रोहित

बीते दिनों महाराष्ट्र में सियासी घमासान मचने से उद्धव ठाकरे की राकांपा और कांग्रेस के साथ बनी महा विकास अघाड़ी सरकार गिर गई. सरकार गिराने का कंधा भले बागी शिंदे गुट का रहा पर बंदूक बेशक भाजपा की रही. इस सियासी उठापटक का अंत जरूर हो गया पर नई उठापटक शुरू हो गई है.

30 जून, गुरुवार का दिन, वह घड़ी जब महाराष्ट्र के सियासी बादल लगभग छंट गए. उद्धव ठाकरे ने एक दिन पहले ही अपने 31 महीने के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल से इस्तीफा दे दिया था. न्यूज चैनलों ने शाम के प्राइम टाइम में अपने कार्यक्रम की तयशुदा स्क्रिप्ट तैयार कर रखी थी, जिस में बागी विधायकों का एकनाथ गुट भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस के साथ मिल कर सा?ा सरकार बनाता दिख रहा था.

उसी शाम भाजपा और शिंदे मिल कर प्रैस कौन्फ्रैंस करते हैं. माथे पर लाल टीका, हमेशा की तरह उजले सफेद कमीज में शिंदे गंभीर और आत्मविश्वासी दिख रहे थे. कौन्फ्रैंस टेबल पर न्यूज चैनलों के दर्जनों माइक थे. काले माइक पर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बोलना शुरू किया.

बोलते हुए उन्होंने महा विकास अघाड़ी सरकार, जिस में एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना का गठबंधन था, के बारे में कुछ पुरानी बातें कहीं और फिर ऐलान किया, ‘‘एकनाथ शिंदे होंगे महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री. भाजपा सरकार में उन का समर्थन करेगी पर मैं सरकार में नहीं रहूंगा.’’ फडणवीस के इस बयान से सब हैरान हो गए. इस बयान में 2 बातें अहम थीं, एक, पत्रकारों और आम दर्शकों के लिए शिंदे का सीएम पद का चौंकाने वाला ऐलान. दूसरी, फडणवीस का सरकार में न होने का उन का व्यक्तिगत फैसला.

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