मिसेज कौशिक इस बात से काफी खुश थीं कि उन की बेटी की शादी शहर के सब से बड़े इंजीनियर से हो रही है. वे जोरशोर से शादी की तैयारियां कर रही थीं ताकि शादी के दिन किसी चीज की कमी न हो, खुशियों की रोशनी से घर जगमगा उठे. पर मिसेज कौशिक को कहां पता था कि जिस घर को वे इतने प्यार से सजा रही हैं वह घर बेटी की विदाई के बाद इस कदर सूना हो जाएगा कि अकेलापन उन्हें काटने को दौड़ेगा.
यह सच है कि शादी के बाद लड़की की जिंदगी में जहां कई नए रिश्ते जुड़ते हैं वहीं मां की जिंदगी का सब से अनमोल रिश्ता उस से दूर हो जाता है. मां को हर पल बेटी की कमी खलती है. किसी काम में मन नहीं लगता. कई बार तो ऐसा भी होता है कि बेटी की विदाई के बाद मां खुद को इतना अकेला महसूस करने लगती है कि उस का मानसिक संतुलन भी बिगड़ने लगता है.
मुंगेर की प्रेमलता देवी कहती हैं, ‘‘इसी साल फरवरी में मेरी बेटी की शादी हुई है. उस की विदाई के बाद ऐसा लग रहा है मानो जिंदगी में कुछ बचा ही नहीं है. जिंदगी का मकसद ही खत्म हो गया हो. मेरे पति बिजनैसमैन हैं, वे सुबह ही दुकान के लिए घर से निकल जाते हैं और देर रात घर वापस आते हैं. ऐसे में मैं दिनभर घर पर अकेले रहती हूं. मेरा किसी काम में मन नहीं लगता. कुछ भी करने जाती हूं तो उस काम में अमृता की याद आने लगती है कि कैसे घर के छोटेछोटे कामों में मेरा हाथ बंटाती थी, कैसे हम घंटों बैठ कर बातें करते थे, टीवी देखते थे, उस की पसंद की चीजें बनाने पर वह कितना खुश हो जाती थी. उस के जाने के बाद घर एकदम सूना हो गया है. दिल करता है कि बारबार फोन पर उस से बात करूं.’’