राजनीति में विरोधी को मात देने के लिये शतरंज की तरह चाल चलनी पड़ती है. इसमें हमेशा विरोधी से 2 घर आगे रहना पड़ता है. समाजवादी पार्टी के कुनबे में बिखराव अब रिश्तों पर भारी पड़ रहा है.
समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव भले ही बेटे अखिलेश के साथ हों पर मुलायम के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा यादव चाचा शिवपाल यादव के समाजवादी सेक्यूलर मोर्चा के साथ खडी हो गई हैं. समाजवादी पार्टी के मुलायम परिवार में बिखराव की सबसे अहम कड़ी प्रतीक यादव ही हैं.
प्रतीक यादव मुलायम की दूसरी पत्नी साधना के बेटे हैं. प्रतीक यादव की शादी अपर्णा सिंह बिष्ट से हुई. अपर्णा के पिता अरबिंद सिंह बिष्ट पत्राकार और मां अंबीं बिष्ट सरकारी कर्मचारी रही हैं.
अपर्णा का परिवार उत्तर प्रदेश से अलग हुये उत्तराखंड का रहने वाला है. उत्तराखंड ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मूल घर है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद अपर्णा उनसे मिलने गई थीं. उस समय यह कयास लगाये जा रहे थे कि अपर्णा हो सकता है भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जायें.
यह बात कयास ही रह गई. जब चाचा शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी से अलग होकर समाजवादी सेक्यूलर मोर्चा बनाया तो अपर्णा भी अपने जेठ अखिलेश यादव का साथ छोड़कर चाचा शिवपाल यादव के साथ खड़ी हो गयीं. अपर्णा और शिवपाल यादव दोनों ही इस बात का दावा करते हैं कि परिवार के मुखिया मुलायम सिंह यादव उनके साथ हैं. असल बात यह है कि मुलायम सिंह यादव राजनीतिक रूप से अपने बड़े बेटे अखिलेश यादव के ही साथ हैं.
वरिष्ठ पत्राकार शिवसरन सिंह गहरवार कहते हैं ‘2017 के विधानसभा चुनाव में मुलायम परिवार में झगड़े का प्रभाव उत्तर प्रदेश की राजनीति पर पड़ा था. 1992 के 24 साल के बाद भाजपा बहुमत से सत्ता में आई. भाजपा का मुकाबला करने के लिये जब कांग्रेस ने बिहार जैसा महागठबंधन उत्तर प्रदेश में बनाने का प्रयास किया. सपा-बसपा करीब आये तो भाजपा को लगा कि अब चुनाव जीतना मुश्किल होगा ऐसे में एक बार फिर से मुलायम परिवार में कलह सपा-बसपा गठबंधन मे सपा को जूनियर खिलाड़ी बना देगा. अखिलेश के कमजोर पड़ने से उनके मायावती की बातें माननी होंगी.
यह भी संभव है कि सपा-बसपा का गठबंधन भी बिखर जाये. इसका फायदा भाजपा को मिलेगा. शिवपाल यादव का मोर्चा भले ही लोकसभा चुनाव में अपनी सीटें न निकाल पाये पर समाजवादी पार्टी के वोट में सेंधमारी करने मे सफल होंगे. जिस तरह से अपर्णा यादव चाचा के साथ आईं हैं जिलों में तमाम अखिलेश से नाराज समाजवादी नेता वोट काटने का काम करेंगे. सपा में बिखराव से पिछड़ी जातियों के लोग एक बार फिर से भाजपा के साथ हो सकते हैं.’