आप 30 -35 साल की हैं और शादी नहीं हुई या आप ने अपनी मर्जी से नहीं की हो तो समाज को और खुद को हैंडल करने के अपनी लाइफ एंजौय करने के कई तरीके हैं. अपनी हमउम्र लड़कियों, शादी शुदा, डाइवोर्सी, कुंवारी लड़कियों से दोस्ती करें. ऐसा करने के अनेक फायदे भी हैं.

महिला मित्र के साथ आप एकदूसरे के घर बेफिक्र हो कर स्टे करने के लिए जा सकती हैं, शहर से बाहर बिना किसी टेंशन के आउटिंग के लिए जा सकती हैं. सेम जैंडर के साथ यानी महिलाओं के साथ दोस्ती से अपोजिट सैक्स के चक्कर में फंसने का डर नहीं होता. किसी लड़की की बजाय अगर आप की दोस्ती किसी पुरूष के साथ है तो समाज के डर से आप को घर से बाहर घूमने जाने पर अलगअलग रूम लेने होंगे,समाज की नजरों से बच कर रहना होगा.

अगर मूवी देखने जा रहे हैं तो लाइन में लग कर टिकट कौन खरीदेगा इस बारे में सोचना पड़ेगा,अगर बाहर लंच या डिनर के लिए साथ गए तो खाने का बिल कौन भरेगा, गाड़ी का टायर पंचर हो गया तो टायर कौन बदलेगा यह सब सोचना पड़ेगा. जबकि अगर वही दोस्ती महिला के साथ होगी तो सब काम मिल बांट कर होंगे, समाज की नजरों और सवालों से बचने की टेंशन नहीं होगी. सारी फीमेल गैंग मिल कर सारे काम एक साथ करेगी और फुल औन मौज मस्ती होगी.

धर्म और समाज के कटाक्षों की चिंता न करें

हमारे टिपिकल भारतीय समाज के मुताबिक लड़कियों को 24-25 तक शादी कर लेनी चाहिए और 30 की उम्र तक उन का कम से कम एक बच्चा तो हो ही जाना चाहिए. लेकिन अगर कोई लड़की ऐसा न कर पाए या न करने का चुनाव करे तो समाज उसे कटघरे में खड़ा कर के उस से रोज 10 तरह के सवाल करता है. लड़कियों को शादी कब करनी चाहिए, बच्चे कब और कितने करने चाहिए, उस के लिए ये सारे फैसले हमेशा से समाज के लोग ही करते आए हैं. लड़की की मर्जी जानना कोई जरूरी नहीं समझता. लेकिन वे लड़कियां जो आज अपने लिए फैसले ले रही हैं समाज और धर्म उन पर भी उंगलियां उठाने और उन्हें समाज से अलग करने से बाज नहीं आता. कई सामाजिक आयोजनों में अधिक उम्र की अविवाहित लड़कियों को हेय दृष्टि से देखा जाता है, उन्हें आमंत्रित नहीं किया जाता ऐसे में 30-35 वर्ष की अविवाहित लड़कियां अपनी खुशी के आयोजनों की प्लानिंग खुद करें और धर्म और समाज के कटाक्षों की बिल्कुल चिंता न करें.

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