यूटीआई यानी यूरिनल ट्रैकर इन्फैक्शन महिलाओं में पाया जाने वाला सामान्य संक्रमण भले हो, लेकिन इस के इलाज में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए वरना इस के सामान्य से असामान्य होते देर नहीं लगती.
यूरिनल ट्रैक्ट इन्फैक्शन यानी यूटीआई मूत्रपथ यानी यूरिनरी ट्रैक्ट में होने वाला एक संक्रमण है. यूरिनरी ट्रैक्ट में किडनी, ब्लैडर्स, यूट्रस और यूरेथ्रा शामिल हैं लेकिन सामान्यतौर पर यह संक्रमण सिर्फ ब्लैडर में होता है. अगर हम महिलाओं में होने वाली इस बीमारी की तुलना करें तो यूटीआई और डायबिटीज के बीच सीधा संबंध है.
अगर आप को डायबिटीज है तो यूटीआई होने का जोखिम बढ़ जाता है और यूटीआई होने पर डायबिटीज होने का खतरा भी बढ़ जाता है. इस के अलावा, दोनों बीमारियों के कारण हरेक बीमारी के ठीक होने में समय भी ज्यादा लगता है. उदाहरण के लिए, अगर आप को डायबिटीज हो और आप यूटीआई से प्रभावित हो जाते हैं तो ठीक होने का समय और संक्रमण की दर बढ़ जाएगी.
क्यों होता है यह संक्रमण
यूटीआई महिलाओं में पाया जाना वाला दूसरा सब से सामान्य प्रकार का संक्रमण है और शारीरिक बनावट की वजह से यह पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में 10 गुना अधिक होता है.
यूटीआई के कारण निम्न हैं :
ग्लूकोज का स्तर उच्च होना.
डायबिटीज से पीडि़त लोगों में रक्त संचरण कम हो सकता है, जिस से संक्रमण से शरीर की लड़ने की क्षमता कम हो जाती है.
कुछ लोगों में ऐसा ब्लैडर होता है जो पूरी तरह खाली नहीं होता. परिणामस्वरूप यूरिन लंबे समय तक ब्लैडर में रहता है, जो बैक्टीरिया के लिए पलनेबढ़ने का महत्वपूर्ण कारण है.
इन पर रखें नजर
यूटीआई के वे लक्षण जिन पर डायबिटीज से बचने के लिए आप को नजर रखनी चाहिए:
पेशाब करने पर जलन.
पेशाब करते हुए दर्द होना.
बुखार आना या सर्दी लगना.
पेशाब का रंग पीला या गाढ़ा होना.
बारबार यूटीआई होना.
क्या करें
डाक्टर की सलाह पर एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करें.
यूरिन संक्रमण का उपचार न कराने पर किडनी संक्रमण हो सकता है, जिस से किडनी को नुकसान हो सकता है.
यूटीआई की स्थिति के मुताबिक दवाओं का सेवन करें.
कुछ मामलों में जहां पहले से डायबिटीज हो, वहां यूटीआई का उपचार मुश्किल होता है.
कई महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान यूटीआई और डायबिटीज का सामना करना पड़ता है, जो बहुत ही खतरनाक स्थिति है. ऐसे मामलों में समय से प्रयास और उपचार आवश्यक हैं. जेस्टेशनल डायबिटीज लंबे समय तक या गर्भावस्था के दौरान बनी रह सकती है और ऐसे मामलों में लोगों को यूटीआई के प्रति सावधान रहना चाहिए. इस के अलावा गर्भावस्था के बाद कुछ मामलों में भारी रक्तस्राव होता है, जिस की वजह से यूटीआई को दूर करने के लिए सफाई रखना बहुत महत्त्वपूर्ण है.
डायबिटीज या यूटीआई की पारिवारिक पृष्ठभूमि वाली महिलाओं को नियमित परीक्षण कराना चाहिए. डायबिटीज से बचने के लिए ग्लूकोज के स्तर को दायरे में रखें. यूटीआई और डायबिटीज को दूर रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना सब से अच्छा तरीका है. यूटीआई से प्रभावित हैं तो दही खाएं.
यूटीआई के दौरान सामूहिक शौचालय का इस्तेमाल करने से बचें. अगर आप यूटीआई से संक्रमित हैं तो आप को डायबिटीज के लिए अपना ग्लूकोज स्तर भी जांचना चाहिए. कुछ मामलों में अस्पताल में भरती होना जरूरी हो सकता है. इसलिए अगर आप यूटीआई से प्रभावित हैं तो डायबिटीज की जांच करानी चाहिए.
घातक है दोनों का मिश्रण
हर महिला अपने जीवन में कम से कम एक बार यूटीआई से प्रभावित होती है और बीते कुछ वर्षों के दौरान डायबिटीज भी बहुत ही सामान्य हो गई है. इन दोनों का मिश्रण घातक है. उम्र के साथ जटिलताओं की वजह से परिस्थिति और भी जटिल हो सकती है. हाल में सामने आए अस्पताल में भरती होने के मामलों में यह देखा गया है कि एंटीबायोटिक्स की डोज बढ़ानी पड़ी, क्योंकि ग्लूकोज का स्तर काफी अधिक होता है और बैक्टीरिया को मारने के लिए मरीज को उस डोज की जरूरत पड़ती है.
अगर ब्लड ग्लूकोज का स्तर उच्च हो तो यूटीआई और भी परेशानी भरा हो सकता है. यूटीआई से बचने के लिए सभी को सक्रिय बने रहना चाहिए और सुरक्षित बने रहने के लिए सफाई से रहना चाहिए. अपने प्रसूति रोग विशेषज्ञ के संपर्क में रहें और यूटीआई व डायबिटीज के मामले में एंडोक्राइनोलौजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए.
(लेखिका फोर्टिस मैमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट में औब्सटेट्रिक्स व गायनोकोलौजिस्ट है.)
क्या जल्दी रजोनिवृत्ति होने और डायबिटीज में संबंध है?
शरीर के हार्मोंस में होने वाले बदलाव से डायबिटीज काफी प्रभावित होती है और यह मेटाबौलिक सिंड्रोम व टाइप 2 डायबिटीज होने के प्रमुख कारकों में से एक है.
शरीर में ब्लड ग्लूकोज का स्तर घटाने की जिम्मेदारी एस्ट्रोजन की होती है जबकि प्रोजेस्ट्रोन शरीर में ब्लड ग्लूकोज का स्तर बढ़ाता है. मासिकधर्म के दौरान जैसेजैसे इन दोनों हार्मोंस के स्तर में बदलाव आता है, वैसेवैसे ही शरीर का ब्लड ग्लूकोज स्तर भी घटताबढ़ता है.
चूंकि ये दोनों हार्मोंस इंसुलिन हार्मोन के साथ सक्रिय संपर्क में होते हैं इसलिए ये इंसुलिन के प्रति शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं. परिणामस्वरूप, हर महीने मासिकधर्म शुरू और बंद होने के 3 से 5 दिनों तक महिलाओं को अपना ब्लड ग्लूकोज स्तर बढ़ा हुआ महसूस हो सकता है.
एक अध्ययन में सामने आया है कि किसी महिला में रजोनिवृत्ति जितनी जल्दी होगी उतना ही उस में डायबिटीज होने का जोखिम बढ़ेगा. जैसेजैसे रजोनिवृत्ति होने की उम्र बढ़ती है वैसेवैसे डायबिटीज होने की आशंका घटती है और 4 फीसदी तक घट जाती है. हालांकि, जल्दी रजोनिवृत्ति और डायबिटीज के बीच सीधे कारक और प्रभाव जैसा कोई संबंध नहीं है.
अध्ययन के अनुसार, 55 वर्ष की उम्र के बाद रजोनिवृत्ति होने के मुकाबले 45 वर्ष से 50 वर्ष की उम्र के बीच रजोनिवृत्ति होने से डायबिटीज की आशंका 60 फीसदी अधिक बढ़ जाती है. 50 वर्ष से 54 वर्ष के बीच रजोनिवृत्ति होने से हृदय संबंधी बीमारियों और मृत्यु का जोखिम घट जाता है.
यों तो शोध में खुलासा हुआ है कि हार्मोन थेरैपी से डायबिटीज होने का जोखिम घट सकता है, लेकिन आप को प्राथमिक वजह के तौर पर इस का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इस से आप को डायबिटीज और ओस्टियोपोरोसिस होने का जोखिम शायद घट जाए लेकिन आप को कार्डियोवैस्कुलर डिजीज, स्तन कैंसर, स्ट्रोक, फेफड़ों में खून के थक्के जमना, माइग्रेन, मूड में जल्दीजल्दी बदलाव आने, अवसाद, उबकाई और वैजाइनल ब्लीडिंग होने की आशंका बढ़ जाएगी.
डा. राकेश कुमार प्रसाद, सीनियर कंसल्टैंट, एंडोक्राइनोलौजी विभाग, फोर्टिस अस्पताल, नोएडा