उत्तर प्रदेश का फतेहपुर जिला 4 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा इलाके में फैला हुआ है. चित्रकूट और बांदा बौर्डर से लगे होने की वजह से यहां अपराध का हमेशा से बोलबाला रहा है. 3 तहसील और 13 ब्लौक वाले इस जिले में तकरीबन 30 लाख की आबादी रहती है. तकरीबन 70 फीसदी साक्षरता वाले इस जिले में एक लोकसभा और 6 विधानसभा क्षेत्र हैं. राज्य हैडक्वार्टर से तकरीबन 80 किलोमीटर दूर चित्रकूट और कौशांबी बौर्डर पर नरसिंहपुर कबरहा गांव है. इस गांव तक धाता से रोडवेज की बसों से सफर कर के पहुंचा जा सकता है. धाता से नरसिंहपुर कबरहा गांव तक का सफर तय करने के लिए साढे़ 3 किलोमीटर दूर का रास्ता टैंपो या दूसरी सवारी गाडि़यों के जरीए भी तय किया जा सकता है. नरसिंहपुर कबरहा गांव में ही 2 सौ हत्याओं के आरोपी दस्यु सरगना ददुआ का मंदिर बनाया गया है. नरसिंहपुर कबरहा गांव के शिवहरे रामजानकी मंदिर को बनाने का काम खुद ददुआ ने किया था. साल 1992 में पुलिस ने ददुआ को फतेहपुर जिले के हरसिंहपुर कबरहा गांव के पास मार गिराया था. एक पुलिस मुठभेड़ में ददुआ बुरी तरह से फंस गया था. उस के बचने की उम्मीद नहीं थी. उस समय ददुआ ने मन्नत मांगी थी कि अगर वह इस मुठभेड़ से जिंदा बच गया, तो कबरहा में हनुमान मंदिर को विशाल बनाएगा.

ददुआ पुलिस मुठभेड़ में बच गया. इस के बाद उस ने यहां मंदिर बनवाया था. साल 2007 में मारे गए ददुआ की मूर्ति इसी मंदिर में उस के भाई बालकुमार ने फरवरी, 2016 में लगवाई. इस मंदिर में ददुआ को देखने वालों की भीड़ जुटने लगी है. गांव के लोग मंदिर में ददुआ की मूर्ति पर अपने जेवर और पैसे चढ़ा रहे हैं. इस में ज्यादातर लोग उस की ही जाति के हैं. उत्तर प्रदेश में पहली बार किसी डकैत का मंदिर बना कर उस का महिमामंडन शुरू किया जा रहा है. अब एक दूसरे डकैत निर्भय गुर्जर का मंदिर बनाने की मांग भी उठ रही है. ददुआ के भाई बालकुमार कहते हैं कि मंदिर उन की निजी संपत्ति है. ऐसे में किसी तरह का विवाद ठीक नहीं है. वे अपने पुरखों की मूर्तियां लगा रहे हैं. इस में किसी को एतराज नहीं करना चाहिए.

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