कमोबेश राष्ट्रीय मुद्दों से दूर आंध्रप्रदेश देश का पहला राज्य है जहां दोनों राष्ट्रीय दलों- भाजपा और कांग्रेस- की भागीदारी एकएक फीसदी भी नहीं है, इस बार होगी, ऐसा कहना भी जोखिम वाला काम होगा क्योंकि सीधी टक्कर टीडीपी यानी तेलुगूदेशम पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस के बीच है. एक बार फिर तेलुगूदेशम और भाजपा ने गठबंधन कर लिया है और साथ में जन सेना पार्टी यानी जेएसपी को भी ले लिया है जिस के मुखिया अभिनेता पवन कल्याण हैं जबकि तेलुगूदेशम चंद्रबाबू नायडू की पार्टी है. वाईएसआर सुप्रीमो मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी हैं.
80 के दशक तक आंध्रप्रदेश पर कांग्रेस का कब्जा पट्टे की शक्ल में हुआ करता था जिस के दबदबे को पहली बार चुनौती 1983 में टीडीपी ने दी थी जिस के संस्थापक चमत्कारी छवि वाले फिल्म अभिनेता नंदामुरी तारक रामाराव यानी एनटीआर थे. आंध्रप्रदेश के लोग उन्हें बहुत मानते थे. एनटीआर रहते और लगते भी कुछकुछ देवताओं की तरह ही थे जिन्होंने कोई 3 दर्जन फिल्मों में भगवान का रोल अदा किया था. दक्षिण की राजनीति से फिल्म अभिनेताओं को पूजे जाने का दौर, धीरेधीरे ही सही, खत्म हो रहा है. अब वहां नएनए सियासी भगवान पैदा हो रहे हैं जिन के आगे राष्ट्रीय भगवान पानी भरते नजर आते हैं और अपना खाली कमंडल ले कर दिल्ली वापस लौट जाते हैं. भाजपा और कांग्रेस चुनावी मैदान में रस्मअदायगी भर के लिए हैं. इस का यह मतलब नहीं कि आंध्रप्रदेश के चुनाव उबाऊ हैं बल्कि वहां तो डबल दिलचस्पी, रोमांच और सनसनी है क्योंकि विधानसभा चुनाव भी लोकसभा के साथ ही हो रहे हैं.
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