जैसे जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, देश के कुछ 'बाबाओं' की बांछें खिल चुकी हैं और मन हिलोरें मार रहा है उन की अतिमहत्त्वाकांक्षा कि जब चाय बेचने वाला पीएम बन सकता है, भगवा वस्त्रधारी सीएम बन सकता है तो वे क्यों नहीं?
दरअसल, मध्य प्रदेश में जब से विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई है, कई राजनीतिक दल पैदा हो गए हैं. दिलचस्प तो यह है कि इन दलों के नेता खादीधारी के अलावा भगवाधारी बाबा भी हैं, जो कल तक गलीमोहल्लों में घूमघूम कर भक्तों को उपदेश देते रहे थे कि देखो सारा जीवन लोभमोह से मुक्त हो कर ही इंसान मोक्ष प्राप्त कर सकता है.
सीधे मुख्यमंत्री बनने की इच्छा
लेकिन अब मध्य प्रदेश के कुछ बाबाओं की इच्छा है कि वे चुनाव लड़ें और दरअसल, इन की महात्त्वाकांक्षा के पीछे भी खास वजह है. बाबाओं को लगता है कि उमा भारती भी पहले एक साध्वी ही थीं, योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बन सकते हैं तो वे क्यों नहीं?
मध्य प्रदेश सरकार को सीधे तौर पर धमकाने वाले कंप्यूटर बाबा अपनी इन महात्त्वाकांक्षा को तब और बल देने में लग गए जब वे अपने चेलेचपाटियों और भक्तों के साथ तकरीबन साल भर पहले सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गए और मठमंदिरों में तमाम सुविधाएं देने की जिद पर अड़ गए.
सरकार को डराने का परिणाम
सरकार चूंकि भाजपा की थी लिहाजा सरकार का मिजाज सख्त नहीं हुआ. पुलिस भी आला हुक्मरनाओं के आदेश की प्रतीक्षा करती रही. सरकार ने पहले तो इन्हें समझानेबुझाने की कोशिश की पर जब नहीं माने तो पानी की बौछारों और पुलिसिया दबिश दे कर इन्हें खदेड़ दिया गया. बस फिर क्या था, मुद्दे ने राजनीतिक रूप ले लिया. विपक्षी कांग्रेस ने सरकार को भगवाधारी विरोधी तक कह दिया. कुछ आग में घी डाल कर इन्हें भड़काने लगे, तो कुछ ने नमकमिर्च लगा दिया.