अप्रैल में दालों, चीनी, मसालों, मांस-मछली एवं अंडों के दाम में तेज बढ़ोतरी के कारण खुदरा मूल्य आधारित मुद्रास्फीति की दर बढ़कर तीन महीने के उच्चतम स्तर 5.39% पर पहुंच गई. महंगाई बढऩे से जून में रिजर्व बैंक की ओर से ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीद कम हो गई है.
अप्रैल में रेपो दर 0.25% घटाने के बाद रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने कहा था कि यदि आंकड़े अनुकूल रहते हैं तो भविष्य में और कटौती की जा सकती है. वहीं, मार्च के आंकड़ों से औद्योगिक उत्पादन के सुस्त पड़ने का संकेत मिलता है. विनिर्माण तथा खनन क्षेत्र में उत्पादन घटने के कारण आलोच्य महीने में औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक महज 0.1% बढ़ा. खुदरा महंगाई का यह स्तर इस साल जनवरी के बाद सबसे ज्यादा है.
यूं बढ़ी महंगाई
मार्च में 4.83% , फरवरी में 5.26% और जनवरी में 5.69% रही, जबकि पिछले साल अप्रैल में खुदरा महंगाई 4.87% थी.
दालों की कीमतों में सबसे ज्यादा वृद्धि
रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल महीने में सबसे ज्यादा दालों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. इस अवधि में 34% की बढ़ोतरी हुई है. इसके बाद चीनी और कॉन्फेक्शनरी की कीमतें 11.18% बढ़ी हैं. इसी तरह मीट, अंडे, अनाज और दूसरे प्रमुख खाने-पीने की चीजों में बढ़ोतरी हुई है. खाने-पीने के अलावा लोगों के लाइफस्टाइल पर भी असर हुआ है. अप्रैल में हेल्थ, कपड़े, एजुकेशन से लेकर दूसरी प्रमुख चीजें भी महंगी हुईं हैं.
मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर में बड़ी गिरावट
मार्च में एक ओर बिजली, वाणिज्यिक वाहनों, टेलीफोन उपकरणों, सीमेंट तथा डीजल का उत्पादन बढ़ने से औद्योगिक उत्पादन सूचकांक को बल मिला तो दूसरी ओर रबड़ इंसूलेटेड केबल, चीनी, बॉयलर, स्टेनलेस तथा अलॉय स्टील और प्लास्टिक मशीनरियों का उत्पादन घटने से इस पर दबाव रहा.
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