कुछ छोटे देशों की नियति सदैव अपने बड़े पड़ोसी देशों की कुदृष्टि का शिकार होते रहने की रही है. पूर्वी यूरोप के पोलैंड और यूक्रेन ऐसे ही देश हैं. ये देश शताब्दियों से अपने बड़े पड़ोसी देशों की विस्तारवादी नीति की चपेट में आते रहे हैं. ,रूस की पश्चिमी सीमा पर स्थित यूक्रेन का अतीत अनेक उतारचढ़ावों से भरा है. सदियों से रूस, लिथुआनिया और आस्ट्रिया अपने इस निरीह पड़ोसी की बंदरबांट करते रहे हैं. निकट अतीत में कोई 25 वर्ष पूर्व तक यह देश, सोवियत संघ के बिखराव तक उस की एक घटक इकाई था. 1991 में यूक्रेन ने स्वयं को स्वतंत्र देश घोषित किया.

पुरातत्त्व विज्ञान के अनुसार, वर्तमान यूक्रेन की भूमि पर 44 हजार वर्ष पहले भी मानव आबाद था. इतिहास के विकासक्रम में पूर्वी यूरोप का यह देश ईसा से 200 वर्ष पूर्व से 750 वर्ष पूर्व तक सिथिया का भाग था. उस समय गेताए संजाति की यहां बस्तियां थीं. कालांतर में स्लाव संजाति का विस्तार हुआ तो उस ने भी यूक्रेन को स्थायी निवास बना लिया. स्लाव संजाति रूस, यूक्रेन और दक्षिण तथा पूर्वी यूरोप के कई देशों में फैली हुई है.

भाषाओं के उद्गम के आधार पर देखा जाए तो यूके्रनी भाषा और रूसी भाषाएं एक ही परिवार की हैं, साथ ही बहुत निकट भी हैं. भाषाओं की साम्यता और समीपता के समान ही सांस्कृतिक धरातल पर दोनों देशों में बहुत कम अंतर है. इस कारण दोनों देशों के निवासी एकदूसरे के देश में आसानी से घुलमिल जाते हैं और बड़ी संख्या में उन का इधरउधर बसना होता रहता है. 19वीं शताब्दी के अनेक रूसी बौद्धिक दिग्गज यूक्रेनी मूल के थे. इन में प्रख्यात साहित्यकार निकोलाई गोगोल और संगीतकार प्योत्र त्वायकोवनस्की विशेष उल्लेखनीय हैं.

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