ऐश्वर्या राय बच्चन और अनुष्का शर्मा के नक़्शेकदम पर चलते हुए दीपिका ने भी कहा है कि वह अपनी बेटी के लिए नैनी नहीं रखेंगी. इस के साथ ही सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई कि अगर दीपिका इतनी बड़ी सेलिब्रेट हो कर नैनी नहीं रख रही, तो घर में रहने वाली हाउस वाइफ को नैनी रखने की क्या जरुरत है?

क्या एक आम महिला की दीपिका से तुलना करना सही है? इस के आलावा क्या दोनों की हैल्थ कंडीशन एक जैसे ही होगी?

कथनी और करनी में फर्क होता है. किसे पता दीपिका पादुकोण के घर यहां नौकरों की पूरी फौज है. वहां बच्चे के लिए नैनी है या नहीं हम नहीं कह सकते? क्या एक सैलीब्रिटी के ऊपर घर की वही जिम्मेवारियां होगीं, जो एक आम महिला के ऊपर है?

वास्तव में आम महिलाओं को ऐसे प्रिविलेज्ड औरतों का उदाहरण देना सही नहीं है. इस बारे में पेशे से टीचर अर्चना का कहना है कि हम में से कइयों को कोई सपोर्ट नहीं मिला. डिप्रेशन पर बात तक नहीं होती. उस मुश्किल और तनहा समय ने मेरा पूरा जीवन बदल दिया. मेरा क्रोनिक पैन बढ़ गया. अवसाद ने कई बार मुझे मौत के दरवाजे पर ला कर खड़ा कर दिया. किसी प्रिविलेज्ड स्त्री की चौइस को आम स्त्रियों पर थोपना भी अतिवाद नहीं शोषण है.

इस बारे में आशा जोकि एक हाउसवाइफ हैं उन का कहना है कि यह नहीं भूलना चाहिए कि सैलिब्रिटी पर घर गृहस्थी की जिम्मेवारी नहीं होती. एकएक काम के लिए 10 -10 हेल्पिंग हैंड होते हैं. हमें तो बच्चे के साथ पूरा घर भी संभालना होता है. शारीरिक और मानसिक स्वास्थय के लिए भी सैलिब्रिटी को मदद होगी लेकिन हमें हेल्पिंग हैंड बहुत लिमिट में मिले होते हैं. इसलिए यह अपनी सिचुएशन पर निर्भर करता है की नैनी रखनी है या नहीं.

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