रोमांटिसिज्म एरा में जौन कीट्स का ब्रोन के लिए  प्यार गहरा था, जैसा कि कीट्स के फैनी को लिखे गए पत्रों में दिखाई भी देता है. ये पत्र अंगरेजी भाषा के सब से भावुक माने जाते हैं.

क्या ग़ालिब के पास शब्दों की कमी थी? मीर के पास? कैफ़ी आज़मी या गुलजार के पास? नहीं, ये शब्दों के जादूगर थे, हैं. कोई बात कहनी हो तो झट से दिमाग के पिटारे को खंगाला और पटक दिया सामने. भारत का कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका को प्यार भरी बात कहता है तो ग़ालिब की शायरी आधीअधूरी तुतला के कह देता है. क्यों? क्योंकि हमें प्यार भरे शब्द सिखाए ही नहीं जाते. भाव क्या है बताए ही नहीं जाते. धर्म के लिए यह भलीच जैसी बातें जो हैं.

आखिर क्यों दिल टूटने के बाद जौन एलिया साहब याद आते हैं और ‘मुझे चैन क्यूं नहीं पड़ता, एक ही शख्स था जहान में क्या’ बुनबुनाते हैं. प्यार मार्मिक है. दिल को जोड़ता है. धोखा मिलता है तो दिल टूटता है. क्या इसे रील्स की दुनिया में समझा जा सकता है, जहां वीडियो का स्खलन 16-30 सैकेंड में हो जाता है.

मगर दिक्कत और बड़ी है कि सोशल मीडिया ने युवाओं को इन शब्दों से और दूर कर दिया है. गर्लफ्रैंड या बौयफ्रैंड बना लेना प्यार नहीं होता, इस में कोई बड़ी बात नहीं. ओपोजिट सैक्स एकदूसरे के करीब आते ही हैं, पहले भी आते थे या आने की इच्छा रखते थे. प्यार एकदूसरे को अपनी फीलिंग शेयर करना, सपोर्ट करना, केयर करना, सुधारना और बदलना होता है. प्रेम के शब्द गढ़े जाते हैं उन में स्पष्टता होती है, यहां सस्पेक्ट का सुस, डेफिनेटली का हाइली, करिज्मा का रिज, सैक्सी या स्टाइलिश का ड्रिप नहीं चलता, बल्कि चलती है, घुमावफिराव, लफ्फेलफ्फाजी चलता है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...