र राजनीति का गढ़ माने जाने वाले दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में 4 वर्षों बाद एक बार फिर वामपंथियों का लाल परचम लहरा रहा है. प्रैसिडैंट, वाइस प्रैसिडैंट और जौइंट सैक्रेटरी सीटों पर लेफ्ट प्रत्याशियों की जीत ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र भाजपा की रीढ़ में सिहरन पैदा कर दी है.

वोटों की गिनती के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में भारी उत्साह और कौन्फिडेंस देखा जा रहा था. हर तरफ शोर उठ रहा था कि भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस की छात्र इकाई एबीवीपी के सिर जीत का सेहरा बस बंधने ही वाला है. सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर बधाइयों का सिलसिला चालू था. भाजपा के तमाम नेताओं के आईटी सेल बढ़ चढ़ कर उत्साह बढ़ाने और बधाइयां बांटने में लगे थे. कई भाजपाई विधायक तो एबीवीपी के फेवर में अपने ट्वीट्स को लाइक और शेयर करवाने के लिए खुद सारा दिन लोगों को फ़ोन करते रहे. गोदी मीडिया भी एबीवीपी की जीत लगभग सुनिश्चित कर चुका था कि तभी लाल झंडा उठना शुरू हुआ और विश्वविद्यालय के फलक पर छा गया. रविवार 24 मार्च को घोषित नतीजों में 4 सीटों में से 3 सीटों पर लेफ्ट पैनल और एक सीट पर लेफ्ट समर्थित बाप्सा संगठन की प्रत्याशी ने जीत दर्ज की.

प्रैसिडैंट सीट पर लेफ्ट के प्रत्याशी धनञ्जय को 2,598 मत हासिल हुए. उल्लेखनीय है कि धनञ्जय एक दलित छात्र हैं. वहीं इस सीट पर एबीवीपी के प्रत्याशी उमेश चंद्र अजमीरा को 1,676 वोट ही मिले. वाइस प्रैसिडैंट के लिए लेफ्ट के प्रत्याशी अविजीत घोष को 2,409 मत मिले जबकि इसी सीट के लिए एवीबीपी की प्रत्याशी दीपिका शर्मा को कड़ी टक्कर के बाद हार का मुंह देखना पड़ा. जनरल सैक्रेटरी सीट पर लेफ्ट समर्थित बाप्सा प्रत्याशी प्रियांशी आर्य ने 2,887 वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया तो एबीवीपी के अजरुल आनंद को 1,961 वोट ही मिले. जौइंट सैक्रेटरी सीट पर भी लेफ्ट प्रत्याशी मोहम्मद साजिद 2,574 मत ले कर सब से आगे रहे.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...