कहते हैं दोस्ती करना आसान है पर इसे निभाना मुश्किल, क्योंकि इस में पड़ी दरार के दूरगामी परिणाम भी लक्षित होते हैं. हाल ही में महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा और शिवसेना के बीच दोस्ती के बदलते समीकरण ने भाजपा के हाथों से सत्ता की कुरसी परे सरका दी. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस और एनसीपी के साथ शिवसेना के मैत्री गठबंधन ने उद्धव ठाकरे के सिर पर सत्ता का ताज सुशोभित कर दिया.

इसी तरह झारखंड में हाल ही के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और आजसू की मैत्री में दरार पड़ने से वहां भाजपा को शिकस्त का मुंह देखना पड़ा है जबकि कांग्रेस के साथ जेएमएम की दोस्ती ने कमाल दिखाते हुए भारी मतों से अपने बहुमत को स्थापित किया है. इस का मतलब दोस्ती का जादू हर क्षेत्र में समयसमय पर अपने प्रभुत्त्व को दर्शाता रहा है, फिर चाहे स्तर कोई भी हो.

‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे…तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ न छोड़ेंगे…’ दोस्ती पर गीतकार आनंद बख्शी का लिखा यह गीत आज भी लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय है. सच में दोस्ती ऐसा जज्बा है जो कभीकभी प्रकृतिदत्त रिश्तों पर भी भारी

पड़ जाता है. सच तो यह है कि दोस्तों के बगैर हमारी जिंदगी बेरौनक और उदास सी होती है. चूंकि उन के साथ हम अपनी भावनाओं और विचारों की खुली साझेदारी कर सकते हैं, इसलिए उन के साथ बिताए पलों में हम अकसर खुल कर ही अपनी जिंदगी जीते हैं और ये पल हमारे जीवन के खास पलों का कभी न भूलने वाला हिस्सा बन जाते हैं.

जिंदगी के सब से मुश्किल दौर में नातेरिश्तेदारों से अधिक एक दोस्त ही हमारी ओर मदद का हाथ बढ़ाता है और वह भी बिना किसी स्वार्थ के.

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समयसमय पर दोस्ती के बारे में बहुतकुछ लिखा जाता रहा है. हमारी फिल्मों में भी दोस्ती को कई मानो में बारबार तराशा गया है. दोस्ती का कोई दायरा नहीं होता. यह तो असीमित, अपरिमित होती है.

दोस्ती पर चौंकाने वाला खुलासा

मशहूर साइकोलौजिस्ट रिया बंसल मानती हैं कि जिंदगी में दोस्तों की अहमियत को नकारा नहीं जा सकता यानी दोस्त होना बहुत जरूरी है. लेकिन उतना ही जरूरी सही दोस्तों का चयन करना भी है. क्योंकि यही संगत न सिर्फ आप का आत्मविश्वास बढ़ाती है, बल्कि आप का व्यक्तित्व भी निखारती है.

यों तो दोस्ती पर सैकड़ों गाने, कविताएं और कहानियां लिखी जा चुकी हैं, लेकिन वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक दावे को सुन कर निश्चय ही आप चौंक उठेंगे. अब तक आम धारणा यही थी कि परिवार के सदस्यों का डीएनए ही आपस में मेल खाता है, परंतु अमेरिका में की गई एक रिसर्च बतलाती है कि दोस्तों का डीएनए भी उतना ही समान होता है.

एक इंग्लिश मीडिया के मुताबिक, यूनिवर्सिटी औफ कैलिफोर्निया और येल यूनिवर्सिटी की रिसर्च में 1,932 लोगों के डीएनए की जांच की गई. इस के लिए लगभग 30 साल के बीच के उन के रिश्तों के आंकड़े जमा किए गए. रिसर्चरों ने पाया कि जो जीन गंध समझने के लिए सक्रिय होते हैं वे दोस्तों में एकजैसे ही थे.

इसे वैज्ञानिकों ने यों समझा कि जीन संरचना वाले लोग एक ही जैसे माहौल की ओर आकर्षित होते हैं और वहां एकदूसरे से इत्तफाक से मिलते ही दोस्ती हो जाती है. अगर इस रिसर्च को हम दोस्ती का पैमाना बना कर चलें, तो दोस्ती में अब भावनात्मक जुड़ाव ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक जुड़ाव भी बराबरी से जिम्मेदार होगा.

कुछ रिसर्चर्स बताते हैं कि आज की लाइफस्टाइल में वर्चुअल वर्ल्ड का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है. नतीजतन, सामाजिक जीवन में दोस्तों की संख्या में कुछ कमी आई है. आज आभासी दुनिया के मित्रों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है, पर उन का हमारी सोशल लाइफ से कोई नाता नहीं है.

आखिर क्या है दोस्ती

मशहूर अमेरिकन कमैंटेटर वाल्टर विनचेल दोस्ती को कुछ इस तरह परिभाषित करते हैं, ‘‘एक सच्चा दोस्त वह है जो तब आप के साथ चलता है जब शेष दुनिया साथ छोड़ देती है.’’

टेलर कौलरिज के अनुसार, ‘‘प्यार फूल की तरह होता है और दोस्ती पेड़ की तरह.’’

तो दोस्ती केवल एक संबंध न हो कर आपसी प्रेम, विश्वास, खुशी और सम्मान की भावना का वह अनोखा मिश्रण है जो सदियों से न सिर्फ स्वस्थ समाज की जरूरत है बल्कि आज भी यह बेहद प्रासंगिक है. प्रस्तुत दौर की बेहद व्यस्त जिंदगी में समयाभाव के कारण दोस्ती का महत्त्व और बढ़ गया है. शायद यही कारण है कि भूलेबिसरे सभी दोस्तों की दोस्ती को समर्पित एक खास दिन चुना गया जिसे फ्रैंडशिप डे के नाम से जाना जाता है.?

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कैसे थामें दोस्ती की डोर

बेंगलुरू में कार्यरत मनोचिकित्सक डा. श्यामला वत्स दोस्ती के बारे में एक आकर्षक सलाह देती हैं. वे अपने दिन को पिज्जा की तरह बांटने को कहती हैं, यानी 16 से 18 घंटे का जो समय हम जाग कर बिताते हैं, पिज्जारूपी इस समयचक्र के 6 टुकड़ों में से अपने दोस्तों को हमें 2 टुकड़े देने चाहिए ताकि बचे हुए टुकड़ों में हम अपने दूसरे जरूरी कार्यों को निबटा सकें. जिन में घर के हमारे हिस्से के काम, अपने रूटीन वर्कऔर अपने पसंदीदा कार्य जैसे टीवी देखना, किताबें पढ़ना या अन्य शौक जो हम करने की इच्छा रखते हों, पूरे किए जा सकें.

दोस्ती के नियम

सच तो यह है कि दोस्ती में कोई नियमकायदा नहीं होता. दोस्ती सभी मानकों के परे होती है. फिर भी कुछ बातों का ध्यान रख कर हम अपनी दोस्ती को हमेशा के लिए टिकाऊ बना सकते हैं.

दोस्ती में कभी पैसोंरुपयों का लेनदेन न आने दें, क्योंकि तगड़ी से तगड़ी दोस्ती भी कभीकभार लेनदेन के गणित में उलझ कर रह जाती है और अपनी स्वाभाविकता खो बैठती है.

दोस्त के पीठपीछे उतनी ही बात करें, जितनी उस के सामने स्वीकारने में हिचक न हो. क्योंकि कई लोग जो आप की दोस्ती पसंद नहीं करते, आप को एकदूसरे के विरुद्ध बहकाने की कोशिश कर सकते हैं.

दोस्ती की है, तो विश्वास करना भी सीखें. अगर मित्र के प्रति दिल या दिमाग में कोई वहम आया भी है तो उसे मित्र के सामने रखें और बात को साफ कर लें, वरना कई बार छोटीछोटी बातों को दिल में रख कर हम शक का एक पुलिंदा तैयार कर लेते हैं और मौकेबेमौके वह गुबार हमारे दिल से निकल कर जबान पर आ जाता है. इस से अच्छीखासी दोस्ती में दरार आ जाती है.

किसी उलझन में फंसे दोस्त को सही, सार्थक और सटीक राय दीजिए, भले ही उस समय वह उसे नीम की कड़वी गोलियों की भांति लगे. कई बार केवल दोस्त का मन रखने के लिए हम उसे उस की पसंदीदा सलाह दे देते हैं, जिस से बाद में उसे परेशानी उठानी पड़ सकती है और हमें पछताना पड़ सकता है कि काश, हम ने सही समय पर उसे सही सलाह दी होती, तो आज दोस्त को यों दुखी न देखना पड़ता.

अच्छे दोस्त अपने साथी की खुशी को दोगुना और तकलीफ को आधा कर देते हैं. दोस्ती में अपने अहं को आड़े न आने दें. मैं ही बारबार क्यों याद करूं, क्यों उस के घर जाऊं? वह क्यों नहीं आ सकता? ऐसी बातें दोस्ती के आड़े नहीं आनी चाहिए.

अच्छे श्रोता बनें. कई बार दोस्त आपके पास अपनी तकलीफ को शेयर करने ही आते हैं, ताकि समस्या से नजात न सही, कुछ मानसिक सुकून ही मिल जाए. ऐसे वक्त में उन्हें निराश न होना पड़े. प्रेम और धैर्य के साथ यदि आप उन की बात सुन लेंगे तो समस्या का निदान न सही, उन्हें मानसिक सुकून व दिमागीतौर पर आराम जरूर मिलेगा.

दोस्ती में आए बदलाव को सहर्ष स्वीकार करें. कई दोस्तों को इस बात की शिकायत होती है कि पहले तो उन का बड़ा याराना था पर वक्त के साथ दोस्ती की यह महक फीकी पड़ती जा रही है. लेकिन, यह भी तो सोचें कि परिस्थितियां और हालात सदा एक से नहीं रहते. कई बार हालात से मजबूर दोस्त हम से रोजाना मेलमुलाकात नहीं कर पाते या हमें अधिक समय नहीं दे पाते. ऐसे में उन की व्यस्तता को समझ कर उन्हें कोसने और शिकायतें करने के बजाय वस्तुस्थिति को समझने का प्रयास करें.

बढ़ती उम्र और समय के साथ दोस्ती में और परिपक्वता आ जाती है. दोस्त के बिना कहे हम उस की तकलीफ या तनाव को समझने लगते हैं. दोस्ती में सहज भाव से अपनी बात रखें. एक सच्ची दोस्ती में अहंकार, फरेब, कटाक्ष और टीकाटिप्पणी न हो कर सहज और सरल भाव का होना अत्यावश्यक है.

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दोस्ती की आजमाइश की कोशिश कभी न करें. वक्तबेवक्त दोस्तों का आजमाना आप की अति होशियारी का प्रतीक है. जिस से न सिर्फ दोस्ती का स्तर गिरता है बल्कि उस का मौलिक स्वरूप भी आहत हो जाता है.

तो यह बात अच्छी तरह जान लें कि दोस्ती में कोई छोटा या बड़ा नहीं होता. दोस्ती उम्र देख कर भी नहीं की जाती, न ही रंगरूप या सामाजिक स्तर देख कर. इसलिए इस के टिकने की संभावना दूसरे रिश्तों से कहीं अधिक होती है. सो, सिर्फ दोस्त बनाने की जुगत न करें, बल्कि दोस्ती निभाने का बीड़ा भी सच्चे दिल से उठाएं.

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