एक भारतीय किताब महाभारत को लोग बहुत इज्जत देते हैं , जिसमें यह साफ जाहिर है कि जुए के चक्कर में एक महिला को दांव पर लगा दिया गया था. पांचाली को कठपुतली की तरह इस्तेमाल किया गया था, जबकि जुआ पुरुष खेल रहे थे. एक निजी चेनल को दिये इंटरव्यू में दक्षिण भारत के प्रतिभाशाली और लोकप्रिय अभिनेता कमल हासन ने यह सच बयानी की तो कट्टर हिंदुवादियों का खून खौल उठा और उन्हें परेशान करने और सबक सिखाने की गरज से हिन्दू वादी संगठन हिन्दू मुनानी काटची ( एच एम के ) के एक सदस्य आदिनाथ सुंदरम जिनके नाम से ही हिन्दुत्व महकता है ने उनके खिलाफ महाभारत और उसके पात्रों का अपमान करने व हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने को लेकर पी आई एल दाखिल कर दी.
एच एम के के मुखिया अर्जुन सम्पत ( जुए वाले नहीं ) ने आरोप लगाया कि कमल हासन लगातार हिन्दू विरोधी बयान देते रहे हैं और बीते कुछ दिनों में इसमें और इजाफा हुआ है उन्होंने बेवजह ही महाभारत की आलोचना की है जो रामायण के बाद हिंदुओं की भावनाओं से जुड़ा है. क्या वे इतनी शर्मनाक टिप्पणी इस्लाम, कुरान ईसाई धर्म या बाइबिल पर कर सकते हैं अगर कमल हासन माफी नहीं मांगते हैं तो उनके खिलाफ एक बड़ी मुहिम चलाई जाएगी. असल में वे एक बड़े अपराधी हैं जो जन्मना तो ब्राह्मण हैं पर हैं हिन्दू और ब्राह्मण विरोधी और वह हर उस चीज के विरोधी हैं जो तमिलनाडु और भारत के लिए अच्छी है.
देखा जाए तो एच एम के गलत कुछ नहीं कह रहे हैं कि जुआ बड़ा अच्छा और रोमांचक खेल है और यह देश हित में है. इस देश हित के काम में आजकल मोबाइल फोन, घड़ी, अंगूठी, चेन और पेन तक दांव पर लग जाते हैं. द्वापर में पांडवों को पत्नी तक दांव पर लगानी पड़ी थी हालांकि इस पर तत्कालीन धूत विशेषज्ञों ने तकनीकी एतराज यह जताया था कि चूंकि पांडव राजपाट के अलावा खुद को भी हार चुके थे इसलिए उन्हें द्रौपदी को दांव पर लगाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं. लेकिन यह धर्म ही है जो नैतिक अनैतिक के पचड़े में नहीं पड़ता, आज भी यही हो रहा है.
कमल हासन ने कोई नई बात नहीं कही है. सदियों से लोग इस बात को लेकर हैरान परेशान हैं कि इन धार्मिक जुआरियों की इज्जत क्यों की जाती है? कंटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा था इसका जबाब किसी के पास नहीं. इसी तरह पांचाली को दांव पर क्यों लगाया गया यह जिज्ञासा जिज्ञासा ही बनी हुई है. पर इसमें कोई शक नहीं कि स्त्री तब भी सामान थी और आज भी है और पूरी उम्मीद है कि आगे भी रहेगी क्योंकि एच एम के जैसे कट्टर हिंदुवादी संगठन यही चाहते हैं.
कमल हासन का गुनाह नाकाबिले माफी है उन्हें सजा और प्रताड़ना मिलनी ही चाहिए जो उन्होंने एक धार्मिक विसंगति के बाबत मुंह खोलने की जुर्रत की. अब यह बताने के लिए कोई तैयार नहीं की अगर वाकई महाभारत रामायण के बराबर आस्था का ग्रंथ है तो हिन्दू उसे घरों मे क्यों नहीं रखते? इसके साथ ही यह मांग क्यों नहीं करते कि जुए को कानूनी मान्यता दी जाये और पत्नियों को दांव पर लगाने की भी छूट दी जाये क्योंकि धर्म ग्रंथ इसकी अनुमति देते हैं. हम हिन्दू राष्ट्र की घोषणा से कितने कदमों की दूरी पर हैं यह किसी से नहीं छिपा पर कमल हासन के पांव तमिलनाडु की राजनीति में पड़ चुके हैं यह साफ दिख रहा है.
जयललिता की मौत के बाद वहां एक अदद शून्य है जो कोई फिल्म अभिनेता ही भर सकता है और जयललिता के ही नक्शे कदम पर चल रहे एक दूजे के.बासु का नाम और चेहरा इसके लिए बुरा नहीं जिसने हिन्दुत्व और ब्राह्मण विरोधी रास्ता चुना उलट इसके एक दूसरे चमत्कारी अभिनेता रजनीकान्त का झुकाब भाजपा की तरफ दिख रहा है यानि एम जी आर और करुणानिधि के नए अवतार प्रकट हो चुके हैं.
कमल हासन ने अपनी मंशा महाभारत और द्रौपदी की आड़ मे जता दी है अब बारी रजनीकान्त की है जिनकी हिंदूवादियों से डील कुछ शर्तों पर अटकी पड़ी है. आर एस एस भी जल्द इस महाभारत में कूद सकता है बस दिल्ली से कर्मयोगी कृष्ण का इशारा मिलने की देर भर है जो उत्तर प्रदेश की विजय के बाद थोड़ा विश्राम कर रहे हैं.
अच्छी बात यह है कि कमल हासन जैसा और जितना विरोध चाह रहे हैं वह हो रहा है यह उनकी पहली पौ बारह है. पर मुद्दे की बात और संदेश यह है कि धर्म के बारे में बोलना गुनाह है और जो बोले सो वो राष्ट्र द्रोही, पाकिस्तान समर्थक, नास्तिक, पतित और वामपंथी है जो पौराणिक सच बोलकर देश के टुकड़े करना चाहता है लेकिन कमल हासन गुरमेहर नहीं हैं जो घबराकर घर लौट जाएंगे. वे तमिलनाडु की कमजोर नस पकड़ कर मैदान में हैं कि ब्राह्मणवाद नहीं चलेगा, लेकिन द्रविड़ आंदोलन नए तरीके से चलेगा जिसकी अगुवाई एक ब्राह्मण ही करेगा.