तारीखों की घोषणा के पहले ही मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार ज़ोर पकड़ने लगा है इधर बड़े राजनैतिक दल स्टार प्रचारकों की सूची बना रहे हैं कि कब किसे कहां बुलाया जाना कारगर रहेगा लेकिन आदिवासियों के तेजी से उभरते दल “जय आदिवासी युवा शक्ति” यानि जयस ने फिल्म अभिनेता गोविंदा को बुलाकर दोनों प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस की चिंताओं में और इजाफा कर दिया है.
जयस प्रमुख डाक्टर हीरालाल अलावा ने गांधी जयंती पर पार्टी लांच पर गोविंदा को आमंत्रित किया तो व्यक्तिगत सम्बन्धों को निभाते गोविंदा निमाड इलाके के कस्बे कुक्षी पहुँच भी गए जहां आमतौर पर लोग कोई वजह न हो तो जाने से कतराते हैं.
कुक्षी में हजारों की तादाद में जमा आदिवासियों ने खासतौर से उनके लिए आए गोविंदा को रूबरू देखा तो गोविंदा भी भीड़ देख हैरान थे. कभी मुंबई से कांग्रेस के सांसद रहे गोविंदा के भीतर का नेता बेहद जज्बाती होकर बोला आप लोगों का प्यार देखकर अभिभूत हूं.
हालांकि राजनीति को अलविदा कह चुके इस हीरो ने सियासी बातों से परहेज ही किया लेकिन जयस की धमाकेदार एन्ट्री में जरूर उन्होने जान फूंक दी. इस मौके पर उन्होंने आदिवासी परम्परा के प्रतीक तीर कमान भी हाथ में उठाया.
गौरतलब है कि जयस 80 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने का एलान कर चुकी है और किसी पार्टी से समझौता या गठबंधन की बात भी नकार चुकी है. सियासी हल्कों और गलियारों में अब इस बात की चर्चा ज्यादा है कि वह भाजपा और कांग्रेस में से किसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी. राजनैतिक विश्लेषकों के हिसाब किताब से परे खुद हीरालाल अलावा यह मानने में संकोच नहीं करते कि जयस भाजपा का ज्यादा नुकसान करेगी.
आक्रामक रुख अख़्तियार किए जयस मुखिया का कहना है कि आजादी के 70 सालों बाद भी किसी ने आदिवासियों के भले के लिए कुछ नहीं किया है. बक़ौल हीरालाल अलावा जयस के मुद्दे बेहद साफ हैं और हर कोई देख और समझ रहा है कि आदिवासी इलाकों में शिक्षा और स्वास्थ सेवाओं की हालत बद से बदतर है. 10 राज्यों के कोई 10 लाख आदिवासी युवा जयस से जुड़ चुके हैं जिन्होंने नारा दिया है “इस बार आदिवासी सरकार”.
लेकिन क्या ऐसा हो पाएगा इस पर हीरालाल अलावा कहते हैं क्यों नहीं हो सकता अब तक सभी राजनैतिक पार्टियां आदिवासियों का इस्तेमाल भर करती रहीं हैं लेकिन अब जयस के बैनर तले आदिवासी एकजुट हो रहा है. युवा आदिवासियों को पांचवी अनुसूची के माने भी समझा रहे हैं और उन्हें यह भी बता रहे हैं कि एक नपीतुली साजिश के तहत उन्हें हिंदु करार दिया दिया जाता है. आदिवासी प्रकृति उपासक हैं और उनकी सहजता व मौलिकता कभी किसी सबूत की मोहताज नहीं रही. आदिवासी संस्कृति से खिलवाड़ के षड्यंत्र अब सफल नहीं होने दिये जाएंगे. इसके लिए जरूरी है कि आदिवासी अपने मौलिक अधिकार पहचानें और राजनीति में ताकत बनकर उभरें.
इसमें कोई शक नहीं कि जयस की धमक से भाजपा ज्यादा चिंतित है क्योकि उसे आदिवासी इलाकों से खासे वोट और सीटें मिलने लगीं थीं. पांच सालों से जमीनी मेहनत कर रहे हीरालाल अलावा बेहद पेशेवर अंदाज से पेश आ रहे हैं. जल्द ही जयस के प्रचार अभियान में दो और दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती और नाना पाटेकर भी नजर आएंगे और कुछ वामपंथी विचारक भी सक्रिय हो सकते हैं.
देखना दिलचस्प होगा कि एम्स जैसे नामी संस्थान से नौकरी छोडकर घर वापस आए हीरालाल अलावा अपने मकसद में कितने कामयाब हो पाएंगे. अभी तक का कटु अनुभव तो यह रहा है कि आदिवासियों के नाम पर कई राजनैतिक दल और संगठन बने हैं लेकिन कुछ अपनी खुदगर्जी के चलते जेबें भर कर चलते बने तो कइयों को ईसाई मिशनरियों और आरएसएस जैसे संगठनो ने मिटाने में अहम रोल निभाया ऐसे में जोरदार शुरुआती रेस्पोंस हासिल कर चुके इस युवा डाक्टर के कंधों पर यह महती ज़िम्मेदारी होगी कि वह आदिवासियों की उम्मीदों पर खरा उतरे.
बात जहां तक फिल्मी हस्तियों को बुलाकर प्रचार करने की है तो यह हक जयस को भी है ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई नामी अभिनेता आदिवासियों की पार्टी के लिए राज्य में आया इससे आदिवासियों का जोश और बढ़ा ही है. उमड़ी भीड़ देखकर गोविंदा भी मौका नहीं चूके और उन्होने 12 अक्तूबर को प्रदर्शित होने जा रही अपनी फिल्म फ्राइडे का भी प्रमोशन कर डाला. भीड़ की मांग पर उन्होने ठुमके भी लगाए और अपनी पुरानी हिट फिल्मों के संवाद भी दोहराए.