जिम में संध्या के साथ ट्रेडमिल पर वाक करते समय मैं ने शौपिंग का प्लान बना लिया. घर जा कर नहाई, नाश्ता किया और तभी संध्या का फोन आ गया. कहने लगी कि एक घंटा देरी से निकलेंगे. आज कामवाली नहीं आई है. थोड़ा रसोई और घर साफ कर लूं या फिर कल चलेंगे. यह बताते हुए वह बहुत दुखी थी और कह रही थी कि मेड छुट्टी लेती है, तो पहले से बताती भी नहीं.
मैं भी क्या करती एक घंटा देर से चलने के लिए राजी हो गई, क्योंकि अगले दिन मेरा डाक्टर का अपौइंटमैंट था. लेकिन अब हमारे पास शौपिंग के लिए समय कम था क्योंकि बच्चे स्कूल से आएं उस से पहले हमें वापस घर लौट कर आना था.
अनेक समस्याएं
अगले दिन मेरी कामवाली देरी से आई, लेकिन मुझे डाक्टर के पास जाना था, तो मैं बैडरूम लौक कर के घर की चाबी पड़ोसी के घर दे कर गई ताकि कामवाली आए तो ह रसोई और बाकी घर साफ कर दे. मुझे उसे अकेले घर में छोड़ना ठीक नहीं लग रहा था. पर मजबूरी थी क्योंकि हम एकल परिवारमें रहते हैं. यह समस्या आज लगभग हर घर में है. जहां नौकरियों और तबादलों के चलते संयुक्त परिवार टूट रहे हैं, वहीं कामकाजी महिलाओं की संख्या बढ़ रही है. बच्चे, बूढ़े और जवान सभी घर में नौकरों पर निर्भर हैं.
साफसफाई करने से खाना बनाने तक का, बच्चा पालने से ले कर बुजुर्गों की देखभाल का काम घरों में कामवालियां कर रही हैं. जहां इन से सुविधाएं मिल रही हैं, वहीं इन से काम करवाने में अनेक समस्याएं भी हैं.