लोकसभा चुनाव से महज 2 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को करारा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बौंड स्कीम को अवैध करार देते हुए उस पर रोक लगा दी है. इस तरह इलैक्टोरल बौंड्स के जरिए राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाला गुप्त धन अब नहीं मिल सकेगा, जिस के एवज में बड़े धनाढ्य व्यवसाई वर्ग सरकार से अपने मनचाहे काम करवाते थे. फैसला सुनाते हुए सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि चुनावी बौंड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. वोटर्स को पार्टियों की फंडिंग के बारे में जानने का पूरा हक है. अदालती बैंच ने कहा कि जनता को यह जानने का हक़ है कि राजनितिक पार्टियों के पास पैसा कहां से आता है और कहां जाता है.

सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी दूरदर्शिता दिखाते हुए इलैक्टोरल बौंड्स को रद्द करने का फैसला सुनाया है. डैमोक्रेसी को बचाए रखने के लिए यह बहुत महत्त्वपूर्ण कदम है. भारत के तमाम पड़ोसी देश चाहे वह पाकिस्तान हो, श्रीलंका हो या बंगलादेश हो, धनबल की ताकत के चलते वहां डैमोक्रेसी हाशिए पर पहुंच गई है. पाकिस्तान में हालत सब से खराब है जहां चुनी हुई सरकार के बावजूद सारे धनबल की ताकत सेना के पास केंद्रित होने से डैमोक्रेसी के परखच्चे उड़े हुए हैं. श्रीलंका और बंगलादेश की भी कमोबेश यही हालत है. भारत में जिस तरह धनबल की सारी ताकत सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी के हाथों में जा रही है उस को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट का फैसला डैमोक्रेसी को बचाने की दिशा में बहुत अहम कदम माना जा रहा है.

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