‘‘पापा, आज मेरी ऐक्स्ट्रा क्लास है, मैं लेट हो जाऊंगी,’’ घर से बाहर निकलते हुए मेघा ने पापा से कहा तो पापा तब तक उसे जाते हुए देखते रहे जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गई. अब आएदिन इस तरह का बहाना सुनना उन की आदत में शुमार हो गया है. लेकिन उन्हें नहीं पता कि ऐक्स्ट्रा क्लास के बहाने उन की बेटी अपने बौयफ्रैंड अजीत से मिलने जाती है. वे जा कर चैक थोड़े न कर रहे हैं कि ऐक्स्ट्रा क्लास में है या कहीं और. इसी तरह ऐजुकेशनल ट्रिप के बहाने एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत आदर्श अकसर घर से बाहर रहता है. वापस आने पर वही पुराना बहाना कि मम्मी इस बार हम शिमला गए थे, खूब ऐंजौय किया, जबकि इसी बहाने वह अपनी गर्लफ्रैंड के साथ घूम कर आ गया. बच्चे अपने पेरैंट्स से बहाने बना कर मौजमस्ती करते हैं और पेरैंट्स बेचारे यकीन कर चुप बैठ जाते हैं. मैट्रो सिटीज में आजकल इस तरह के बहाने न केवल फलफूल रहे हैं बल्कि पेरैंट्स की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रहे ये बहाने पूरी तरह सफल भी हो रहे हैं. जानिए कुछ प्रचलित बहाने, जिन्हें यंगस्टर्स अपनी ढाल बना कर आसानी से बच निकलते हैं :

ऐक्स्ट्रा क्लास यानी फुल मस्ती

सब से अधिक युवा ऐक्स्ट्रा क्लास का बहाना ही बनाते हैं. इस में फंसने का डर भी कम रहता है, साथ ही घर से इस बहाने पूरी छूट भी मिल जाती है. बीसीए का छात्र प्रियांक बताता है कि उसे जब भी संडे के दिन अपनी गर्लफ्रैंड के साथ घूमने जाना होता है तो वह अपने पेरैंट्स से ऐक्स्ट्रा क्लास का बहाना बनाता है. किसी को कुछ पता भी नहीं चल पाता और हम खूब मस्ती भी कर लेते हैं. 3-4 घंटे मौजमस्ती कर के हम वापस भी आ जाते हैं.

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