‘ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे,

जो हो परदेश में वो किस से रजाई मांगे.’

यह शेर मशहूर शायर व गीतकार राहत इंदौरी ने सर्दी यानी ठंडक को ले कर लिखा है. वैसे, ठंडक को ले कर कई फिल्मों में गाने फिल्माए गए हैं. कवियों और साहित्यकारों ने ठंडक को ले कर बहुत तरह की रचनाएं की हैं, जिस से साफ है कि ठंड का जीवन में कितना प्रभाव होता है. देशी कहावतें भी बहुत हैं. एक बहुत मशहूर कहावत है कि जाड़ा कहता है- ‘बच्चों से हम बोलते नहीं, जवान हमारे सगे भाई, बूढ़ों को हम छोड़ते नहीं चाहे ओढें सात रजाई.’

असल में ठंड इतनी भी डरावनी नहीं है. ठंड से डरें नहीं, ठंड के मजे लें. सब से अच्छा मौसम ठंड का ही होता है. इस सीजन में बीमारियां कम होती हैं. मौसमी फल और सब्जियां खूब मिलती हैं. खाने का भी मजा ले सकते हैं. तलीभुनी चीजें भी खाने में मजेदार होती हैं.

बहुत सारे लोग सर्दी के महीनों को अपने गरम घरों के अंदर बिताना पसंद करते हैं जबकि ठंडे मौसम में बाहर समय बिताने से मानसिक और शारीरिक दोनों तरह के लाभ मिलते हैं. कुछ लोग घबराते हैं कि ठंड में बाहर रहने से बीमारी हो सकती है. इसी वजह से पेरैंट्स अपने बच्चों से घर के अंदर ही रहने के लिए कहते हैं. सर्दी में जब आप बाहर रहते हैं तो शरीर ऐक्टिव रहता है जिस से ठंड कम लगती है. मैदानी इलाकों में जैसे ही तापमान 10 डिग्री के नीचे जाने लगता है, चारों तरफ विंटर के कहर की बात होने लगती है. बहुत सारे कपड़े, गरमी के साधन, जैसे हीटर, आग और भी बहुतकुछ का प्रयोग होने लगता है.

दिमागी है ठंड का डर

अखबारों में छपने वाली मौसमी खबरों में कंपकंपाती ठंड की खबरें सब से ज्यादा होती हैं. कई बार इस तरह की खबरें देख कर और भी ठंड लगने लगती है. ठंड का मनोविज्ञान से भी जुड़ाव है. इस को जितना महसूस करेंगे, उतनी ही और लगेगी. मैदानी इलाकों के लोग 10 डिग्री के नीचे ही घबरा जाते हैं, जबकि पहाड़ी इलाकों में माइनस डिग्री में भी लोग काम कर रहे होते हैं. मैदानी इलाकों में ही देखें, तो किसान अपने खेतों की सिचाई इसी ठंड के मौसम में करता है. तमाम ऐथलीट देखे होंगे जो ठंड के मौसम में सुबहसुबह दौड़ लगाते दिख जाते हैं. ठंड जितना महसूस करेंगे, उतनी ही लगेगी.

गरमी के मौसम में सूर्य की धूप लेना आसान नहीं होता. धूप में गरमी ज्यादा होती है. जिस से स्किन पर जलन होती है. धूप से अच्छी विटामिन डी मिलती है. यह हड्डियों के स्वास्थ्य और बीमारी की रोकथाम के लिए बहुत जरूरी होती है. विटामिन डी से कई बीमारियों से बचाव होता है. सर्दी के दौरान बाहर रहने का एक और फायदा है कि हमारा शरीर गरमी की तुलना में ठंड में अधिक कैलोरी जलाता है. ऐसे में बौडी फिट रहती है. जब हम ठंड को महसूस कर के केवल घर में बैठे रहते हैं तब वजन घटने के बजाय बढ़ जाता है.

सर्दी की धूप होती है मजेदार

शरीर को गरम रखने के लिए हम अधिक ऊर्जा खर्च करते हैं. यह तब और भी बढ़ जाती है जब हम कांपने लगते हैं. इसलिए हम केवल ठंड में खड़े हो कर वजन कम नहीं कर सकते हैं. सर्दी के समय में बाहर घूमने से लाभ होता है. ऐसे में बाहर निकल कर ठंड के मजे लें. ठंड के डर से खुद को घर में कैद न करें. सर्दी में बाहर समय बिताने से मैंटल हैल्थ भी ठीक रहती है.

सीजनल अफैक्टिव डिसऔर्डर (एसएडी) एक ऐसी स्थिति है जो कई लोगों को होती है. इस में सर्दी के महीनों में अवसाद बढ़ जाता है. इस में थकान महसूस होती है. भूख बढ़ जाती है. इस का सब से अच्छा इलाज प्रकाश एक्सपोजर (यूसी डेविस) होता है.

जिन लोगों को कोई दिक्कत नहीं भी है वे भी सर्दी में अपने मूड या नींद के शैड्यूल में बदलाव कर के ठंड का मजा ले सकते हैं. इस को ‘विंटरब्लूज’ भी कहा जाता है. हर दिन थोड़ी देर टहलने या पार्क की बैंच से पक्षियों को देखने से मूड अच्छा हो जाता है. इस तरह ठंड के दिनों को और मजेदार बना सकते हैं. बाहर घूमने से रचनात्मकता में काफी सुधार होता है. जब किसी पार्क या प्राकृतिक क्षेत्र में समय बिताते हैं तो ध्यान केंद्रित करने में सफलता मिलती है. मैंटल पावर को बढ़ाने के लिए विंटर में भी घूमने का मौका न छोड़ें.

ठंड के हिसाब से घर को ढालें

सावधानी के साथ ठंड में बाहर निकलें. हमेशा परतों जैसे कपड़े पहनें, जिस से जब गरमी लगे तो एक परत उतार सकें. ठंड से पर्याप्त सुरक्षा न होने पर बाहर रहना खतरनाक है. ठंडक में भी भरपूर पानी पीना चाहिए. सर्दी में यदि लंबे समय तक घर के अंदर बंद रहेंगे तो बेचैनी महसूस करेंगे. इसलिए बाहर निकलें, सुरक्षित रहें और आनंद लें. घर को गरम रखने के लिए केवल हीटर का उपयोग न करें. यह बहुत अच्छा नहीं माना जाता है. ठंड के हिसाब से शरीर को ढालने का काम करें. रोजाना ऐक्टिविटी और ऐक्सरसाइज करें. इस से इम्यूनिटी बढ़ेगी, जो ठंड से बचाव में मददगार होगी.

हाथों और पंजों का भी खयाल रखें. जूतों को हलका ढीला कर के पहनें क्योंकि अगर ठंड में ज्यादा टाइट जूते पहनेंगे तो ब्लड फ्लो अच्छे से नहीं होगा. ठंड के मुताबिक ढलने में 3 से 7 दिन का समय लगता है. इस के लिए शरीर को तैयार करना होगा यानी इम्यून सिस्टम को मजबूत करना होगा.

कुछ खानेपीने की चीजों के जरीए भी शरीर को गरम रखा जा सकता है. तुलसी, लौंग, अदरक और कालीमिर्च से बनी चाय पिएं. ग्रीन टी, लेमन टी, ब्लैक टी पी सकते हैं. वैजिटेबल सूप भी ले सकते हैं. विटामिन सी से भरपूर चीजें, जैसे संतरा, नीबू, आंवले का जूस पिएं.

हाथपैर गरम रखने के लिए गरम मोजे और दस्ताने पहनें. सरसों का तेल गुनगुना कर के मालिश करें. तेल से मसाज करने से पंजों का ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है. इस से औक्सीजन की सप्लाई सही होती है. आयरन से भरपूर डाइट, जैसे चुकंदर, पालक, खजूर, अखरोट खाएं. इस तरह से ठंड में डर कर घर में कैद न हों, मौसम का मजा लें. ठंड से अच्छा कोई मौसम नहीं.

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