कहते हैं दोस्ती करना आसान है पर इसे निभाना मुश्किल, क्योंकि इस में पड़ी दरार के दूरगामी परिणाम भी लक्षित होते हैं. हाल ही में महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा और शिवसेना के बीच दोस्ती के बदलते समीकरण ने भाजपा के हाथों से सत्ता की कुरसी परे सरका दी. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस और एनसीपी के साथ शिवसेना के मैत्री गठबंधन ने उद्धव ठाकरे के सिर पर सत्ता का ताज सुशोभित कर दिया.

इसी तरह झारखंड में हाल ही के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और आजसू की मैत्री में दरार पड़ने से वहां भाजपा को शिकस्त का मुंह देखना पड़ा है जबकि कांग्रेस के साथ जेएमएम की दोस्ती ने कमाल दिखाते हुए भारी मतों से अपने बहुमत को स्थापित किया है. इस का मतलब दोस्ती का जादू हर क्षेत्र में समयसमय पर अपने प्रभुत्त्व को दर्शाता रहा है, फिर चाहे स्तर कोई भी हो.

‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे...तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ न छोड़ेंगे...’ दोस्ती पर गीतकार आनंद बख्शी का लिखा यह गीत आज भी लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय है. सच में दोस्ती ऐसा जज्बा है जो कभीकभी प्रकृतिदत्त रिश्तों पर भी भारी

पड़ जाता है. सच तो यह है कि दोस्तों के बगैर हमारी जिंदगी बेरौनक और उदास सी होती है. चूंकि उन के साथ हम अपनी भावनाओं और विचारों की खुली साझेदारी कर सकते हैं, इसलिए उन के साथ बिताए पलों में हम अकसर खुल कर ही अपनी जिंदगी जीते हैं और ये पल हमारे जीवन के खास पलों का कभी न भूलने वाला हिस्सा बन जाते हैं.

जिंदगी के सब से मुश्किल दौर में नातेरिश्तेदारों से अधिक एक दोस्त ही हमारी ओर मदद का हाथ बढ़ाता है और वह भी बिना किसी स्वार्थ के.

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