‘‘बात जब युवा पीढ़ी की हो तो मेरा मन अनकही ऊर्जा से भर उठता है. अपने युवा बच्चों के साथ समय बिताना मेरा सब से प्रिय काम है. मैं उन की हर बात पर ध्यान देती हूं, उन्हें क्या अच्छा लगता है और क्या बुरा, सब पर ध्यान जाता है मेरा.’’ एक मां का कहना है.
आज की युवा पीढ़ी पुराने समय की युवा पीढ़ी से अत्यधिक जागरूक, समझदार और परिपक्व है. इस का सारा श्रेय आज की टैक्नोलौजी को जाता है. इंटरनैट ने उन की ज्ञान की बढ़ोतरी में बहुत सहयोग दिया है. उन की सोच अपने मातापिता के लिए भी बहुत बदल गई है. वे उन्हें भी अपने जमाने के अनुसार ढालने में उन की जीवनशैली में बदलाव लाने में पूरी कोशिश करते हैं. शिक्षित होने के कारण पहले से अधिक स्वावलंबी और स्वतंत्र हैं. लड़कियां भी अपने जीवनयापन के लिए किसी पर निर्भर नहीं हैं.
आज की युवा पीढ़ी के अपने मातापिता से दोस्ताना संबंध हैं. क्या आज की युवा पीढ़ी अपने मातापिता से सब बातें शेयर कर सकती है? इस विषय पर कई मांओं से चर्चा की गई. पूनम अहमद कहती हैं, ‘‘आज के युवा अपने मातापिता के साथ पिछली पीढ़ी की तुलना में अधिक मित्रवत हैं. मेरी बेटी हो या बेटा, दोनों मुझ से हर विषय पर काफी बातें कर सकते हैं. मैं भी उन से बात कर के उन के साथ समय बिता कर, काफी कुछ सीख सकी हूं.’’
हैदराबाद की लेखिका सुधा कसेरा का मानना भी यही है, ‘‘वे सब बातें शेयर करेंगे यदि मातापिता और बच्चों में दोस्ताना व्यवहार होगा.’’