लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों को भाजपा के मीडिया मैनेजमैंट द्वारा कुछ इस तरह से दिखाया जा रहा है जैसे विपक्षी दलों ने भाजपा को वाकओवर दे दिया है. 3 विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी विपक्ष हताश नहीं है. इंडिया गठबंधन में भले ही आपस में ऊपरी लड़ाई दिख रही हो पर ये सभी दल अपनेअपने स्तर से चुनावी तैयारियां कर रहे हैं.

इंडिया गठबंधन इस बात में एकमत है कि उस को भाजपा को सत्ता से हटाना है. इस के लिए कांग्रेस ने 100 सीटों का फामूर्ला तैयार किया है. भाजपा जहां अयोध्या में राममंदिर के बहाने ‘दक्षिणा बैंक’ को जोड़ने में लगी है वहीं कांग्रेस इंडिया गठबंधन के सहारे पूरे समाज को एकजुट कर रही है. भाजपा केवल चलो अयोध्या की बात कर रही है जबकि इंडिया गठबंधन पूरे देश को जोड़ने के जनहित की बात कर रहा है.

यह सही है कि लोकतंत्र में जीत का अपना महत्त्व होता है. संख्या बल से ही सरकार बनती है. लेकिन इस से विपक्ष का महत्त्व कम नहीं हो जाता. इंडिया गठबंधन में जिस तरह से अलगअलग दल अपनी राय रख रहे हैं, वह सच्चे लोकतंत्र की निशानी है. स्वस्थ लोकतंत्र वही है जहां हर दल अपने मन की बात कह सके, अपने विचार रख सके.

जहां केवल फैसले के पक्ष में बोलने की आजादी हो, विपक्ष में नहीं वहां तानाशाही होती है. भाजपा में जो अनुशासन दिखाया जा रहा है वह तानाशाही वाला है. वहां सवाल पूछने का हक नहीं है. इंडिया गठबंधन में कांग्रेस सब से बड़ी पार्टनर है लेकिन सब उस के खिलाफ बोल सकते हैं. कांग्रेस बिना किसी प्रतिवाद के इंडिया गठबंधन में सब को साथ ले कर चल रही है. सब को साथ ले कर चलना ही सही लोकतंत्र की निशानी है.

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