हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाए रखने के लिए शरीर को कैल्शियम की जरूरत होती है. और 99 फीसदी से ज्यादा कैल्शियम शरीर के इन्हीं हिस्सों में इकट्ठा होता है. यह तंत्रिका सिग्नल भेजने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, वहीं यह इंसुलिन जैसे हार्मोन का स्राव करता है और मांसपेशियों व रक्त वाहिकाओं के संकुचन को कंट्रोल करता है.
हड्डी के स्वास्थ्य के संदर्भ में, भोजन में कैल्शियम जरूरी मात्रा में नहीं होने से शरीर हड्डियों और दांतों से इस की सप्लाई करता है, जिस से ये कमजोर हो जाते हैं. विटामिन डी आंतों से कैल्शियम के अवशोषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इस की कमी होने से शरीर में कैल्शियम की कमी हो सकती है, इसलिए आप प्राकृतिक स्रोतों (सूर्य की रोशनी) से और सप्लीमैंट्स से विटामिन डी की जरूरत की पूर्ति कर सकते हैं.
किसी भी इंसान की अपनी जिंदगी में प्राप्त होने वाली हड्डी की सब से बड़ी मात्रा, जिसे पीक बोन मास कहते हैं, लड़कियों में 18 साल की उम्र में और लड़कों में 20 साल की उम्र में हासिल की जाती है. इस का करीब 30 साल की उम्र तक बढ़ना जारी रह सकता है. एक बार पीक बोन मास प्राप्त होने के बाद उम्र बढ़ने के साथ महिला व पुरुष दोनों में हड्डियों का धीरेधीरे कमजोर होना शुरू हो जाता है. उम्र बढ़ने के कारण हार्मोनल कारकों की वजह से महिलाओं में पुरुषों की तुलना में हड्डियों का औसतन ज्यादा नुकसान होता है.
मीनोपौज के बाद महिलाओं में हर साल 1 से 2 फीसदी हड्डियों का घनत्व (बोन डैनसिटी) कम होता है. हड्डियों से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए कम उम्र से ही कैल्शियम लेना शुरू कर देना चाहिए. मातापिता होने के नाते बच्चों को कैल्शियमयुक्त संतुलित आहार, जैसे दूध, दही, हरी पत्तीदार सब्जियां और कैल्शियम फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ, विटामिन डी सप्लीमैंट (सूरज की रोशनी, फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ) देना चाहिए. साथ ही, बच्चों को हर दिन कम से कम 60 मिनट हलकी ऐक्सरसाइज करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. स्वस्थ जीवनशैली की अहमियत पर जोर दें. धूम्रपान और कम उम्र में शराब के सेवन से बचें. ये सब हड्डियों के लिए नुकसानदायक होते हैं.