देश की गरीबी और जमीनी हालात देश के हर नागरिक के सामने प्रत्यक्ष है, छुपी हुई नहीं है. ऐसे में 5 साल के लिए चुने जाने वाले राष्ट्रपति का पद – विदेश पर जाने और टूर का पर्याय अथवा पिकनिक में जाने का पर्याय नहीं होना चाहिए. राष्ट्रपति चुनाव के इस समय हमें एक चिंतन करना चाहिए कि जिस संविधानिक पद पर बैठे हुए शख्सियत पर पूरे देश का दारोमदार होता है जिसकी पोजीशन पर देश के करोड़ों करोड़ रुपए खर्च होते हैं, वह सिर्फ पिकनिक मनाने का पर्याय नहीं होना चाहिए और ऐसी शक्तियां निहित होनी चाहिए जिससे देश मजबूत बने आगे बढ़े.

इसलिए भी जरूरी है क्योंकि प्रथम राष्ट्रपति राधाकृष्णन से लेकर के चाहे जेल सिंह हों अथवा मिसाइल मैन कहे जाने वाले अब्दुल कलाम साहब ने इस पद की गरिमा को बढ़ाया है.

हाल ही में राष्ट्रपति पद का लगातार अवमूल्यन होता चला जा रहा है. राष्ट्रपति बनने से पूर्व  मुर्मू राज्यपाल थीं, मंत्री भी बनीं मगर दुर्भाग्य देखिए उनके गांव में बिजली नहीं आ पाई थी. क्या यह विचारणीय नहीं है.

दरअसल, यह व्यवस्था होनी चाहिए कि देश में संविधानिक पदों पर ऐसे निष्पक्ष लोगों की पदस्थापना हो जिन पर कोई उंगली न उठा सके. पद की गरिमा बनी रहे कोई यह न कर सके, यह तो फलां के रबड़ स्टैंप हैं.

राम की मर्यादा का गुणगान करने वाली भारतीय जनता पार्टी और उसके नेताओं को शायद यह पता ही नहीं है या कान में उन्होंने रूई डाली हुई है कि महामहिम राष्ट्रपति के संदर्भ में देश के चौक चौराहे पर जो चर्चा है उसे तो यहां लिखना उचित नहीं होगा मगर अगर आप जागरूक नागरिक हैं तो अपने शहर गांव के चौराहे पर अगर कहीं चर्चा चल रही हो तो उसमें भाग लें और सुने कि लोग क्या कर रहे हैं. हम इस लेख के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति महोदया से यह भी आग्रह करना चाहते हैं कि जिस तरह उन्हें रबड़ स्टैंप कहा जा रहा है वे इस भ्रम को अवश्य तोड़ेंगी . देश दुनिया को यह जला देंगी कि जिस शख्सियत को राष्ट्रपति बनाया गया है वह इस देश की भावना को समझता है और की परंपराओं मूल्यों, महान विरासत को आगे बढ़ाने का माद्दा भी रखता है.

आगे हम आपको ले चलते हैं नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के गांव अपरबेड़ा में जहां जश्न का माहौल है. घर-घर में रसगुल्ले बांट रहे हैं हर आदमी मुंह मीठा कर रहा है क्योंकि उनके गांव का सम्मान एकाएक बढ़ गया है.

एक ओर पारंपरिक नाच-गाने का आयोजन हो रहा है तो दूसरी ओर पूरे इलाके के लोगों के लिए दावते आम का सरंजाम गया है.

द्रौपदी मुर्मू के छोटे भाई तारणीसेन टुडू ने मीडिया से कहा, दीदी के शपथ लेने के बाद हम सब राष्ट्रपति भवन देखने आएंगे.

ओड़ीशा की राजधानी भुवनेश्वर से करीबन ढाई सौ किलोमीटर दूर मयूरभंज जिला है . इसी जिले में एक गांव है अपरबेड़ा. और नव निर्वाचित महामहिम राष्ट्रपति किसी गांव में जन्मी है गांव के लोग उन्हें बचपन से जानते हैं और घर घर में उनके व्यक्तित्व की चर्चा हो रही है.

पारंप टुडू कहते हैं कि बीते दो दिनों से गांव और आसपास  के लोग लगातार उनके घर पर आकर बधाइयां दे रहे हैं.  उनके गांव में पारंपरिक नृत्य और खुशी के गीत गाए जा रहे हैं . गांव वालों की खुशी प्रतीक है संपूर्ण देश की खुशी का ऐसे में कहा जा सकता है कि राष्ट्रपति बनकर द्रोपदी मुर्मू सच्चे अर्थों में देश की कि तरक्की में अपनी भूमिका निभाएंगी.

देश की राष्ट्रपति से उम्मीदें

द्रौपदी मुर्मू देश की पंद्रहवीं राष्ट्रपति होंगी. द्रोपदी मुर्मू राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार थीं और 21 जुलाई 2022 को मतों की गणना के बाद उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को भारी मतों से हराया है.

द्रौपदी मुर्मू को कुल 64.03 फीसद मत मिले हैं, जबकि यशवंत सिन्हा का मत फीसद 35.97 रहा. कुल 53 मत अमान्य रहे, जिनमें सांसदों के 15 मत शामिल हैं. महत्वपूर्ण  बात यह कही जा रही है कि

द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं. दरअसल, शिगुफे भी नरेंद्र दामोदरदास मोदी के प्रधानमंत्री के बाद उनके एक काम की कार्यशैली का हिस्सा रहे हैं. उनकी टीम जो भी काम करती है उसे पहला अथवा ऐतिहासिक बताने से गुरेज नहीं करती और उसका प्रचार प्रसार देशभर में जोर शोर से किया जाता है. यह आप उनके हर एक काम की समीक्षा करके देख सकते हैं.

अच्छा यह रहा कि द्रोपदी मुर्मू की‌ जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा उनके आवास पर पहुंचे और उन्हें जीत की बधाई दी. इसी तरह सोनिया गांधी सहित सभी पार्टियों के नेताओं ने उन्हें जीत के लिए बधाई दी.

कुल जमा राष्ट्रपति का पद संविधानिक पद है जो संपूर्ण देश राजनीति को शांत भाव से देखता है और समय-समय पर अपने निर्णय केंद्र सरकार की मंशा के अनुरूप लेता है मगर सविधान में इसके बावजूद कुछ शक्तियां राष्ट्रपति को प्रदत्त की गई है जिनके माध्यम से वह देश को एक नई दिशा दे सकता है. यह विकासशील भारत देश के लिएअच्छा ही रहेगा कि जो शख्स राष्ट्रपति बनता है वह यह न समझे कि वह विदेश प्रवास पर मौज मस्ती के लिए निकला है 5 सालों  तो आनंद की गोते लगाने हैं अथवा वह पिकनिक में है.

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