मैं शब्द तुम निशब्द
मैं शोर तुम मौन
मैं तत्त्व तुम सत्व
मैं अल्हड़ तुम परिपक्व
मैं यमुना तुम कदंब
मैं झलक तुम बिंब
मैं दूरी तुम लगाव
मैं गति तुम ठहराव
मैं सूक्ष्म तुम विशाल
मैं दशा तुम हाल
मैं निद्रा तुम स्वप्न
मैं स्थिर तुम कंपन
मैं हृदय तुम धड़कन
मैं मस्तिष्क तुम चिंतन
मैं वन तुम हिरण
मैं सूरज तुम किरण
मैं सागर तुम लहर
मैं धूप तुम पहरमैं
गहराई तुम शिखर
मैं चुप्पी तुम मुखर
मैं अवनि तुम अर्श
मैं समीर तुम स्पर्श
मैं दर्प तुम दर्पण
मैं श्रद्धा तुम तर्पण
मैं अलग तुम विलग
फिर भी मैं तुम सी, मेरे से तुम.
- ब्रजबाला
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