Hindi Corruption Story: चोर चोरी से जाए, हेराफेरी से न जाए. सरकारी महकमे में काम करते हुए मंगला प्रसाद मुनाफे को कैसे छोड़ सकते थे, तभी तो एक हाथ दिया दूसरे हाथ लिया.
कालोनी संपन्नों की थी. ज्यादातर सुविधा संपन्न रिटायर्ड अधिकारियों के बेहतरीन मकान थे. कमलाकांत तो इतने संपन्न थे कि अपने 4 बिस्वे के बंगले में उन्होंने स्विमिंग पूल तक बनवा रखा था. मजाल है जो कोई उस पर हाथ लगाए, इतनी पहुंच थी उन की. कॉलोनी से सटा एक सरकारी तालाब था. उससे लगी जमीन पर कॉलोनी के लोगों ने मंदिर बनवाने की सोची. इस के लिए कॉलोनी के सभी लोगों की मीटिंग बुलाई गई.
‘‘हमें मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए एक किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. तकलीफ तब होती है जब शिवरात्रि या सावन के सोमवार के समय हमारी औरतों को परेशानी का सामना करना पड़ता है,’’ कमलाकांत बोले.
‘‘आप ठीक कहते हैं. वहां जिस तरह के लोगों का जमावड़ा होता है वह हमारे स्टेटस के अनुकूल नहीं होता. हमें शर्म और हिचक का सामना करना पड़ता है,’’ चतुर्वेदीजी ने हां में हां मिलाई.
‘‘बिलकुल सही,’’ एक अन्य सदस्य ने हामी भरी.
‘‘कहां सोचा है मंदिर बनवाने का,’’ चतुर्वेदीजी ने पूछा.
‘‘अपनी कालोनी से सटे तालाब के किनारे वाली जमीन पर,’’ कमलाकांत बोले.
‘‘वह तो सरकारी है?’’ वर्माजी से रहा न गया.
‘‘तो क्या हुआ. मंदिर सरकारी जमीन पर नहीं बनेगा तो क्या हमारे घर में बनेगा?’’ एक हंसा.
‘‘कल को सरकार उसे तुड़वा दे तब?’’ वर्माजी कहते रहे.
‘‘आप भी नादानों की तरह बात करते हैं वर्माजी. इतने साल सरकारी नौकरी कर के भी नहीं सम?ो?’’
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
 - देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
 - 7000 से ज्यादा कहानियां
 - समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
 - देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
 - 7000 से ज्यादा कहानियां
 - समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 
- 24 प्रिंट मैगजीन
 




 
 
 
            
        
