आजकल के वक्त में स्मार्टफोन और सोशल मीडिया लोगों की जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुके हैं. हालात ये हैं कि अगर आपके पास स्मार्टफोन नहीं है तो आपको ऐसा लगता है जैसे दुनिया ही खतम हो गई, यहां तक कि अगर आपका मोबाइल खराब हो जाए तो आप उसको जल्द से जल्द ठीक कराने की कोशिश करते हैं. जितना कि आप अपने तबियत को लेकर भी परेशान नहीं होते उतना तो मोबइल फोन के खराब होने से हो जाते हैं. लोगों की दुनिया आजकल फोन के इर्द गिर्द घूमने लगी है. कहीं भी जाएं , कुछ भी खाएं सबकुछ सोशल मीडिया पर अपलोड करना आजकल लोगों के लिए बहुत जरूरी सा हो गया. लेकिन मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करने से शारीरिक और मानसिक नुकसान होता है, रिसर्च में खुलासा हुआ. क्योंकि सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं बड़ों के मानसिक संतुलन के लिए भी हानिकारक है मोबाइल और व्हाट्सएप इंस्टाग्राम ज्ञान.

स्मार्टफोन और सोशल मीडिया पर जरूरत से ज्यादा समय बिताने का मतलब है कि आप अपनी निजी जिंदगी से ज्यादा फोन की दुनिया में गुम हैं. जिसके कारण आप बाहरी दुनिया से आप बिल्कुल अंजान हो जाते हैं. अपने घर-परिवार बच्चों पर भी ध्यान नहीं जाता.

ऐसे में आपको डिजिटल डिटॉक्सिफिकेशन की जरूरत हो सकती है. नई तकनीक और सोशल मीडिया हमें अनोखे और रचनात्मक तरीकों से संवाद स्थापित करने का मौका देती है. लेकिन, तकनीक में हो रहे बदलावों को समझने में बहुत बार आप गलती कर जाते हैं. क्योंकि इसका गलत उपयोग भी होता है. आजकल सोशल मीडिया के जरिए आपको मदद, के साथ नेम और फेम मिलता है. तो वहीं दूसरी तरफ इसका खूब गलत इस्तेमाल भी होता है. लोग सोशल मीडिया के जरिए क्राइम करते हैं, गलत काम करके ब्लैकमेलिंग करते हैं.

अगर देखा जाए तो एक व्यक्ति दिन में करीब 150 से 200 बार फोन चेक करता है, हर छह मिनट में फोन चेक करता है. कई बार सोते वक्त भी जैसे बेचैन होता है. जब-जब नींद खुलती है तब-तब फोन चेक करता है. भले ही कोई अपडेट ना हो लेकिन ये एक आदत सी बन गई है या कहें की फोन की लत या बीमारी हो गई है. ऐसे लोगों में हम और आप भी आते हैं. डिजिटल तरीकों से मनोरंजन करना, घंटों फोन पर बात और चैट करना आपको कितना भारी पड़ सकता है इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं आप.

एक रिपोर्ट के मुताबिक स्वीडन और दुनिया भर में युवाओं के बीच मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं. लोग सांस्कृतिक और सामाजिक परिवर्तनों से बिल्कुल दूर हो चुके हैं.
मोबाइल फोन के जल्दी विकास और और ज्यादा उपयोग से लोगों के शरीर और दिमाग पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. नकारात्मक शक्तिायं इंसान को जकड़ रही हैं.

रिसर्च के मुताबिक मोबाइल फोन का उपयोग करने से आमतौर पर सिरदर्द, मानसिक तनाव, कान का दर्द और गर्माहट महसूस होती है क्योंकि कान में आप ईयर फोन का इस्तेमाल करते हैं. कई बार आपके बच्चे भी आपको देख कर यही सीखते हैं. फिर वो भी फोन लेने की जिद करते हैं जिससे उन पर और बुरा असर पड़ता है. कई बार कपल्स की दूरियों में भी फोन का बहुत बड़ा रोल होता है. एक ही बेड पर लेटे-लेटे पति-पत्नी भी फोन में लगे रहते हैं, एक-दूसरे को क्वालिटी टाइम नहीं दे पाते.

अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जिन्हें बार-बार यह महसूस होता है कि निजी, पारिवारिक और सामाजिक जिंदगी में संतुलन और समन्वय नहीं है, तो आपको मोबाइल और सोशल मीडिया से दूरी बनानी होगी. कई अध्ययन और शोध में यह बात साबित हो चुकी है कि मोबाइल फोन, लैपटॉप, टीवी या दूसरे डिजिटल उपकरणों के साथ हद से ज्यादा वक्त बिताना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है. जिसके भयानक परिणाम हो सकते हैं.

अगर आप डिजिटल जिंदगी में बहुत ज्यादा उलझ गए हैं, तो परिवार, दोस्त, घर, बिजनेस बच्चे इन सब पर आपको अब ध्यान देना होगा. क्योंकि ये ही आपके जिंदगी के डिजिटल दुनिया से ज्यादा करीब और सच होते हैं.

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