भारतीय प्रधानमंत्री विदेश यात्रा पर गए तो मेजबान देश में रहने वाले आप्रवासियों समेत पूरा देश, एक सप्ताह तक प्रधानमंत्री के जलवे का गुणगान करता रहा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चाहे संयुक्त राष्ट्र महासंघ में भाषण हो, न्यूयार्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन में प्रवासी भारतीयों को संबोधन हो, अमेरिकी उद्योग जगत के साथ मुलाकात हो या अमेरिकी राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा से वाइट हाउस में वार्त्तालाप का जिक्र हो, मोदी की हर गतिविधियों पर भारतीय न्योछावर होते दिखाई दिए.

इस से पहले मई में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी की नेपाल, भूटान, जापान यात्रा और उन के द्वारा की गई चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मेजबानी के भी इतने चर्चे नहीं हुए. स्वतंत्रता के बाद जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी से ले कर अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह तक की विदेश यात्राओं पर कभी प्रवासी भारतीयों और देश में बैठे लोगों की उतनी उत्सुकता नहीं रही. हालांकि नेहरू, इंदिरा गांधी के वक्त अमेरिका में भारतीयों की तादाद ज्यादा न थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी बहुप्रतीक्षित अमेरिकी यात्रा में धर्म और संस्कृति की पोटली भी ले कर गए और इस दौरान वे नवरात्र के उपवास जारी रखते हुए नित्य एक घंटा दुर्गा माता के लिए पाठ करना नहीं भूले. मेजबान राष्ट्रपति ओबामा द्वारा परोसे गए तरहतरह के स्वादिष्ठ महाभोज को छोड़ कर मोदी ने व्रत के कारण केवल पानी पी कर ही मेहमान धर्र्म निभाया.

प्रधानमंत्री मोदी अपनी विदेश यात्राओं में भगवतगीता के बड़े प्रचारक साबित हो रहे हैं. जापान यात्रा में उन्होंने वहां के राजा को गीता भेंट की थी. अब ओबामा को भी. 4 दिन की अमेरिकी यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी ने अपने हर कार्यक्रम में जादू बिखेरा. देश में बैठे भारतीयों को ही नहीं प्रवासी भारतीयों को भी अपना मुरीद बनाया. 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए भाषण में मोदी ने खुद की और भारत की छवि इस तरह पेश की कि उन का देश दुनिया के देशों के साथ मिल कर शांति के साथ तरक्की के लिए आगे बढ़ना चाहता है. उन्होंने कूटनीति को उस तरीके से पेश किया है जो हाल के सालों में नहीं हुआ.

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