वे जमाने लद गए जब बच्चों को सिर्फ बांझपन की वजह से ही गोद लिया जाता था. जो बच्चे गोद लिए जाते थे वे भी परिवार के ही किसी सदस्य के होते थे. धीरेधीरे इन नियमों में बदलाव हुआ है. अब दंपती बच्चों को अनाथाश्रम से भी गोद लेने लगे हैं. हां, इस दिशा में एक नया चलन शुरू हुआ है, वह है ‘सिंगल पेरैंटिंग’ का. अब कोई भी अविवाहित पुरुष या स्त्री भी बच्चा गोद ले सकता है.

आजकल दंपती समय की कमी और काम के भार के चलते भी बच्चा गोद ले रहे हैं. इस से एक ओर जहां बच्चा घर आने से असीम सुख मिलता है वहीं समय और खर्चा भी कम आता है. बिजनैस ओरिएंटेड दंपती आजकल यही राह अपना रहे हैं. लेकिन कई बार वे आधीअधूरी जानकारी के चलते गलत एजेंसियों के झांसे में फंस जाते हैं. बच्चा मिलना तो दूर ये एजेंसियां उन से अच्छाखासा पैसा वसूल कर फरार हो जाती हैं. कई बार तो चोरी या अगवा किए बच्चों को आप के हाथों सौंप दिया जाता है.

जब बच्चा गोद लेना हो, तो समय का तकाजा कहता है कि उतावलेपन को छोड़ कर समझदारी से काम लिया जाए. इस के कानूनी और भावनात्मक सभी पक्षों को ध्यान से परखना जरूरी है. एक छोटी सी गलती जिंदगी भर के लिए मुसीबत बन सकती है.

तैयार करें खुद को

सब से ज्यादा जरूरी बात यह है कि आप मानसिक तौर पर बच्चा गोद लेने के लिए पूरी तरह तैयार हों. आप के साथसाथ आप का परिवार भी इस बात के लिए सहमत हो. अगर पहले से ही आप के बच्चा है तो उसे भी इस के लिए तैयार करें. उसे इस बात के लिए मानसिक रूप से तैयार करें कि घर पर आने वाला नया सदस्य उस के प्यार को बांटने नहीं, बल्कि उसे और प्यार करने आ रहा है.

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