जिस तरह भारत के बड़े रूपए पैसे वाले,चाहे अदाणी हो या अंबानी, की संपत्ति बढ़ती चली जा रही है और दुनिया के सबसे बड़े पूंजीपतियों की गिनती में इनको शुमार किया जाने लगा है, उससे यह संकेत मिलने लगा था कि कहीं ना कहीं तो दो और दो पांच है.

भला ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई कंपनी देखते ही देखते आगे, आगे, और आगे बढ़ती चली जाए. जबकि उसकी जमीनी हालात कमजोर है. सिर्फ देश की सरकार के प्रमुख अर्थात प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी के साथ गलबहियां डालने से आप देश में तो अपना वर्चस्व दिखा और बता सकते हैं. मगर दुनिया में आप अपना ढोल भला कैसे बजा सकते हैं?

जी हां! अदाणी समूह के साथ ऐसा तो होना ही था देश की सत्ता के आशीर्वाद से स्थानीय एजेंसियों को आप आंख बंद करने के लिए मजबूर कर सकते हैं और यह दिखा सकते हैं कि आप रूपए पैसों के मामले में दुनिया भर में आगे निकल रहें हैं. आप नीतियां भी बदल सकते हैं आप बड़ी बड़ी बेशकीमती चीजों को अपने हाथ में भी ले सकते हैं चाहे वह रेलवे हो या फिर एयर इंडिया या फिर देश की नवरत्न कंपनियां भी आप देखते ही देखते अपने समूह में मिला सकते हैं, मगर दुनिया के आंखों में धूल झोंकना संभव नहीं है इस सच्चाई को तो आपको मानना पड़ेगा. मगर इसे नहीं मानते हुए अगर आपकी कमीज पर काले दाग हैं और उसे आप देश से जोड़ देते हैं राष्ट्र भक्ति से जोड़ते हैं राष्ट्रवाद से जोड़ते हैं तो यह कदापि उचित नहीं कहा जा सकता. दरअसल, हमारे देश में आजकल राष्ट्रवाद का बड़ा चलन चल रहा है जब भी किसी बड़े आदमी पर कोई उंगली उठाता है तो देशभक्ति और राष्ट्रवाद सामने आ जाते हैं और आवाज को खामोश करने का प्रयास किया जाता है.

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