Diwali Tips: फैस्टिवल का पूरा आनंद अपने घरपरिवार और नातेरिश्तेदारों के बीच होने पर मिलता है. ऐसे में घरों से दूर काम कर रहे युवाओं का पहला प्रयास यह होता है कि वे अपने घरपरिवार के बीच पहुंच जाएं. इस कारण से बड़ी संख्या में लोग एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं. खासतौर पर बड़े शहरों से छोटे शहरों की तरफ जाने वालों की संख्या अधिक होती है.

पटना के रहने वाले औचित्य प्रताप सिंह गुड़गांव की रियल एस्टेट कंपनी में काम करते हैं. वे कहते हैं, ‘हम हर होली और दीवाली ट्रेन में 2 महीने पहले टिकट बुक कराने की कोशिश करते हैं. कई बार टिकट वेटिंग का मिलता है. अकसर यात्रा वाले दिन तक कन्फर्म नहीं होता. पिछली दीवाली रेल का टिकट नहीं कन्फर्म हुआ, हवाई जहाज में टिकट बहुत महंगा हो गया था. तब मैं घर नहीं पहुंच पाया था.’

औचित्य जैसे हालात का सामना कई युवाओं को करना पड़ता है. केवल लड़कों ही नहीं, लड़कियों के सामने भी यह परेशानी आती है. नेहा कुमार मुंबई में काम करती हैं. वे कहती हैं, ‘मैं दीवाली से 2 दिन पहले ही छुट्टी ले लेती हूं. 2 दिन पहले टिकट मिल जाता है. इस के लिए मैं पूरे साल अपनी छुट्टियां मैनेज करती हूं. जब नहीं जा पाती तो अफसोस नहीं करती, फिर मुंबई में ही दीवाली मनाती हूं.

नौकरी, मजदूरी, छोटे कारोबार करने के लिए लाखों प्रवासी लोग देश के कोनेकोने में फैले हैं. पूरे साल ये मेहनत, मजदूरी कर हर साल दीवाली पर घर जाते हैं. परेशानी की बात यह है कि इन को घर जाने के साधन नहीं मिलते. दीवाली पर घर जाने के लिए ट्रेन में टिकट उपलब्ध नहीं होते हैं. रेलवे की ओर से स्पैशल ट्रेन जो चलाई जाती है लेकिन वह काफी नहीं होती. ट्रेन में टिकट उपलब्ध न होने का फायदा प्राइवेट बस और हवाई जहाज कंपनियां जम कर उठाती हैं. बस से ले कर प्लेन टिकट में 4 से 6 गुना की बढ़ोतरी हो जाती है, जो तमाम लोगों के बजट से बाहर साबित होती है.

आमतौर पर दिल्ली से पटना का किराया आम दिनों में 3,000 रुपए से ले कर 4,500 रुपए के बीच रहता है. आसानी से इस रेट में टिकट मिल जाता है लेकिन अगर आप दीवाली के समय का टिकट बुक कर रहें हैं तो टिकट का रेट देख कर आप के होश उड़ जाएंगे. 21 अक्तूबर से ले कर 5 नवंबर तक किसी भी दिन का किराया 12,000 रुपए से कम नहीं है. कई प्लेन में यह किराया 45 हजार रुपए तक है. दिल्ली ही नहीं, मुंबई से पटना, दरभंगा, बेंगलुरु से दरभंगा या किसी और शहर के लिए फ्लाइट लेते हैं तो महंगा टिकट लेना पड़ता है.

बस और ट्रेन में टिकट मिलता ही नहीं है. ऐसे में कई बार रिजर्वेशन वाले डब्बों में जनरल डब्बों वाली भीड़ दिखती है. भूसे की तरह भर कर लोग यात्रा करने को मजबूर हो जाते हैं. बस और प्राइवेट टैक्सी वाले पीछे नहीं रहते हैं, वे भी दिल्ली से बिहार के कई शहरों के लिए मनमाना किराया वसूलते हैं. आम दिनों में दिल्ली से बिहार का किराया 1,600 रुपए से 2,000 रुपए के बीच होता है. दीवाली को देखते हुए यह बढ़ कर 3,500 रुपए से ले कर 5,000 रुपए तक हो जाता है.

मजबूर यात्री किसी भी सूरत में घर जाना चाहता है. ऐसे में उसे सम झ नहीं आता क्या करे. सीमित संख्या में ट्रेनों की उपलब्धता के कारण हवाई जहाज और प्राइवेट लग्जरी बसों की मनमानी बढ़ जाती है. यात्रियों से मनमाना किराया वसूला जाता है. किराए में असमान रूप से बढ़ोतरी से यात्री परेशान होते हैं. उन्हें सम झ में नहीं आता कि वह घर जाएं तो कैसे. अगर इतना महंगा टिकट खरीद कर जाते हैं तो उन का पूरा बजट ही बिगड़ जाता है. बात केवल भारत की ही नहीं है, दूसरे देशों में जहां अनुमान से अधिक लोग सड़कों पर आ जाते हैं वहां अव्यवस्था हो जाती है.

चीन में लग गया सड़क

पर जाम

गेटी इमेजेज चीन के हेनान प्रांत के कैफेंग में 9 नवंबर, 2024 की रात  झेंग् झौ से कालेज के छात्र 50 किलोमीटर दूर कैफेंग तक साइकिल चलाते हैं. साइकिल चालकों की तादाद बढ़ जाने के चलते मध्य चीन के 2 शहरों के बीच यातायात जाम हो गया. हजारों लोग पास के  झेंग झो से रात में किराए की साइकिल चलाने लगे. दोनों शहरों के बीच 6 लेन वाला एक्सप्रैसवे साइकिल सवारों से भर गया. इस की शुरुआत विश्वविद्यालय के 4 छात्रों से हुई, जिन्होंने जून में गुआनतांगबाओ (एक प्रकार का सूप) खाने के लिए  झेंग झोउ से कैफेंग तक 50 किलोमीटर साइकिल से यात्रा की थी.

इन लोगों ने मीडिया को बताया था, ‘युवावस्था में आप को दूसरा मौका नहीं मिलता, इसलिए आप को दोस्तों के साथ अचानक यात्रा पर निकल जाना चाहिए.’ यह संदेश 12.6 मिलियन की आबादी वाले शहर के युवाओं के दिलों में घर कर गया. इस प्रकार ‘नाइट राइड टू कैफेंग’ का जन्म हुआ. जिबो शहर में लाखों लोग ‘बारबेक्यू’ का स्वाद चखने आए. युवाओं के उत्साह को देखते हुए लग रहा था कि जैसे हर कोई उत्साह से भरपूर था और अपने आसपास के लोगों से बातचीत कर रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे वह अपने कालेज के दिनों में वापस आ गया हो.’

युवाओं का उत्साह तब फीका पड़ गया जब उन्होंने देखा कि जब  झेंग् झौ की सड़कें हजारों बाइकों से भर गईं. उस रास्ते पर जहां आमतौर पर एक घंटा लगता था, उसे 3 घंटे लग गए. कुछ लोगों को अपनी बाइक से उतर कर भीड़ के बीच से निकलने के लिए मजबूर होना पड़ा. सड़क पर साइकिलों की संख्या का कोई अनुमान नहीं था. यह संख्या एक लाख से दो लाख के बीच थी. जो लोग कैफेंग पहुंचे, उन में से कई लोगों को यह अनुभव अच्छा नहीं लगा.

शंघाई में पुलिस ने हैलोवीन के जश्न पर रोक लगा दी थी क्योंकि उसे डर था कि इन मौजमस्ती का इस्तेमाल करने वाले हालात को खराब कर सकते हैं. आजकल लोग काम के दबाव में बहुत तनाव में रहते हैं. वे त्योहारों पर अपने घर जाने की जल्दी में रहते हैं ताकि वे घरपरिवार और दोस्तों के साथ रह कर तनाव को कम कर सकें. इस वजह से पूरी दुनिया में कभीकभी ऐसे अवसर आ जाते हैं जब लोगों को आनेजाने के साधन नहीं मिलते. ऐसे में सरकार को तो व्यवस्था करनी ही चाहिए लेकिन आनेजाने वालों को भी संयम से काम लेना चाहिए.

घर जाने के उत्साह में न भूलें कामकाज

घर जाने का उत्साह अपनी जगह ठीक है. देखा यह जाता है कि घर जाने की जल्दी में लोग कामकाज बंद कर देते हैं. दीवाली के 2 दिन पहले से ही औफिस सूने हो जाते हैं. इस तरह के उत्साह से कामकाज प्रभावित होता है. देखा जाए तो तमाम लोग इस के बाद भी अपने काम करते रहते हैं, जैसे ट्रेन, हवाई जहाज, बस, बिजली, पानी, अस्पताल और मोबाइल कंपनियों के लोग अपनी ड्यूटी पर रहते हैं. पुलिस और सेना के जवान भी अपनी ड्यूटी पर तैनात रहते हैं. जिस तरह से दूसरे लोगों को घर जाने की जल्दी रहती है उसी तरह से इन लोगों को भी जल्दी रहती है. इस के बाद भी ये अपनी खुशियों की जगह पर दूसरों की खुशियों को तरजीह देते हैं.

इन के काम को सलाम करना चाहिए. इन को देख कर सोचना चाहिए कि ये लोग भी अपने घर जाना चाहते होंगे पर दूसरों की असुविधा को ध्यान में रख कर ड्यूटी निभाते हैं. कई महिलाएं अपने बच्चों को अकेला छोड़ कर ड्यूटी निभाती हैं. सेना और पुलिस के जवान भी इसी तरह से ड्यूटी निभाते हैं. इन के भी घरपरिवार होते हैं. ये भी त्योहार के समय अपनों के बीच रहना चाहते हैं. इन के भी पत्नी, बच्चे और मांबाप इन का इंतजार करते हैं. इस के बाद भी ये लोग अपनी खुशियों की जगह अपनी ड्यूटी को प्राथमिकता देते हैं.

आम लोगों को भी अपने मन में यही सोच बनानी चाहिए जिस से अगर टिकट नहीं है, टिकट बजट से बाहर है तो ज्यादा परेशान न हों. बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं जो अपने घरपरिवार के बीच नहीं पहुंच पाते. इन को देख कर प्रेरणा लेनी चाहिए और सोचना चाहिए कि अगली बार दीवाली घर पर मनाएंगे. यह भी हो सकता है कि दीवाली के कुछ दिनों बाद जब बाकी लोग काम पर आ जाएं तब चले जाएंगे. एकसाथ पूरा देश दीवाली मनाए लेकिन अगर पूरा देश एकसाथ छुट्टी पर चला जाएगा और देश ठप हो जाएगा. तो, दीवाली की खुशियां कोई नहीं मना पाएगा. ऐसे में जरूरी है कि अपनी ड्यूटी की प्राथमिकता को देखते हुए काम करें जिस से दीवाली हंसीखुशी के साथ गुजरे. Diwali Tips

 

 

 

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