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मेरे पति के एक महिला से नाजायज संबंध हैं, मैं कैसे अपनी समस्या निबटाऊं कृपया बताएं?

सवाल

मैं 2 बच्चों की मां हूं. मेरे पति कोलकाता में रहते हैं, मेरे पति के वहां एक महिला से नाजायज संबंध हैं. वह महिला शादीशुदा है और मेरे पति की रुपएपैसों से मदद भी करती है. एक बार मेरे पति मुझे 15-20 दिनों के लिए अपने साथ कोलकाता ले गए, तब उस महिला से झड़प भी हुई थी. उस के बाद मेरे पति मुझे डांटडपट कर वापस फैजाबाद छोड़ गए. उस के बाद से वे साल-छह महीने में मात्र 2-4 दिनों के लिए आते हैं और चले जाते हैं. जब भी इस बारे में बात करती हूं तो कहते हैं कि अगर तुम वहां आई और कुछ बोली तो तुम्हें जहर दे कर मार दूंगा.

बहुत समझाने का प्रयास किया पर वे नहीं मानते. बच्चों और घर के लिए पैसे भेज देते हैं. मैं अपने पति के किसी और औरत के साथ संबंध हरगिज बरदाश्त नहीं कर सकती. कानूनी पचड़ों में मैं पड़ना नहीं चाहती क्योंकि ऐसा कोई नहीं है जो मेरी मदद करे. अकेले कैसे अपनी समस्या निबटाऊं, कृपया बताएं.

जवाब

आप की मदद के लिए कोई नहीं है और कानूनी पचड़ों में पड़ना नहीं चाहतीं तो कैसे आप अपना हक पा सकती हैं. आप हिम्मत रखते हुए अपने पति से साफसाफ बात करें कि वे सही रास्ते पर आ जाएं वरना आप को कानून का सहारा लेना पड़ेगा.

आप को अपना हक पाने के लिए लड़ना ही पड़ेगा. महिला आयोग में जा कर अपनी शिकायत लिखवाएं. उस की एक कौपी आप नजदीकी पुलिस स्टेशन में भी दें. आप के पति मनमानी नहीं कर सकते. आप के साथ आप के दोनों बच्चों का भविष्य भी जुड़ा है. बेशक आप का पति घर बच्चों के लिए पैसा भेजता है लेकिन आप के पत्नी होने के अधिकार वह किसी और स्त्री को नहीं दे सकता.

 

करवा चौथ की कालरात्रि

27अक्तूबर, 2018 की बात है. उस दिन करवाचौथ का त्यौहार था. सुहागिन महिलाओं का यह सब से बड़ा त्यौहार होता है. इस व्रत में अन्न तो दूर पानी तक नहीं पीया जाता. दीपिका ने अपने पति विक्रम सिंह चौहान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा था. इसलिए दीपिका ने सुबह से न तो पानी पीया और न ही कुछ खाया. हालांकि दीपिका को इस तरह के व्रत की ज्यादा आदत नहीं थी, लेकिन फिर भी वह सामाजिक रीतिरिवाजों को तोड़ना नहीं चाहती थी.

आजकल फिल्मों और टीवी सीरियलों के साथ बाजारीकरण ने करवाचौथ को पूरी तरह ग्लैमराइज कर फेस्टिवल का रूप दे दिया है. आधुनिक विचारों के पुरुष भी आजकल पत्नी के साथ करवाचौथ का व्रत रखते हैं.

दीपिका ने उस दिन अपने तरीके से सजनेसंवरने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. शृंगार करने के साथ उस ने शिफान की नई कीमती साड़ी पहनी. घर में रखे आभूषणों में से नेकलेस और एकदो अन्य जेवर भी पहने.

हालांकि दीपिका करीब 32 साल की हो गई थी, लेकिन शृंगार करने से उस की उम्र 25 साल से ज्यादा की नहीं लग रही थी. सजसंवर कर दीपिका ने दीवार पर लगे आदमकद आईने में खुद को निहारा. फिर होंठों पर लिपस्टिक लगाते हुए अपने रूपसौंदर्य को देख कर मन ही मन मुसकरा उठी.

सजनेसंवरने के बाद दीपिका ने पति विक्रम को फोन मिलाया, ‘‘डियर, आज जल्दी घर आ जाना. आज मैं ने तुम्हारे लिए व्रत कर रखा है. रात को चांद निकलने के बाद तुम्हारे हाथ से पानी पी कर ही व्रत खोलूंगी.’’

विक्रम ने दीपिका को भरोसा दिलाते हुए कहा, ‘‘डोंट वरी, मैं जल्दी घर आ जाऊंगा. अच्छा, यह बताओ तुम्हारे लिए बाजार से क्या लाऊं?’’

‘‘मुझे कुछ नहीं चाहिए. बस आज तुम जल्दी आ जाओ, यही काफी है.’’ दीपिका ने कहा और फोन डिसकनेक्ट कर दिया.

पत्नी के कहने के बाद भी विक्रम उस दिन शाम 7 बजे के बाद ही घर आया. जब वह घर पहुंचा तो उस के मातापिता भी वहां आए हुए थे, जो गुड़गांव की ही अंसल वैली में रहते थे.

विक्रम घर आ कर फ्रैश हुआ. इस के बाद उस के मातापिता ने उसे समझाया कि वह दीपिका को तलाक देने की सोचे भी नहीं. साथ ही यह भी कहा कि वह शेफाली भसीन से संबंध तोड़ ले.

दरअसल, विक्रम का शेफाली नाम की एक महिला से चक्कर चल रहा था. उसी के लिए वह पत्नी दीपिका को तलाक देने की जिद पर अड़ा हुआ था. इस बीच दीपिका भी वहीं बैठी चुपचाप उन की बातें सुनती रही.

मातापिता के काफी समझाने पर भी विक्रम दीपिका से तलाक लेने की जिद कर रहा था. जब विक्रम नहीं माना तो थकहार कर उस के मातापिता भी अपने फ्लैट पर चले गए.

विक्रम सिंह चौहान और दीपिका गुड़गांव में डीएलएफ फेज-1 इलाके में स्थित अंसल वैली व्यू सोसायटी के टावर-3 में आठवीं मंजिल पर रहते थे. विक्रम एक निजी कंपनी स्काइलार्क में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर के पद पर नौकरी करता था.

दीपिका साइबर हब गुड़गांव में निजी क्षेत्र के इंडसइंड बैंक में डिप्टी मैनेजर के पद पर कार्यरत थी. विक्रम और दीपिका के 2 बच्चे थे. करीब 4 साल की बड़ी बेटी और 5 महीने का छोटा बेटा.

उस रात उत्तर भारत में चांद उगने का समय लगभग 8 बज कर 6 मिनट था, लेकिन आसमान में बादल छाने और धुंध का असर होने के कारण काफी देर तक चांद नजर नहीं आया. बाद में जब चांद दिखाई दिया तो दीपिका ने छलनी से चांद के दर्शन किए और अर्घ्य दिया. इस के बाद छलनी से उस ने पति विक्रम का अक्स देखा

फिर दीपिका व्रत खोलने की तैयारी करने लगी. लेकिन इस बीच विक्रम कहीं जाने लगा तो दीपिका को शक हुआ कि वह शेफाली के पास जा रहा है. शेफाली से विक्रम के संबंधों को ले कर दोनों में झगड़ा होने लगा.

इस के कुछ देर बाद रात करीब पौने 10 बजे सोसायटी के लोगों को तेज चीख के साथ किसी के ऊंचाई से गिरने की आवाज सुनाई दी. आवाज सुन कर सोसायटी के सिक्योरिटी वाले वहां पहुंच गए. कई फ्लैटों के परिवार भी आवाज सुन कर भूतल पर आ गए. वहां लोगों ने देखा कि एक महिला जमीन पर गिरी हुई थी.

सिक्योरिटी वालों के साथ सोसायटी के अन्य लोगों ने उस महिला को पहचान लिया. वह उसी बिल्डिंग की 8वीं मंजिल पर रहने वाली दीपिका थी. मतलब वह 8वीं मंजिल से गिरी थी. लोगों ने दीपिका की नब्ज देखी, लेकिन उस में जीवन के कोई लक्षण नजर नहीं आए. उस के दिल की धड़कन भी थम चुकी थी.

इस बीच दीपिका का पति विक्रम भी नीचे आ गया. वह दीपिका को देख कर उस से लिपट गया और रोते हुए कहने लगा, ‘‘दीपिका, तुम मुझे छोड़ कर क्यों चली गई?’’

सोसायटी के सिक्योरिटी वालों ने पुलिस को इस की सूचना दे दी. पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना मिलने पर ग्वाल पहाड़ी पुलिस चौकी इंचार्ज विनय कुमार मौके पर पहुंच गए.

पुलिस ने मौकामुआयना कर विक्रम से प्रारंभिक पूछताछ की और लाश पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल की मोर्चरी में भिजवा दी. पुलिस ने इस बारे में रात को ही सोसायटी के कुछ लोगों से पूछताछ की.

पूछताछ में पुलिस को पता चला कि विक्रम और दीपिका में कई महीनों से झगड़ा चल रहा था. झगड़े का कारण विक्रम के शेफाली से प्रेम संबंध थे. इसी बात को ले कर दोनों में अकसर झगड़ा होता था.

पुलिस ने विक्रम से पूछताछ की तो उस ने बताया कि आज वह औफिस में लेट हो गया था. दीपिका बारबार फोन कर रही थी. वह उस से जल्दी आने को कह रही थी पर वह औफिस से जल्द नहीं आ सका. जब वह घर पहुंचा तो इस बात को ले कर दीपिका उस से झगड़ा करने लगी. वह कह रही थी कि वह मायके जा रही है. दीपिका मायके जाने के लिए निकली तो वह उसे सीढि़यों के पास छोड़ने के लिए आया, तभी दीपिका ने गुस्से में बालकनी से नीचे छलांग लगा दी.

मामला संदिग्ध था, इसलिए पुलिस ने रात को ही दीपिका के मायके वालों को सूचना दे दी. उस दिन पुलिस की जांचपड़ताल में आधी रात से ज्यादा का समय बीत गया, इसलिए आगे की काररवाई और पोस्टमार्टम अगले दिन करना तय किया गया.

दीपिका के पिता हरिकिशन आहूजा चंडीगढ़ में रहते हैं. खबर सुनते ही वह अपने घरवालों के साथ 28 अक्तूबर को गुड़गांव पहुंच गए. आहूजा ने पुलिस को बताया कि दीपिका ने करीब 5 साल पहले सन 2013 में गुड़गांव के रहने वाले विक्रम सिंह चौहान से प्रेम विवाह किया था. शादी के समय दीपिका की नियुक्ति गुड़गांव में ही थी.

आहूजा ने पुलिस को बताया कि विक्रम के अंसल वैली की ही रहने वाली शेफाली नाम की किसी विवाहित महिला से प्रेम संबंध थे. दीपिका इस का विरोध करती थी तो विक्रम उस से मारपीट करता था. कई बार विक्रम अपनी उस महिला मित्र के घर चला जाता था. वह महिला भी विक्रम के फ्लैट पर आती रहती थी.

आहूजा ने आरोप लगाया कि करवाचौथ की रात दीपिका और उस के पति विक्रम के बीच उसी महिला को ले कर विवाद हुआ था. इस की जानकारी दीपिका ने उन्हें फोन कर के दी थी. इस दौरान गुस्से में विक्रम ने दीपिका को बालकनी से नीचे फेंक दिया. उन्होंने दीपिका के पति विक्रम सिंह चौहान के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज करा दी.

पुलिस ने दीपिका के शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद लाश उस के परिजनों को सौंप दी. दीपिका का विसरा जांच के लिए विधिविज्ञान प्रयोगशाला भेज दिया गया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला कि करवाचौथ के व्रत के कारण उस के पेट में अन्न का एक दाना नहीं गया था. भूख व प्यास की वजह से उस की अंतडि़यां सूखी हुई थीं. होंठों पर मोटी पपड़ी जम गई थी.

डीएलएफ फेज-1 थाना पुलिस ने आवश्यक जांचपड़ताल के बाद दीपिका के पति विक्रम सिंह को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने 29 अक्तूबर को उसे अदालत में पेश कर 2 दिन के रिमांड पर लिया.

पुलिस ने जांचपड़ताल की तो यह बात सामने आई कि दीपिका को धक्का दे कर गिराया गया था. इस के कुछ चश्मदीद भी पुलिस को मिले. दूसरी ओर रिमांड के दौरान पूछताछ में विक्रम लगातार यही कहता रहा कि दीपिका ने खुद ही छलांग लगाई थी. अफेयर के बारे में विक्रम ने पुलिस को बताया कि शेफाली से केवल उस की जानपहचान थी. वह शादीशुदा महिला है.

पुलिस ने उस महिला के बारे में पता लगा कर उस से पूछताछ करने का फैसला किया. अपार्टमेंट के लोगों से महिला का पता मिल गया. पुलिस जब शेफाली के फ्लैट पर पहुंची तो पता चला, वह 6-7 महीने की गर्भवती है और फिलहाल अस्पताल में भरती है.

अस्पताल में शेफाली से पूछताछ संभव नहीं थी, इसलिए पुलिस ने अस्पताल से उसे छुट्टी मिलने का इंतजार किया. विक्रम की 2 दिन की रिमांड अवधि पूरी होने तक पुलिस उस से ऐसी कोई बात नहीं उगलवा सकी, जिस से यह साबित होता कि दीपिका की हत्या की गई थी.

इस दौरान पुलिस को कोई अन्य ठोस सबूत भी नहीं मिला. इस पर पुलिस ने 31 अक्तूबर को विक्रम को फिर अदालत में पेश कर 3 दिन का रिमांड मांगा. अदालत ने विक्रम का 2 दिन का रिमांड और बढ़ा दिया.

बाद में पुलिस ने विक्रम का मोबाइल और लैपटौप जब्त कर लिया. इन की जांच में पता चला कि विक्रम शेफाली के संपर्क में था. दोनों वाट्सऐप और कई सोशल साइट के जरिए चैटिंग करते थे.

ईमेल की जांच में गूगल ड्राइव पर दोनों के निजी फोटो और वीडियो भी पुलिस को मिले. इस बीच रिमांड अवधि पूरी होने पर पुलिस ने विक्रम को अदालत में पेश किया. अदालत ने उसे जेल भेज दिया.

दोनों की चैट हिस्ट्री और ईमेल में मिले सबूतों के आधार पर पुलिस ने कई दिन की जांचपड़ताल के बाद 13 नवंबर, 2018 को विक्रम सिंह चौहान की 35 वर्षीय महिला मित्र शेफाली भसीन को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने शेफाली को दीपिका की हत्या की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया. जरूरी पूछताछ और सबूत जुटाने के बाद पुलिस ने उसे अदालत में पेश किया, जहां से उसे भोंडसी जेल भेज दिया. पुलिस को जांच में पता चला कि गुड़गांव की अंसल वैली व्यू के उसी अपार्टमेंट में रहने वाली शेफाली शादीशुदा थी. वह पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद एक टीवी न्यूज चैनल में भी काम कर चुकी थी.

पुलिस की ओर से विक्रम और शेफाली से की गई पूछताछ और जुटाए गए सबूतों से दीपिका हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार है—

शेफाली ने अपने कालेज के बौयफ्रैंड से शादी की थी. वह अपने पति के साथ गुड़गांव की अंसल वैली व्यू में रहती थी. शेफाली का पति अमेरिका की एक कंपनी में काम करता था.

उस का पति अप्रैल 2015 में अंसल वैली का अपना दूसरा फ्लैट बेचना चाहता था. इसी सिलसिले में शेफाली की विक्रम सिंह चौहान से पहली बार मुलाकात हुई थी. बाद में उन की मुलाकातें बढ़ती गईं और उन के बीच दोस्ती हो गई.

विक्रम और शेफाली की मौर्निंग वाक पर अकसर रोजाना मुलाकातें होने लगीं. ये मुलाकातें और दोस्ती धीरेधीरे प्यार में बदल गई. विक्रम को जब भी मौका मिलता, वह शेफाली के फ्लैट पर चला जाता था. शेफाली भी विक्रम के फ्लैट पर आतीजाती थी.

विक्रम और शेफाली की प्रेम कहानी की जानकारी उस अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों को भी हो गई थी. बाद में विक्रम की पत्नी दीपिका को भी इस बारे में पता चल गया. दीपिका ने इस बात का विरोध किया तो विक्रम को यह बात नागवार लगी. उस ने दीपिका से मारपीट की. यह दीपिका की मौत से करीब साल भर पहले की बात है.

पत्नी के बारबार समझाने के बाद भी विक्रम की आदतों में कोई सुधार नहीं आया. वह शेफाली के मोहपाश में बंधा रहा. दोनों के बीच संबंध बने रहे. दीपिका किसी भी तरह अपने पति और परिवार को टूटने से बचाना चाहती थी. इसलिए उस ने अपने परिवारजनों और ससुराल वालों से बात की. सभी ने विक्रम को बहुत समझाया लेकिन विक्रम ने सब की बातों को अनसुना कर दिया. वह अपनी करतूतों से बाज नहीं आया.

विक्रम और शेफाली की नजदीकियां कम होने के बजाय बढ़ती गई. अप्रैल, 2018 में दोनों 5 दिन के टूर पैकेज पर घूमने के लिए लेह-लद्दाख गए. इसी दौरान विक्रम और शेफाली ने आपस में शादी करने का फैसला कर लिया. लेकिन परेशानी यह थी कि दोनों ही शादीशुदा थे.

शेफाली ने विक्रम को विश्वास दिलाया कि वह अपने पति से तलाक लेने की बात कर लेगी, लेकिन विक्रम के लिए दीपिका के रहते हुए शेफाली से शादी करना मुश्किल था. इस के बाद दोनों ने इस बात पर विचार किया कि दीपिका से कैसे पीछा छुड़ाया जाए.

लेह-लद्दाख से लौटने के बाद विक्रम ने दीपिका से तलाक लेने की बात कही. लेकिन दीपिका ने इनकार कर दिया. इस पर दोनों के बीच झगड़े होने लगे. दीपिका ने अपने पति से तलाक लेने के बारे में अपनी मां से बात की, तो मां ने उसे पति के परमेश्वर होने की सीख दे कर चुप करा दिया.

दीपिका की मां को भरोसा था कि बेटी की कोशिशों से विक्रम का मन बदल जाएगा. दीपिका ने सासससुर से भी विक्रम के तलाक मांगने पर बात की. इस पर उन्होंने भी बेटे को कई बार समझाया, लेकिन विक्रम ने किसी की बात नहीं मानी.

इस बीच शेफाली ने पति को अपने अफेयर के बारे में बता दिया और उस से तलाक लेने की बात कही. इस पर शेफाली का पति तलाक देने पर सहमत हो गया. उस ने तलाक के पेपर भी तैयार करवा लिए थे.

दूसरी ओर दीपिका के तलाक न देने से विक्रम और शेफाली परेशान थे. दीपिका से पीछा छुड़ाने के लिए विक्रम उसे नैनीताल ले कर गया. उस की योजना थी कि नैनीताल में वह पहाड़ों पर घूमने के दौरान दीपिका को धक्का दे देगा.

इस तरह उस का दीपिका से पीछा छूट जाएगा. लेकिन दीपिका को खतरे का अहसास हो गया, इसलिए वह होटल के कमरे से बाहर नहीं निकली. वह पहाड़ों पर भी नहीं गई. विक्रम के साथ वह केवल बाजार जाने को तैयार हुई.

विक्रम और दीपिका के नैनीताल में रहने के दौरान भी शेफाली की विक्रम से सोशल मीडिया पर लगातार चैटिंग होती रही. इस में शेफाली विक्रम को दीपिका से छुटकारा पाने के लिए उकसाती रही. दीपिका के पहाड़ों पर चलने से इनकार करने पर विक्रम और दीपिका में झगड़ा हो गया था.

इस के बाद विक्रम पत्नी व बच्चों के साथ तीसरे दिन ही गुड़गांव वापस लौट आया. नैनीताल से लौटने से पहले विक्रम ने शेफाली को मैसेज भेज दिया था कि वह कहीं नहीं जा रही, इसलिए साइट सीन देखने का प्लान रद्द करना पड़ा है.

दीपिका और विक्रम के नैनीताल से गुड़गांव लौटने के दूसरे ही दिन करवाचौथ थी. करवाचौथ पर विक्रम के लिए दीपिका ने तो व्रत रखा ही था, विक्रम के लिए उस की प्रेमिका शेफाली ने भी व्रत किया था. करवाचौथ के दिन भी शेफाली ने विक्रम से दीपिका को मारने के संबंध में गूगल टाक के जरिए बात की थी. इस में शेफाली ने कहा, ‘‘कमीनी को बालकनी से नीचे फेंक दो.’’

उस दिन शाम को जब विक्रम औफिस से अपने फ्लैट पर आया तो उसे दीपिका के साथ मातापिता भी मिले. मातापिता ने भी उसे समझाया. लेकिन उस ने उन की बात नहीं मानी.

इस दौरान शेफाली का मैसेज विक्रम के मोबाइल पर फिर आया. इस में उस ने विक्रम को ताना मारते हुए कहा कि तुम लूजर हो. तुम से कुछ नहीं होगा. इस से विक्रम बौखला गया. उस ने दीपिका से उसी समय पीछा छुड़ाने का फैसला कर लिया.

रात करीब 9 बज कर 37 मिनट पर उस ने बाहर बालकनी में खड़ी दीपिका को आठवीं मंजिल से नीचे धक्का दे दिया. कहा जाता है कि इस दौरान विक्रम का भाई अमित भी उस के साथ था. दीपिका उस से विनती करती रही कि मुझे मत मारो, मैं अपने बच्चों से बेहद प्यार करती हूं.

धक्का देते समय दीपिका ने विक्रम के एक हाथ को कस कर पकड़ लिया था. लेकिन विक्रम ने अपना हाथ उस से छुड़ा लिया. इस से विक्रम की कलाई पर दीपिका के नाखूनों के निशान भी आ गए, जो बाद में मैडिकल जांच में सामने आए.

दीपिका ने अपने बचाव के लिए काफी हाथपैर मारे. उस ने अपने पैर बालकनी की रेलिंग में फंसा लिए, लेकिन विक्रम ने उस के पैरों को रेलिंग से खींच कर धक्का दे दिया.

दीपिका के नीचे गिरते ही विक्रम मदद के लिए चिल्लाता हुआ नीचे की तरफ भागा. जिस समय दीपिका को धक्का दिया गया था, उस समय दीपिका का दुधमुंहा बेटा और मासूम बेटी अपने कमरे में सो रहे थे.

पुलिस को जांचपड़ताल में दीपिका की हत्या में अमित के शामिल होने का भी पता चला है. पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि दीपिका को 8वीं मंजिल से फेंकने के दौरान अमित भी फ्लैट पर मौजूद था. अमित गुड़गांव में ही एक कंपनी में सौफ्टवेयर इंजीनियर है. अमित अंसल वैली में ही अपने मातापिता के साथ दूसरे फ्लैट में रहता है.

शेफाली की गिरफ्तारी के बाद वह फरार हो गया. कथा लिखे जाने तक पुलिस अमित को तलाश रही थी. अमित के पिता ने उस के विदेश जाने की बात पुलिस को बताई है, जबकि पुलिस का मानना है कि आरोपी अमित देश में ही कहीं छिपा हुआ है. पुलिस ने अमित की गिरफ्तारी के लिए हवाई अड्डों पर अलर्ट भेजा है.

गुड़गांव की जिला अदालत ने दीपिका की हत्या की सहआरोपी शेफाली को 25 नवंबर, 2018 को 2 महीने के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया. अदालत ने मैडिकल ग्राउंड पर शेफाली को यह राहत दी.

करीब 8 महीने की गर्भवती शेफाली ने अदालत में याचिका दाखिल कर कहा था कि डाक्टरों ने उस की प्रीमैच्योर डिलिवरी की आशंका जताई है. अदालत ने शेफाली की याचिका मंजूर करते हुए आदेश दिया कि इस 2 महीने के दौरान उसे देश से बाहर जाने की इजाजत नहीं होगी.

यह विडंबना रही कि दीपिका के लिए करवाचौथ का त्यौहार काल बन कर आया. जिस पति के लिए दीपिका ने करवाचौथ का व्रत रखा, उसी ने दूसरी मोहब्बत के लिए ब्याहता को मौत की नींद सुला दिया.

शेफाली ने विक्रम को हासिल करने के लिए भले ही दीपिका को मरवा दिया, लेकिन क्या वह कभी चैन की नींद सो पाएगी.

सामाजिक पतन की इंतहा में 2 मासूम बच्चों के सिर से मां का आंचल तो छिन ही गया, पिता का प्यार भी उन्हें नहीं मिल पाएगा. फिलहाल दोनों मासूम ननिहाल में हैं.

पवित्र बंधन : जीजासाली का अनोखा रिश्ता- भाग 2

पापा तो बिलकुल फिट हैं,” अपनी आंखें चमकाते हुए महिमा बोली, “रोज सुबह सैर और योगा करना नहीं भूलते. खाना भी एकदम कायदे से लेते हैं. ऐसा नहीं कि कुछ भी खा लिया. सच कहूं दीआज हम युवाओं से ज्यादा बुजुर्ग लोग अपनी सेहत पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैंजो अच्छी बात है. लेकिन युवा आज एकदूसरे से आगे बढ़ने की होड़ में ऐसे भाग रहे हैं कि अपनी सेहत की उन्हें चिंता ही नहीं है.

उस की बात पर मुक्ता ने भी हामी भरी कि वह सही कह रही हैक्योंकि वह भी अपनी सेहत पर कहां ध्यान दे पाती है. औफिस और घर के बीच ऐसी पिसती रहती है कि अपने लिए उसे समय ही नहीं मिलता.दोनों बहनों को बातों में मशगूल देख पीछे मुड़ कर विवेक बोला, “अरे भईमुझ से भी कोई बात करेगाया ड्राइवर ही समझ लिया है आप दोनों ने मुझे?” उस की बात पर दोनों खिलखिला कर हंस पड़ीं.

वैसेमेरी प्यारी साली साहेबाआप को यहां आने में कोई तकलीफ तो नहीं हुई न?”“नहीं जीजूकोई तकलीफ नहीं हुई और फिर एसी’ बोगी में तो आराम ही आराम होता है. पता ही नहीं चला कि कब पटना से ट्रेन अहमदाबाद पहुंच गई.वैसे जीजूआप लग बड़े स्मार्ट रहे हो. एकदम रणबीर सिंह की तरह. यह दी के प्यार का असर है या कोई और बात है बताओबताओ.

पहले तो  थैंक यू’ मुझे स्मार्ट बोलने के लिएफिर बता दूं साली साहेबा कि ऐसी कोई बात नहीं हैक्योंकि तुम्हारी दीदी मुझे छोड़ती ही नहींजो जरा इधर झांकूं भी,” हंसते हुए विवेक बोला, “वैसे,आप भी किसी हीरोइन से कम नहीं लग रही हैं,” अपनी तारीफ सुन महिमा मुसकरा पड़ी. बात कहते हुए वह खिड़की से बाहर भी देख रही थी. बड़ीबड़ी बिल्डिंगेंघरकंपनियांमौल देखदेख कर उस की तो आंखें ही चुंधियां रही थीं. कुछ ही देर बाद गाड़ी एक बड़े से टावर के पास आ कर रुक गई.

वाउ जीजूआप का यह घर तो पहले वाले घर से भी बड़ा है,” घर में कदम रखते ही महिमा की आंखें चमक उठी.औरये बालकनी तो देखोजैसे एक कमरा ही हो. वाहकितना अच्छा नजारा दिख रहा है बाहर का. बहुत मजा आता होगा न आप दोनों को यहां बैठ कर चाय पीने मेंऔर वहां पटना में एक हमारा घर,” मुंह बनाते हुए महिमा कहने लगी, “ बसखिड़की और दरवाजे से ही झांकते रहो. और इनसान भी वहां के इतने बोरिंग और इरिटेटिंग कि पूछो मत. लड़की देखी नहीं कि घूरने लगते हैंजैसे खा ही जाएंगे. इसलिए पापाभैया मुझे घर से ज्यादा बाहर निकलने नहीं देते हैं.

उस की बात पर चुटकी लेते हुए विवेक बोला, “अब लड़के तुम जैसी खूबसूरत लड़कियों को नहीं घूरेंगे तो फिर किसे घूरेंगेलेकिनतुम ने यहां आ कर अच्छा नहीं किया महिमा. बेचारेअब उन लड़कों का क्या होगा किसे घूरेंगे अब वे…?” विवेक की बातों पर मुक्ता को भी जोर की हंसी आ गई.

हूं… ले लो मजे आप दोनों भी,” झूठा गुस्सा दिखाते हुए महिमा बोली.चलोअब बाकी बातें बाद मेंपहले फ्रेश हो जाओ. तब तक मैं सब के लिए चाय बनाती हूं,” कह कर मुक्ता किचन में चली गई और महिमा फ्रेश होने.यहां का बड़ा और साफसुथरा बाथरूम देख कर महिमा का मन खुश गया. मन तो किया कि झरने के नीचे खड़े हो कर पहले खूब नहा ले.  लेकिन मुक्ता ने आवाज दीतो वह बाहर आ गई. दोनों को चाय दे कर मुक्ता अपनी भी चाय ले कर बालकनी में आ गई और चाय के साथ बातों का सिलसिला चल पड़ा.

मुक्ता पटना और वहां के लोगों के बारे में खैरखबर लेती रही और महिमा यहां के बारे में जानकारी प्राप्त करने लगी. इसी बीच जीजासाली में नोकझोंक और हंसीमजाक भी चलता रहा. शाम को तीनों बाहर घूमने निकल पड़े और बाहर से ही खापी कर देर रात वापस आए.अब इसी तरह इन की रूटीन लाइफ बन गई थी. हर छुट्टी वाले दिन ये लोग कहीं न कहीं घूमनेफिरने निकल पड़ते थे.

बिग बॉस 16 को अलविदा कह सकते ये कंटेस्टेंट , जानें नाम

सलमान खान का शो बिग बॉस 16 सोशल मीडिया पर धमाल मचाए हुए है, इस शो को शुरू हुए 1 सप्ताह से ज्यादा का वक्त हो चुका है. इस शो में कई तरह के धमाल हो रहे हैं.

कंटेस्टेंट में अब खटपट होनी शुरू हो गई है, नॉमिनेशन प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिसमें कैप्टन गौतम विज ने 4 लोगों को नॉमिनेट करने का लिस्ट निकाला है.

 

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घर में श्रिजिता और गोरी नागोरी को नॉमिनेशन लिस्ट में रखा गया है, शालिन भनोट को उनके गलत व्यवहार की वजह से पहले ही नॉमिनेट किया जा चुका है.

शालिन भनोट ने कैप्टेंसी टॉस्क में गौतम विज को धक्का दे दिया है, उनके इस व्यवहार पर बाकी घरवालों ने भी सजा की मांग की थी. साथ ही उन्हें कैप्टेंसी के टॉस्क से भी अलग कर दिया गया है.

गोरी और श्रिजिता के झगड़े में एमसी स्टेन ने साथ दिया था. स्टेन की इस बात से गौतम ने उऩ्हें नॉमिनेट कर दिया था.

वहीं  जब गोरी नागोरी के साथ लड़ाई हुई थी तो श्रिजिता ने आवाज उठाई थी, श्रिजिता ने कहा था कि इससे पता चलता है कि वह किस माहौल में पले बड़े हैं. श्रिजिता की गलती होेने पर गौतम ने उन्हें नॉमिनेट किया था.

सुहाना खान की ड्रेस देख ट्रोलर्स को आईं उर्फी की याद

शाहरुख खान की बेटी सुहाना खान काफी ज्यादा चर्चा में बनी रहती हैं. हाल ही में सुहाा खान का एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वह सेक्सी लुक में नजर आ रही हैं. सुहाना खान के इस तस्वीर को देखने के बाद से फैंस काफी ज्यादा सवाल कर रहे हैं.

दरअसल सुहाना खान इस तस्वीर में पिंक कलर का टॉप पहनी हैं , इस टॉप के साथ उनकी प्यारी स्माइल लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर रही है. सुहाना खान की इस नई तस्वीर ने सोशल मीडिया पर धमाल मचा दिया है.

 

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पिंक टॉप के साथ सुहाना खान ने ब्लू रंग की जिंस पहनी हुईं है. जो काफी ज्यादा खूबसूरत लुक दे रहा है. सुहाना का यह लुक लोगों को खूब पसंद आ रहा है. सुहाना ने अलग रंग का नेल पेन्ट भी लगा रखा है, जो उनके कपड़े को मैच कर रहा है.

सुहाना खान के इस तस्वीर को देखने के बाद कुछ फैंस अलग तरह के भी कमेंट कर रहे हैं, जैसे कुछ फैंस ने सुहाना खान को उर्फी जावेद से भी कंम्पेयर कर दिया है. सुहाना खान इस तस्वीर में मेकअप लगाए नजर आ रही हैं. सुहाना का रिंग भी फैंस को खूब पसंद आ रहा हैं.

अनिता की समझदारी : इंस्पेक्टर सबको थाने क्यों ले गए

गरमी की छुट्टियों में पापा को गोआ का अच्छा और सस्ता पैकेज मिल गया तो उन्होंने एयरटिकट बुक करा लिए. अनिता और प्रदीप की तो जैसे मुंहमांगी मुराद पूरी हो गई थी. एक तरफ जहां हवाईयात्रा का मजा था वहीं दूसरी तरफ गोआ के खूबसूरत बीचिज का नजारा देखने की खुशी थी. अनिता ने जब से अपने सहपाठी विजय से उस की गोआ यात्रा का वृत्तांत सुना था तब से उस के मन में भी गोआ घूमने की चाह थी. आज तो उस के पांव जमीं पर नहीं पड़ रहे थे. बस, इंतजार था कि कब यात्रा का दिन आए और वे फुर्र से उड़ कर गोआ पहुंच गहरे, अथाह समुद्र की लहरों का लुत्फ उठाएं. उस का मन भी समुद्र की लहरों की तरह हिलौरे मार रहा था. अनिता 12वीं व प्रदीप 10वीं कक्षा में आए थे. हर साल पापा के साथ वे किसी हिल स्टेशन पर रेल या बस द्वारा ही जा पाते थे, लेकिन पहली बार हवाई यात्रा के लुत्फ से मन खुश था.

आखिर इंतजार की घडि़यां समाप्त हुईं और वह दिन भी आ गया जब वे अपना सामान पैक कर कैब से एयरपोर्ट पहुंचे और चैकिंग वगैरा करवा कर हवाईजहाज में बैठे. करीब ढाई घंटे के मजेदार हवाई सफर के बाद वे दोपहर 3 बजे गोआ एयरपोर्ट पहुंच गए, जहां बाहर होटल का कर्मचारी हाथ में तख्ती लिए उन्हें रिसीव करने आया था. बाहर निकलते ही सामने होटल के नाम की तख्ती लिए कर्मचारी को देख प्रदीप बोला, ‘‘वह रहा पापा, हमारे होटल का कर्मचारी.’’

पापा उस ओर मुखातिब हुए और उस व्यक्ति को अपना परिचय दिया. उस ने उन्हें एक तरफ खड़े होने को कहा और अन्य सवारियों को देखने लगा. फिर सब सवारियों के आ जाने पर उस ने अपनी ट्रैवलर बस बुलाई और सब को ले कर होटल रवाना हो गया. अनिता ने जिद कर खिड़की की सीट ली. ट्रैवलर बस सड़क किनारे लगे ऊंचेऊंचे नारियल के पेड़ों से पटी सड़कों पर दौड़ती जा रही थी. हरियाली, समुद्र के साइडसीन व मांडवी नदी पर बने पुल से बस गुजरी तो बड़ेबड़े क्रूज को नदी में तैरते देख अनिता ‘वाऊ’ कहे बिना न रही. होटल पहुंचे तो शाम हो चुकी थी. पापा ने बताया, ‘‘यहां क्रूज का लुत्फ उठाना अलग ही मजा देता है, थोड़ा आराम कर लेते हैं फिर क्रूज के सफर का मजा लेंगे.’’

ठीक 6 बजे सभी फ्रैश हो कर क्रूज की सवारी के लिए रवाना हो गए. रास्ते में प्राकृतिक नजारे, हरियाली, नारियल के पेड़ों का मनोरम दृश्य देखते ही बनता था. अनिता और प्रदीप ने कईर् सैल्फी लीं.

टैक्सी से उतरते ही सामने खड़े क्रूज को देख वे हतप्रभ रह गए. आते समय मांडवी नदी में तैरता क्रूज कैसे छोटी सी नाव सा दिख रहा था, पर वास्तव में दोमंजिला यह जहाज कितना बड़ा है. क्रूज के अंदर का नजारा भी दिलचस्प था. यहां छत पर डीजे बज रहा था तो निचली मंजिल पर खानेपीने की दुकान व अन्य इंतजाम था. क्रूज की छत से सनसैट का बहुत ही सुंदर नजारा दिख रहा था. लगभग एक घंटा क्रूज का लुत्फ उठा, मांडवी नदी की सैर कर स्टेज पर वहां के लोकल नृत्य देख वे फूले न समाए. उन्होंने यहां कई फोटो लिए. उन का यहां से वापस आने का मन नहीं कर रहा था.

अगले दिन जब वे बीचिज घूमने निकले तो अनिता ने डिमांड की कि अंजुना बीच चलते हैं, क्योंकि उस के सहपाठी विजय ने वहां के अप्रतिम सौंदर्य के बारे में बताया था.

‘‘हांहां, क्यों नहीं,’’ पापा ने कहा और टैक्सी से वे अंजुना बीच के लिए रवाना हो गए. अंजुना तट के पास वर्ष 1920 में निर्मित अलबुकर्म का महल है जो 8 स्तंभों से घिरा है. इसे देख वे बीच पर आ कर लहरों का मजा लेने लगे.

तभी पापा के पास 2 व्यक्ति आए और अपने होटल के बारे में बताते हुए बोले, ‘‘हम सिर्फ होटल का प्रचार कर रहे हैं साथ ही आप को गिफ्ट भी देंगे. आज के लकी स्कीम वाले ब्रौशर हमें दिए गए हैं. बस, आप अपना फोन नंबर और कहां से आए हैं बताएं और कार्ड स्क्रैच करें,’’ ब्रौशर में कई मुफ्त गिफ्ट के फोटो छपे थे. पापा ने फोन नंबर व नाम आदि लिखवाया व कार्ड स्क्रैच किया तो उस में मोबाइल लिखा मिला जिस से पापा के चेहरे पर भी मुसकुराहट आ गई. फिर उन दोनों ने उत्साहित होते हुए पापा को बताया कि हम आप को अपना होटल दिखाएंगे. जहां ले जाना व वापस छोड़ना फ्री रहेगा, फिर गिफ्ट देंगे.

पापा को लालच भी आया सो वे उन की बात मान टैक्सी में बैठ गए, लेकिन अनिता को यह अटपटा लग रहा था. वह मन ही मन सोच रही थी कि भला कोई किसी को फ्री में कुछ भी क्यों देगा? लगभग 2 किलोमीटर चल कर वह टैक्सी वाला उन्हें एक महलनुमा होटल के रिसैप्शन पर छोड़ कर चला गया. रिसैप्शन पर बैठी रिसैप्शनिस्ट ने पापा से हाथ मिलाया व अपना परिचय देते हुए बताया कि हम आप तीनों के लिए गिफ्ट भी प्रोवाइड करेंगे. बस, आप यह फौर्म भर दें.

फौर्म में नाम, पता, फोन नंबर और क्रैडिट कार्ड की डिटेल तक मांगी गई थी. साथ ही उन्होंने क्रैडिट कार्ड दिखाने को भी कहा. फिर अंदर से 2 युवतियां आईं जो देखने में ठीक नहीं लग रही थीं, उन्होंने भी पापा से हाथ मिलाया. रिसैप्शनिस्ट ने बताया कि ये दोनों युवतियां आप को होटल दिखाएंगी, लेकिन अनिता को उन की बातें खल रही थीं, ‘आखिर क्यों कोई फ्री में किसी को महंगे मोबाइल गिफ्ट करेगा सिर्फ होटल दिखाने के लिए?’ तभी उन में से एक युवती बड़ी अदा दिखाती हुई बोली, ‘‘आइए न, आप को होटल दिखाती हूं. हमारे होटल में हर तरह की सुविधा है.’’

अभी वह कुछ और कहती कि अनिता ने पापा को बुलाया और कहा, ‘‘पापा क्या आप मेरी बात समझ पाएंगे. मुझे लगता है ये लोग फ्रौड हैं. रूम दिखाने के बहाने कस्टमर को रूम में ले जाते हैं और युवती को अकेले में तंग करने का आरोप लगाते हैं फिर उसे ब्लैकमेल करते हैं. ‘‘पिछली बार मेरे क्लासफैलो विजय और उस के दोस्त गोआ आए थे तो उन के साथ बिलकुल ऐसी ही घटना घटी थी. उस ने मुझे बताया था. ये युवतियां भी मुझे कुछकुछ ऐसा ही इशारा करती दिखती हैं. बी अलर्ट पापा.’’ अनिता की बात सुन पापा का भी माथा ठनका, लेकिन तभी होटल की युवती बोली, ‘‘रुक क्यों गए. चलिए न,’’ और पापा का हाथ पकड़ कर ले जाने लगी.

पापा को लगा अनिता ठीक कह रही है यह इतने अपनेपन से हमें क्यों होटल दिखाएगी, लेकिन वे विरोध नहीं कर पाए. तब तक अनिता ने मम्मी व प्रदीप को भी सारी बात बता दी थी, ‘‘मम्मी आप ही सोचिए, कोई युवती इस तरह किसी का हाथ पकड़ कर ले जाती है भला?’’ अब मम्मी व प्रदीप ने भी पापा को रोका, प्रदीप बोला, ‘‘पापा, दीदी ठीक कह रही हैं, कोई हमें फ्री में गिफ्ट, फ्री में गाड़ी में यहां लाना व वापस छोड़ना क्यों करेगा भला? जरूर दाल में कुछ काला है.’’

अब पापा को भी किसी अनहोनी की आशंका लगी, अत: वे रूड होते हुए बोले, ‘‘छोड़ो मेरा हाथ, नहीं देखना मुझे तुम्हारा होटल,’’ फिर वे रिसैप्शन पर गए और वहां से अपना डिटेल भरा फौर्म ले कर फाड़ दिया और बोले, ‘‘फ्री के झांसे में हम नहीं आने वाले हटो, अगर गिफ्ट देना था, होटल ही दिखाना था तो क्रैडिट कार्ड की डिटेल क्यों भरवाईं,’’ कहते हुए पापा बाहर निकल गए. पीछेपीछे अनिता, प्रदीप व मम्मी भी चल दिए. होटल की ये युवतियां जाल में फंसा मुरगा हाथ से निकलने पर कुढ़ती हुई अपना सा मुंह ले कर रह गईं. बाहर आ कर वे राहत महसूस करते हुए अनिता की तारीफ कर रहे थे. उन्हें लग रहा था जैसे वे किसी बड़ी मुसीबत में फंसने से बच गए हैं. अब वे वापस अंजुना बीच जाने का रास्ता पूछना चाहते थे कि तभी वहां एक नवविवाहित जोड़ा आपस में लड़ता दिखा. वे दोनों एकदूसरे पर इलजाम लगा रहे थे तुम्हारे कारण ही फंसे, युवती कहती तुम ने मोबाइल गिफ्ट का लालच किया.

उन की बातें सुन अनिता को अपनी कहानी से जुड़ता वाकेआ लगा सो अनिता ने उन से पूछा, तो पता चला कि ठीक उसी तरह उस जोड़े को भी अंजुना बीच से मोबाइल गिफ्ट का सब्जबाग दिखा कर होटल लाया गया था. अंदर जा कर होटल दिखाने के बहाने होटल की उन लड़कियों ने मोबाइल व पर्स तक छीन लिया. फौर्म में भरी क्रैडिट कार्ड की डिटेल दिखा कर बोले इस में लिखा है कि तुम इस कार्ड से पेमैंट करोगे. उन्होंने पुलिस बुलानी चाही पर उन्होंने बाउंसर रखे हुए हैं जो पकड़ कर उन्हें सड़क पर फेंक गए. अनिता ने फिर समझदारी दिखाई और बोली, ‘‘पापा, हमें पुलिस को कंप्लेंट कर इन की मदद करनी चाहिए.’’

‘‘नहीं,’’ वह युवक बोला, ‘‘उन्होंने फौर्म में हमारा, हमारे होटल का पता व रूम नंबर भी लिखवाया है और कहा है कि अगर तुम ने शिकायत की तो वहीं बाउंसर भेज कर पिटाई करवा देंगे.’’

‘‘ओह, तो क्या उन की धमकी से डर कर शिकायत भी नहीं करोगे. पापा, आप शिकायत कीजिए, हम अपना वाकेआ भी बताएंगे.’’

पापा को लगा अनिता ठीक कह रही है अत: उन्होंने पास के थाने में जा कर शिकायत की. पुलिस ने भी मुस्तैदी दिखाते हुए छापा मारा तो उस होटल से कई युवतियां पकड़ी गईं. यह एक गैंग था. पकड़े जाने पर रिसैप्शनिस्ट ने बताया कि हमारे गैंग के लोग बीच पर आए भोलेभाले लोगों को गिफ्ट के लालच में फ्री में गाड़ी में बैठा कर यहां लाते हैं. ‘‘फिर हम लोग होटल दिखाने के बहाने उन की सारी डिटेल भी लिखवा लेते हैं व होटल घुमाते हुए युवतियां पुरुष पर छेड़छाड़ का इलजाम लगा उन्हें धमकाती हैं. फिर इज्जत बचाने के लिए वे लोग सब दे जाते हैं व किसी से कहते भी नहीं.’’

इंस्पैक्टर ने सभी को गाड़ी में बैठाया और थाने ले आए जहां मीडिया वाले भी पहुंच चुके थे. सभी अनिता की समझदारी की तारीफ कर रहे थे. पापा ने भी अनिता की पीठ थपथपाई, ‘‘अनिता, आज तुम्हारी समझदारी से न केवल हम सब लुटने से बच गए बल्कि इस कपल्स का लुटा सामान भी वापस मिल पाया और गैंग का भंडाफोड़ हुआ सो अलग. मुझे तुम पर गर्व है बेटी.’’ सुबह होटल के रैस्टोरैंट में नाश्ते को पहुंचे तो वहां पड़े अखबार में अनिता की समझदारी के चर्चे पढ़ कर पापा गर्व महसूस कर रहे थे. आसपास के लोगों को भी घटना का पता चला तो उन्होंने आ कर अनिता की पीठ थपथपाई व उस की समझदारी की तारीफ की. नाश्ता कर वे अपने अगले पड़ाव वैगेटोर बीच की ओर प्रस्थान कर गए. इस घटना ने उन की गोआ यात्रा को अविस्मरणीय बना दिया था.

मुखरित मौन

वेदना के स्वर-भाग 3 : शची ने राजीव का हाथ क्यों थामा

उस ने शची को पहली ही मुलाकात में साफसाफ बताया कि जन्म से अमेरिका में ही रहने के कारण वह हिंदी का एक शब्द भी नहीं जानता, परंतु भारतीय संस्कृति का वह सम्मान करता है. शची की उस ने एक भी फिल्म नहीं देखी, परंतु हिंदी फिल्म जगत में वह उस के विशिष्ट स्थान के बारे में जानता है और चाहता है परिश्रम से मिली यह सफलता वह गंवाए नहीं. भारत, अमेरिका की दूरी कम से कम रुपयों के संदर्भ में विशेष अर्थ नहीं रखती. यदि दोनों का विवाह हुआ तो वे दोनों अपनेअपने व्यवसाय के साथ ईमानदारी बरतते हुए भी हमसफर बने रह सकते हैं.

शची को भला और क्या चाहिए था. रीतिरिवाजों से विवाह हुआ. यह धमाकेदार खबर सभी अखबारों में प्रमुखता से छाई. सभी प्रमुख टीवी चैनलों में उस का इंटरव्यू लेने की होड़ सी लग गई.

उज्ज्वल चेहरे पर बारबार काली घटा सी मचलने वाली जुल्फों को बहुत ही अदा से संवारते हुए अपनी मोहक मुसकान के साथ वह खनकदार आवाज में इठला कर कह उठती, ‘जी हां, मैं बहुत खुश हूं. मुझे वैसा ही जीवनसाथी मिला है जिस की मैं ने कल्पना की थी.’

कभीकभी कोई पत्रकार प्रशांत के बारे में पूछने की कोशिश करता तो शची विनम्रता से इनकार कर देती, ‘नो पर्सनल क्वेश्चन, प्लीज.’

शची का एक पैर भारत में तो दूसरा अमेरिका में होता. दुनिया उस के कदमों तले बिछी हुई थी. हवाई जहाज से सफर के दौरान समुद्र की अलग गहराइयां और आकाश की अंतहीन सीमा उसे निरंतर अपना काम करने हेतु उकसाती रहती. वह व्यस्त होती गई. इन व्यस्तताओं के बीच प्रशांत के बारे में पता लगाने की न फुरसत मिली, न छुट्टी.

इस संसार में कोई भी चीज स्थाई नहीं है, तो मायानगरी भला इस से अपवाद कैसे होती. वहां तो स्वार्थ और अस्थिरता और भी घृणित रूप में प्रकट होती है. फिल्मी दुनिया में प्रतिदिन सैकड़ों कलाकार उदय होते हैं और फिर धीरेधीरे लुप्त हो जाते हैं.

 

उम्र का प्रभाव धीरेधीरे शची के शरीर और चेहरे पर स्पष्ट होने लगा. मेकअप की परतें भी असली उम्र छिपाने में असफल सिद्ध होने लगीं. कभी बिजली जैसी गति से किए गए नृत्य अब चपलता खोने लगे. ये सारे परिवर्तन हुए तो इर्दगिर्द के कैमरों की रोशनियों का धीरेधीरे मंद हो जाना स्वाभाविक ही था.

शची के लिए उम्र के इस पड़ाव पर रुकना अब जरूरी हो गया बल्कि यों कहना उचित होगा कि उसे रोक दिया गया. छोटेमोटे महत्त्वहीन रोल औफर होने लगे, लेकिन आसमान की बुलंदियां छू लेने के बाद मामूली ऊंचाइयां गले लगाने में उसे उकताहट होने लगी.

शची की दौड़ पर विराम लग गया. अब वह घरगृहस्थी में रुचि लेना चाहती थी, लेकिन घर को उस की अनुपस्थिति में भी सुचारु रूप से चलने की आदत थी. सो, उस की उपस्थिति जरूरी नहीं थी.

 

राजीव अपने काम में पूरी तरह व्यस्त था. जैसे उसे शची के फिल्मों में काम करने पर कोई आपत्ति नहीं थी, उसी तरह फिल्में छोड़ देने के निर्णय से भी कोई लेनादेना नहीं था.

उस का स्पष्ट मत था कि हर व्यक्ति को अपने निर्णय खुद ही लेने चाहिए. उस में किसी दूसरे व्यक्ति का हस्तक्षेप अनावश्यक दखलंदाजी होती है.

यह अमेरिकी संस्कृति का प्रभाव था. भारत में तो हर व्यक्ति की समस्या उस के परिवार की ही नहीं, उस के पड़ोसियों और परिचितों की भी होती है. व्यर्थ के कितने ही सुझाव और बिन मांगे अनगिनत मशवरे मिलते हैं. कई बार इसी कारण मन डांवांडोल होने के अवसर आते हैं. उस समय तो इन बातों पर बहुत झल्लाहट महसूस होती थी मगर आज वह दिल से चाहती है कि कोई उसे रोके, टोके, सुझाव दे, उस के कार्यकलाप पर टिप्पणी करे.

शची के फिल्मों में जाने के निर्णय पर उस की मम्मी को तो नहीं पर उस की मम्मी की सहेली को एतराज था.

‘हुंह, आंटी को क्या मतलब है. मेरी जिंदगी है, मैं जो चाहे करूं,’ शची आगबबूला हो जाती.

कभी उस की मौसी, तो कभी बूआ फिल्मनगरी की विसंगतियां समझातीं और उसे फूंकफूंक कर कदम रखने की सलाह देतीं तो वह बड़बड़ाने लगती, ‘मैं क्या बच्ची हूं जो अपना भलाबुरा नहीं समझूंगी.’ परंतु अब आज शची को उन बातों का महत्त्व समझ में आ रहा है.

इन छोटीछोटी बातों में ही जीवन की एक बड़ी सचाई छिपी होती है कि व्यक्ति अकेले, निपट अकेले जी नहीं सकता. उसे एक अपनत्व की जरूरत सदा रहती है. यह स्नेहभरा आलंबन ही उस का जीवन रस है.

व्यक्ति की महत्त्वाकांक्षा के पीछे स्वयं अपनी पहचान स्थापित करने की चाह छिपी होती है. पहचान कायम होते ही प्रशंसक मिलते हैं, आत्मसंतुष्टि मिलती है. पहचान खो जाते ही प्रशंसक भाग खड़े होते हैं, आत्मसंतुष्टि आत्मप्रवंचना साबित होती है. लेकिन अपनों का प्रेम इन सब से ऊपर होता है. यही प्रेम अनेक रूपों में प्रकट होता है. कभी चिंता व्यक्त करता है तो कभी उत्सव मनाता है. कभी हर्षित होता है तो कभी उदासी का आवरण ओढ़ लेता है. कभी स्वतंत्रता देता है तो कभी रेशमी बंधन.

‘बंधन,’ चौंक उठी शची. एक दिन इसी रेशमी स्नेहबंधन से बांधना चाहा था उसे प्रशांत ने, उस की मां ने भी. किस ने दिया था इतना अधिकार उन्हें? उस के प्रति उन के अथाह प्रेम ने ही तो.

आज जो कुछ शची समझ पा रही है, पहले क्यों नहीं समझ पाई?

राजीव की निर्विकार भलमनसाहत उस के गले नहीं उतर रही है. उस के निर्लप्त प्रणय निवेदन से उसे कोफ्त होने लगी. उस की सास का उस के व्यक्तिगत मामले में दखल न देना शची को बहुत अजीब लगता.

 

उस का भावुक भारतीय मन इस परिवेश को स्वीकार नहीं कर पा रहा था. उसे लगता कि यह सुख, ऐशोआराम उस विशाल सागर सा अनुपयोगी है जिस की एक बूंद भी पीने लायक नहीं होती. प्रेम का निर्मल निर्झर वह पीछे, बहुत पीछे छोड़ आई है.

राजीव उस की मद्धिम पड़ती आभा से अनजान था. शची को लगता, वह उस से उन्मुक्त प्रेम नहीं करता, न सही, पर आवेश में आ कर उस से लड़झगड़ तो सकता है. कुछ तो हो जिस से जिंदगी की झलक मिले. कुछ तो हो जिस से धीरेधीरे शिला में तबदील हो रहे उस के अस्तित्व में जान महसूस हो.

अब तो राजीव के व्यवहार में उसे अपने प्रति ऊब स्पष्ट दिखाई देती. ठीक ही तो था, अमेरिकी संस्कृति की सोच है ‘यूज एंड थ्रो.’ शायद वह भी अपवाद नहीं है. इस भोगवादी परिवेश में पलेबढ़े राजीव को वह कैसे समझाती कि भारत में पत्नी को सिर्फ प्रणयिनी नहीं बल्कि गृहिणी, सखी और सचिव का भी दरजा दिया जाता है.

इसी खिन्न मनोदशा में उस ने राजीव से पूछा, ‘क्या तुम मुझ से प्यार नहीं करते?’

‘ओह, यह बात कहां से आई तुम्हारे दिमाग में?’ राजीव को ऐसी भावनात्मक बातों से चिढ़ होती थी. लिहाजा, वह तुनक कर बोल उठा.

‘यों ही, बैठेबैठे सोच रही थी. प्यार के लक्षण ये तो नहीं होते. जिस से अपनापन होता है उस से क्या इस कदर बेगाना हो कर रहा जा सकता है. राजीव, क्या तुम नहीं जानते कि अपनों का प्यारदुलार ही नहीं, ताने, उलाहने और डांटफटकार भी किस कदर जरूरी होती है जीने के लिए?’

यह सुन कर राजीव मुसकरा कर बोला, ‘किस फिल्म के डायलौग हैं ये, मैडम?’

‘ये डायलौग नहीं हैं, राजीव, यह मेरे मन की आवाज है, मेरे मन की पुकार है.’

‘क्या तुम्हें प्रशांत की याद आ रही है?’ राजीव ने पूछा. उस ने गौसिप कौलम में उस के और प्रशांत के बारे में पढ़ रखा था और स्वयं शची ने भी उस से कुछ नहीं छिपाया था.

‘भारत में पत्नी के पूर्व प्रेमी के बारे में इतनी सहजता से नहीं पूछा करते?’

‘यह भारत नहीं है, डार्लिंग. इस देश में किसी की खातिर अपनी जिंदगी बरबाद नहीं की जाती. तुम यहां खुश नहीं हो तो वापस चली जाओ. मेरे साथ न रहना चाहो तो प्रशांत के साथ रह लो या कोई नया साथी ढूंढ़ लो.’

उफ, किस कदर आवेगहीनता के साथ कह रहा था राजीव. शची के दिल में हूक सी उठी. आस्थाओं के टूटने का दर्द भीतर तक महसूस किया उस ने.

‘तुम्हें बुरा नहीं लगेगा?’ शची ने पूछा.

‘लग भी सकता है, लेकिन तुम्हारी अपनी जिंदगी है, तुम्हें जीनी चाहिए अपनी मरजी से.’

‘मेरी और तुम्हारी जिंदगी अब एक है, राजीव,’ कह कर शची राजीव के सीने से लिपट कर फफकफफक कर रोने लगी. उस के आंसुओं की नमी, उस की बांहों की ऊष्मा शायद राजीव के अभेद्य कवच को पिघला दे और उस का दिल भी उसी तरह धडक़ने लगे जैसे शची का धडक़ता है लेकिन राजीव ने सदा की तरह शची के निश्च्छल भावुक आत्मनिवेदन को प्रणय का आह्वान समझा. कुछ ही देर बाद वह गहरी नींद सो गया, परंतु शची की आंखों से नींद कोसों दूर थी. क्या देह से परे कुछ भी नहीं सोच पाता राजीव. जिस बात को उस ने राजीव की समझदारी समझा था वह, दरअसल, संवेदनहीनता थी. सुलझे विचारों वाला राजीव घरगृहस्थी और शची की उलझनों से भी मुक्त ही था.

 

प्रशांत से विवाह लगभग तय होने के बावजूद उस ने सीमा लांघने की कभी चेष्टा नहीं की. कभीकभी वही अभिसारिका बन जाती, लेकिन प्रशांत ने उस के असाधारण रूपयौवन को सिर्फ मुग्ध आंखों से सराहा. कभीकभी शब्दों में भी अभिव्यक्त किया, लेकिन अपने प्रेम की गरिमा को बनाए रखा, ‘मैं तुम्हें शादी के बाद संपूर्ण रूप से पाना चाहता हूं, शची,’ वह भावुक स्वर में कहता.

अनजाने में शची का मन प्रशांत और राजीव में तुलना करने लगता. ऐसे ही अवसाद के क्षणों में जब उसे रोहित कापडिय़ा ने अपनी फिल्म में एक चरित्रप्रधान अभिनेत्री का रोल औफर किया तो वह इनकार न कर सकी. बड़ी भाभी का यह किरदार आम भाभियों के किरदार से अलग था. यह एक परिपक्व स्त्री का किरदार था. वह भी अब कच्ची उम्र की कहां रही. उसे ऐसे हालात से समझौता करना सीखना होगा वरना अवसाद के इस अंधे कुएं में वह इस कदर डूब जाएगी कि कोई चाह कर भी उसे ढूंढ़ नहीं पाएगा. स्वयं को बचाने का यही तरीका है कि अभिनय की दूसरी पारी खेल ली जाए.

वह 8 साल बाद वापस लौट रही थी. इतने सालों में उस का मन और कोख दोनों रीते ही रहे. संतान के लिए राजीव कभी उत्सुक नहीं रहा. उस का कहना था कि संतान हम दोनों के महत्त्वाकांक्षी जीवन में सब से बड़ी बाधा बन सकती है.

जब शची फिल्मों से दूर रही तब भी राजीव पर दबाव नहीं डाल सकी. उसे लगता, कहीं राजीव की संतान भी उसी की तरह एक यंत्रचालित पुतला बन कर न रह जाए.

 

पहले जब वह भारत आती, दूरदूर तक फैले आकाश का विस्तार उसे चकित करता. नएनए क्षितिजों को छू लेने के लिए मन मचल उठता लेकिन आज उसे लगता है, आसमान वही है पर उस का अस्तित्व कितना नगण्य है. इस विस्तार को बांहों में समेटना तो दूर, उसे निर्दयता से खाली हाथ लौटाया गया है.

शूटिंग की गहमागहमी में सारे निराशावादी विचार दूर भाग गए. नए उत्साह के हीरोहीरोइन थे. सब उसे सम्मान दे रहे थे. सीन शुरू होने से पहले सब उस से सलाहमशवरा कर रहे थे. उसे बहुत भला सा लग रहा था. बड़प्पन का भाव लिए वह बैठी रही.

सीन शुरू हुआ. हीरोहीरोइन की मासूम नोकझोंक का दृश्य था, जिसे हीरो की भाभी छिपछिप कर देखती है और उन के बीच पनपे प्रेम के अंकुर का पता लगाती है. भाभी की शरारतपूर्ण छेड़छाड़ पर हीरो पहले तो इनकार करता रहता है, बाद में अपने प्रेम की स्वीकृत देता है.

शौट के ओके होते ही शची कुरसी पर वापस बैठ गई.

वर्षों बाद शौट देने व उस के ओके होने से खुश शची में जैसे नया आत्मविश्वास जागा था. अभी वह आत्मविभोर सी बैठी ही थी कि तभी उसे कलाकारों की भीड़ में प्रशांत दिखाई दिया.

वह तीर सी भीड़ में से रास्ता बनाती हुई उस के पास पहुंच गई.

‘प्रशांत, तुम यहां कौन सा रोल कर रहे हो? सब से पहले तो यह बताओ कि तुम कैसे हो, तुम्हारी हालत तो पहले जैसी नहीं दिखार्ई देती? क्या अपनी तबीयत का बिलकुल खयाल नहीं रखते? पहले से ऐसे ही लापरवाह हो तुम,’ कहती शची जोर से बोली, ‘प्रशांत, कहां खो गए. मैं तुम्हारी शची. मुझे भूल गए क्या? कुछ बोलते क्यों नहीं?’ शची धाराप्रवाह बोलती जा रही थी.

प्रशांत ने शुष्क होंठों पर जबान फेरी, ‘नहींनहीं, भूला कहां हूं. तुम्हारे आने की खबर सुन कर ही तो यहां आया हूं. जानता था, तुम तो मुझ से मिलने आओगी नहीं.’

‘क्या बात करते हो, प्रशांत…आज की शूटिंग के बाद मैं तुम्हारे घर आने ही वाली थी. क्या मैं तुम्हें कभी भूल सकती हूं…पर क्या तुम ने फिल्में करना छोड़ दिया है? तुम्हारे बारे में मैं ने बहुत दिनों से कुछ पढ़ा नहीं, कुछ सुना भी नहीं.’

‘कैसे पढ़ोगी. आकाशगंगा से जब कोई तारा टूटता है तो आकाशगंगा पर उस का परिणाम होते क्या कभी देखा है. यह तो कोई उस टूटे तारे से पूछे कि उस के दिल पर क्या गुजरती है,’ प्रशांत फीकी हंसी हंस कर रह गया. उस दिन शूटिंग से निबट कर वह रोहित कापडिय़ा के साथ डिनर ले रही थी. उन्होंने ही उसे बताया, ‘शची, तुम्हारी शादी के बाद प्रशांत बिलकुल टूट चुका था.

‘शूटिंग पर देर से जाना, बेमन से काम करना, हमेशा खोयाखोया सा रहना उस की आदतों में शुमार हो गया. हृदयहीन फिल्मी दुनिया की जानलेवा प्रतियोगिता ऐसे लोगों को दूसरा अवसर कहां देती है. लोग उस पर हंसते हैं, उस का मजाक बनाते हैं.’

एक क्षण रुक कर रोहित कापडिय़ा ने आगे कहना शुरू किया, ‘लोग उस से संवाद सुनाने की फरमाइश करते हैं और वह शुरू हो जाता है: ‘जन्मजन्मांतर से ऋणी हूं तुम्हारा. तुम ने मुझे प्रेम करना सिखाया…’ ‘शायद यह तुम दोनों की पहली फिल्म का संवाद था, शची. अपनी जिंदगी को इस तरह घुला लेने से यथार्थ को झुठलाया तो नहीं जा सकता न. लेकिन कौन समझाए उसे…’

शची का हृदय जैसे फट जाना चाहता था. संवाद के शब्द उस के तनमन में वेदना के स्वर जगा रहे थे, एक निश्च्छ्हल एहसास की रसमय धारा शुष्क रेगिस्तानी जमीन पर बह कर निष्फल हो गई थी.

अनकहा प्यार- भाग 1: क्या सबीना और अमित एक-दूसरे के हो पाए?

वे फिर मिलेंगे. उन्हें भरोसा नहीं था. पहले तो पहचानने में एकदो मिनट लगे उन्हें एकदूसरे को. वे पार्क में मिले. सबीना का जबजब अपने पति से झगड़ा होता, तो वह एकांत में आ कर बैठ जाती. ऐसा एकांत जहां भीड़ थी. सुरक्षा थी. लेकिन फिर भी वह अकेली थी. उस की उम्र 40 वर्ष के आसपास थी. रंग गोरा, लेकिन चेहरा अपनी रंगत खो चुका था. आधे से ज्यादा बाल सफेद हो चुके थे. जो मेहंदी के रंग में डूब कर लाल थे. आंखें बुझबुझ सी थीं.

वह अपने में खोईर् थी. अपने जीवन से तंग आ चुकी थी. मन करता था कि  कहीं भाग जाए. डूब मरे किसी नदी में. लेकिन बेटे का खयाल आते ही वह अपने झलसे और उलझे विचारों को झटक देती. क्याक्या नहीं हुआ उस के साथ. पहले पति ने तलाक दे कर दूसरा विवाह किया. उस के पास अपना जीवन चलाने का कोई साधन नहीं था. उस पर बेटे सलीम की जिम्मेदारी.

पति हर माह कुछ रुपए भेज देता था. लेकिन इतने कम रुपयों में घर चलाए या बेटे की परवरिश अच्छी तरह करे. मातापिता स्वयं वृद्ध, लाचार और गरीब थे. एक भाई था जो बड़ी मुश्किल से अपना गुजारा चलाता था. अपना परिवार पालता था. साथ में मातापिता भी थे. वह उन से किस तरह सहयोग की अपेक्षा कर सकती थी.

उस ने एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का काम शुरू कर दिया. वह अंगरेजी में एमए के साथ बीएड भी थी. सो, उसे आसानी से नौकरी मिल गई. सरकारी नौकरी की उस की उम्र निकल चुकी थी. वह सोचती, आमिर यदि बच्चा होने के पहले या शादी के कुछ वर्ष बाद तलाक दे देता, तो वह सरकारी नौकरी तो तलाश सकती थी. उस समय उस की उम्र सरकारी नौकरी के लायक थी. शादी के कुछ समय बाद जब उस ने आमिर के सामने नौकरी करने की बात कही, तो वह भड़क उठा था कि हमारे खानदान में औरतें नौकरी नहीं करतीं.

उम्र गुजरती रही. आमिर दुबई में इंजीनियर था. अच्छा वेतन मिलता था. किसी चीज की कमी नहीं थी. साल में एकदो बार आता और सालभर की खुशियां हफ्तेभर में दे कर चला जाता. एक दिन आमिर ने दुबई से ही फोन कर के उसे यह कहते हुए तलाक दे दिया कि यहां काम करने वाली एक अमेरिकन लड़की से मुझे प्यार हो गया है. मैं तुम्हें हर महीने हर्जाखर्चा भेजता रहूंगा. मुझे अपनी गलती का एहसास तो है, लेकिन मैं दिल के हाथों मजबूर हूं. एक बार वापस आया तो तलाक की शेष शर्तें मौलवी के सामने पूरी कर दीं और चला गया. इस बीच एक बेटा हो चुका था.

आमिर को कुछ बेटे के प्रेम ने खींचा और कुछ अमेरिकन पत्नी की प्रताड़ना ने सबीना की याद दिलाई. और वह माफी मांगते हुए दुबई से वापस आ गए. लेकिन सबीना से फिर से विवाह के लिए उसे हलाला से हो कर गुजरना था. सबीना इस के लिए तैयार नहीं हुई. आमिर ने मौलवी से फिर निकाह के विकल्प पूछे जिस से सबीना राजी हो सके. मौलवी ने कहा कि 3 लाख रुपए खर्च करने होंगे. निकाह का मात्र दिखावा होगा. तुम्हारी पत्नी को उस का शौहर हाथ भी नहीं लगाएगा. कुछ समय बाद तलाक दे देगा.

‘ऐसा संभव है,’ आमिर ने पूछा.

‘पैसा हो तो कुछ भी असंभव नहीं,’ मौलाना ने कहा.

‘कुछ लोग करते हैं यह बिजनैस अपनी गरीबी के कारण. लेकिन यह बात राज ही रहनी चाहिए.’

‘मैं तैयार हूं,’ आमिर ने कहा और सबीना को सारी बात समझई. सबीना न चाहते हुए भी तैयार हो गई. सबीना को अपनी इच्छा के विरुद्ध निकाह करना पड़ा. कुछ समय गुजारना पड़ा पत्नी बन कर एक अधेड़ व्यक्ति के साथ. फिर तलाक ले कर सबीना से आमिर ने फिर निकाह कर लिया.

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