दिल तेरे बिन कहीं लगता नहीं वक्त गुजरता नहीं क्या यही प्यार है. अकसर हर युवा दिल इस सिचुएशन से गुजरता है. अगर आप का हाल ए दिल भी आजकल यही है जनाब, तो आप सही जगह हैं. हम आप को यही समझाना चाहते हैं कि कुछ देर शांति से बैठ कर अपने दिल से पूछ तो लें कि यह प्यार ही है या फिर इंफेक्चुएशन है.
आज तुम्हें वो लड़की बहुत अच्छी लग रही है लेकिन कल उस ने तुम्हारे साथ चलने को मना कर दिया, अपनी डीपी शेयर नहीं की या फिर किसी ओर लड़के से बात कर ली तो कहीं गुस्से में रिश्ता तोड़ने तो नहीं बैठ जाओगे. सच तो यह है कि अगर ये तुम्हारे इंफेक्चुएशन है तो 10 दिन में खतम हो जाएगी. तुम्हे 14-15 साल की उम्र में मालूम ही नहीं कि गर्लफ्रैंड का मतलब क्या होता है. शायद आप के पेरैंट्स भी यही बात कहते होंगे. लेकिन आप चाहें तो खुद इसे एक्सपीरियंस कर के देख लें.
स्टेटस सिम्बल भी है गर्लफ्रैंड या बौयफ्रैंड बनाना
14 वर्षीय आशिमा से जब पूछा गया कि आखिर उसे बौयफ्रेंड की जरूरत क्या है? तो उस का जवाब था कि साथसाथ घूमनेफिरने और पार्टियों में जाने के लिए एक बौयफ्रैंड तो चाहिए ही, वरना लोग सोचेंगे कि मुझ में कोई आकर्षण ही नहीं है.
मेरी सभी सहेलियों के तो बौयफ्रैंड हैं. अगर मैं नहीं बनाउंगी तो लोग मुझे लो क्लास समझेंगे और अपने ग्रुप का पार्ट भी नहीं बनाएंगे और साथ ही मैं उन के ग्रुप में अनफिट हो जाउंगी. अगर आप भी यही सोच कर गर्लफफ्रैंडबौयफ्रैंड बना रहे हैं तो अपने मन का करें नहीं मन है तो न बनाएं क्योंकि कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना.
जमाने को न लगे खबर
गर्लफ्रैंड या बौयफ्रैंड बनाओ तो इस को शेयर ज्यादा मत करो. अगर कभी पब्लिक प्लेस में कोई जानकार मिल जाए तो बौयफ्रैंड या गर्लफ्रैंड कह कर न मिलवाएं. इस का नुकसान आप को ही होगा. उसे क्लासमेट या फिर जस्ट फ्रैंड कह कर मिलवाएं. लेकिन फिर भी अगर किसी से शेयर करना है तो उस से करो जो अपने पेट में बात रख सके. लेकिन एक फ्रैंड को जरूर मालूम होना चाहिए कि मैं इस के साथ इस कैफे में बैठ कर गप्पे मारती हूं, हम स्कूटी में राइड पर जाते हैं.
कुछ तुम कहो कुछ हम कहें
अगर बौयफ्रैंड बना ही लिया है तो उसे परखें और खूब बातें करें और जानें क्या उस का और आप का मेंटल लेवल मैच कर रहा है या नहीं, क्या आप अपनी पूरी जिंदगी उस इंसान के साथ बिताने में कम्फ़र्टेबल हैं भी या नहीं. बातोंबातों में पता करें कि उस की लाइफ के गोल क्या हैं. उस के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचें कि सिर्फ टाइम पास करना है या फिर आप इस रिलेशन को ले कर सीरियस हैं.
अपनी फर्स्ट प्रायोरिटीज तय करें
वैसे तो आप का सब से पहला फोकस अपने कैरियर पर ही होना चाहिए. यही समय है जब पढ़लिख कर कुछ बना जा सकता है. फिर ऐसे गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड तो बहुत मिल जाएंगे पर अगर किसी पर दिल आ ही आ गया है तो कोई नहीं बौयफ्रैंड बनाएं लेकिन फर्स्ट प्रायोरिटी केवल कैरियर ही होना चाहिए क्योंकि गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड तो आतेजाते रहेंगे लेकिन अगर पढ़ाई करने का यह समय चला गया तो फिर लौट कर नहीं आएगा.